अगस्त के महीने में इन सब्जियों की खेती करें, होगी जबरदस्त कमाई
अगस्त के महीने में भरपूर बारिश होती है, ऐसे में किसान को किन सब्जियों की खेती (August Vegetable Farming 2022) करनी चाहिए, जानिए
August Vegetable Farming 2022 | अगस्त के सीजन में भरपूर बारिश होती है, ऐसे में कई फसलों के लिए अधिक बारिश फायदेमंद होती है, तो कुछ फसलों के लिए ज्यादा पानी नुकसानदायक है। ऐसे में किसान अगर सही वक्त पर बारिश के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों की खेती करता है, तो वह अच्छी आमदनी कमा सकता है। आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे की अगस्त महीने में किन-किन सब्जियों की खेती कर इनसे अच्छी आमदनी कैसे कमा सकते है..
अगस्त में सब्जियों की खेती : August Vegetable Farming 2022
जुलाई के महीने में एक तरफ जहां टमाटर, बैंगन, हरी मिर्च और हरे धनिया की जहां बढ़िया पैदावार होती है। तो वहीं दूसरी ओर किसान अगस्त के महीने में भी अपने खेतों में कई प्रकार की सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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अगस्त (August Vegetable Farming 2022) में इन सब्जियों की खेती करें-
1) शलजम
शलजम एक जड़ (कंद मूल) वाली फसल है। यह ठंडे इलाकों में बोई जाने वाली फसल है। इस फसल की खेती ( August Vegetable Farming 2022 ) के लिए नमी युक्त वातावरण होना चाहिए। शलजम को सब्जी, सलाद के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। मैदानी भागों में इस सब्जी की खेती की जाती है।
शलजम के फायदे – शलजम एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल और फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है।
इसके सेवन से ह्रदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप और सूजन में बहुत लाभप्रद माना जाता है।
शलजम में मौजूद विटामिन C शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करती है।
शलजम को बोने का समय – सितम्बर से अक्टूबर
मिट्टी – शलजम की खेती ( August Vegetable Farming 2022 ) के लिए खेत की मिट्टी बलुई और रेतीली होनी चाहिए।
- खेत तैयारी– खेत में पानी निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कि अगर बारिश हो जाए या पानी ज्यादा लग जाए तो खेत में पानी न रुके उसे निकाला जा सके।
- पानी निकासी कि समुचित व्यवस्था होने से फसल को गलने व पानी से होने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।
- सबसे पहले इसके खेत को 3 से 4 गहरी जुताई लगाएं फिर उसमे गोबर कि बनी हुई या सड़ी हुई खाद डाल के हल्की जुताई कर दें। साथ ही इसमें पाटा चलाकर खेत को समतल कर दें।
सिंचाई– सिंचाई करते वक्त याद रहे कि अगर हमने इसकी बुवाई मेंड़ बनाकर की है तो इसमें पानी की ज्यादा मात्रा न जाये बस इसकी मेंड़ को सीलन ही मिलनी चाहिए। ज्यादा पानी देने से मेंड़ की मिट्टी कठोर हो जाती है इससे इसकी फल को फूलने के लिए सही माहौल नहीं मिल पाता है।
अगर हमने मेंड़ बना कर बिजाई नहीं की है तो भी इसमें हल्का पानी ही दें।
शलजम की उन्नत किस्में
लाल-4 – लाल किस्म को अधिकतर शरद ऋतु ( August Vegetable Farming 2022 ) में लगाते हैं। जड़ें गोल, लाल तथा मध्यम आकार की होती हैं। फसल आने की अवधि- 60-70 दिन।
सफेद-4 – इस किस्म को अधिकतर वर्षा ऋतु में लगाते हैं। यह शीघ्र तैयार होती है तथा इसकी जड़ों का रंग बर्फ जैसा सफेद होता है। गूदा चरपराहट वाला होता है। फसल आने की अवधि- 50-55 दिन। उपज- 200 क्विंटल प्रति हैक्टर।
परपल-टोप – इसकी जड़ें बड़े आकार की, ऊपरी भाग बैंगनी, गूदा सफेद तथा कुरकुरा होता है। यह अधिक उपज देती है। इसका गूदा ठोस तथा ऊपर का भाग चिकना होता है।
पूसा-स्वर्णिमा – इस किस्म की जड़ें गोल, मध्य आकार वाली, चिकनी तथा हल्के पीले रंग की होती हैं। गूदा भी पीला होता है। फसल आने की अवधि – 65-70 दिन। इस किस्म को पूसा ने विकसित किया है।
पूसा-चन्द्रिमा – इसकी जड़ें गोलाई लिये हुए होती है। फसल आने की अवधि- 55-60 दिन। उपज- 200-250 क्विंटल प्रति हैक्टर।
पूसा-स्वेती – यह किस्म भी अगेती है। बुवाई समय- अगस्त-सितम्बर (August Vegetable Farming 2022) इसकी जड़ें काफी समय तक खेत में छोड़ सकते हैं। जड़ें चमकदार व सफेद होती हैं। फसल आने की अवधि- 40-45 दिन।
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2) फूलगोभी
फूलगोभी कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। फूलगोभी को सब्जी, सूप और आचार के रूप में प्रयोग किया जाता है। बाजार में इसकी मांग बाजार में सालभर रहती है। वही इसकी खेती पूरे साल (August Vegetable Farming 2022) की जाती है। यह भारत की प्रमुख सब्जी है।
जलवायु – इसकी खेती ठंडी जलवायु में की जाती है। 15 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 सेंटीग्रेड का तापमान सबसे उपयुक्त होता है।
मिट्टी – मिट्टी का पीएच मान 7.0 से कम होना चाहिए। जलनिकासी वाली भूमि में करें।
बुवाई का समय – अगस्त से अक्टूबर के मध्य की जाती है।
- खेत तैयारी – खेत तैयारी में पहले सप्ताह में खेत की 2 बार अच्छी जुताई कर लें।
- खेत में गोबर की खाद अच्छे से बिखेर कर मिट्टी में मिला दें।
- 2-3 जुताई देसी हल या कल्टीवेटर से करने के बाद खेत में पाटा लगाकर समतल और भुरभुरी बना लें।
- खेत में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था जरूर करें।
पैदावार – उन्नत तकनीक से फूलगोभी की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 150 से 250 कुंतल तक पैदावार मिल जाती है। इसकी उपज 300 से 400 कुन्तल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।
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3) गाजर
गाजर एक बहुपयोगी फसल है। किसान अगस्त (August Vegetable Farming 2022) के शुरुआती दिनों में गाजर की खेती कर सकते हैं। हालांकि गाजर की अलग-अलग किस्में भी हैं, जिनकी खेती अगस्त से लेकर नवंबर के महीने तक की जा सकती है।
अगस्त माह में इस किस्म (August Vegetable Farming 2022) की खेती करें
गाजर की मुख्य रूप से यूरोपियन और एशियाई किस्म भारत में खेती के लिए उपयोग की जाती है।
1) चैंटनी – यह एक यूरोपियन किस्म है। यह नारंगी रंग की होती है। इसे मैदानी क्षेत्रों में बोया जाता है। फसल आने की अवधि- 75 से 90 दिन। उत्पादन – एक हेक्टेयर में 150 क्विंटल तक उत्पादन होता है।
2) नैनटिस– यह भी एक यूरोपियन किस्म है। फसल आने की अवधि- 110 से 120 दिन
उपर्युक्त क्षेत्र– इसे मैदानी इलाकों में नहीं बोया जा सकता है।उत्पादन- 200 क्विंटल प्रति एकड़
इन दोनों के अलावा, पूसा मेघाली, पूसा रुधिर और चयन नं 223 जैसी किस्मों की खेती ( August Vegetable Farming 2022 ) भी किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
खेत तैयारी : खेत को बिजाई से पहले भली प्रकार से समतल कर लेना चाहिए। इसके लिए खेती की 2 से 3 गहरी जुताई करनी चाहिए। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना जरूरी होता है ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेती के लिए तापमान – 12 से 21 डिग्री
बीज आवश्यकता – गाजर की बुवाई लिए प्रति हैक्टेयर 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
खुदाई – गाजर की देर से खुदाई करने से गाजर की पौष्टिक गुणवत्ता कम हो जाती है। गाजर फीकी और कपासिया हो जाती है तथा भार भी कम हो जाता है। इसलिए पककर तैयार होते ही गाजर की खुदाई शुरू कर देनी चाहिए।
4) पालक
तापमान – पालक 50-70 °F डिग्री (10-21 °C) के बीच के तापमान में उगाई जा सकती है।
मिट्टी – इसकी खेती ( August Vegetable Farming 2022 ) के लिए 6.5 से 6.8 पीएच वाली रेतीली दोमट मिट्टी में पालक ज्यादा अच्छी तरह से विकसित होता है।
किसान बीज बोने से कुछ दिन पहले प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा की दर से P2O5 डाल सकते है। इससे मिट्टी में फास्फोरस की कमी दूर होगी।
बीज दर – बीजारोपण की दर: प्रति हेक्टेयर 40 से 60 पाउंड (20 से 30 किग्रा) बीज।
पालक की बुवाई – पालक के बीजों को हल्की मिट्टी से ढंकते हुए ½ से 1 इंच (1 से 2.5 सेमी) की गहराई में लगाने की आवश्यकता होती है।
पौधों के बीच दूरी: पंक्तियों के बीच 7-11 इंच (20-30 सेमी) दूरी और पंक्ति में पौधों के बीच 3-6 इंच (7-15 सेमी) की दूरी होनी चाहिए। पालक के बीज बोने के तुरंत बाद किसान खेत की सिंचाई कर देते हैं।
सिंचाई – पालक के पौधे की जड़ें बहुत ज्यादा नीचे तक नहीं जाती हैं। इसीलिए, अच्छी उपज पाने के लिए, इस पौधे को कम मात्रा में ज्यादा बार सिंचाई करनी होती है।
कीड़े व बीमारियां – पालक में एफिड्स, लीफ माइनर,स्लग और घोंघे जैसे कीड़ों का प्रकोप रहता है। साथ ही पालक में मोजेक वायरस, स्पिनच ब्लाइट, कोमल फफूंदी जैसी बीमारियों से बचाव के लिए उपर्युक्त खाद व उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए। फसल पकने की अवधि – 38-55 दिन। उत्पादन – पालक की औसत उपज प्रति हेक्टेयर 20-30 टन होती है।
5) धनिया
August Vegetable Farming 2022 | प्राचीन काल से ही विश्व में भारत देश को ”मसालों की भूमि” के नाम से जाना जाता है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते हैं।
धनिया का उपयोग – धनिया एक बहुमूल्य बहुउपयोगी मसाले वाली आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी फसल है। धनिया के बीज एवं पत्तियां भोजन को सुगंधित एवं स्वादिष्ट बनाने के काम आते हैं।
जलवायु – इसके लिए शुष्क व ठंडा मौसम अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिये अनुकूल होता है। बीजों के अंकुरण के लिये 25 से 26 सेंटीग्रेड तापमान उपर्युक्त होता है।
मिट्टी – जल निकास वाली अच्छी दोमट भूमि सबसे अधिक उपयुक्त होती है। असिंचित फसल के लिये काली भारी भूमि अच्छी होती है। मिट्टी का पी.एच. 6.5 से 7.5 होना चाहिए।
बोवनी का समय – उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर।
बीज दर – सिंचित अवस्था में 15-20 कि.ग्रा./हे. बीज तथा असिंचित में 25-30 कि.ग्रा./हे. बीज की आवश्यकता होती है ।
बीजोपचार : भूमि एवं बीज जनित रोगो से बचाव के लिये बीज को कार्बेंन्डाजिम+थाइरम (2:1)3 ग्रा./कि.ग्रा. या कार्बोक्जिन 37.5 प्रतिशत+थाइरम 37.5 प्रतिशत 3 ग्रा./कि.ग्रा.+ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्रा./कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। बीज जनित रोगों से बचाव के लिये बीज को स्टे्रप्टोमाईसिन 500 पीपीएम से उपचारित करना लाभदायक है।
असिंचित धनिया ( August Vegetable Farming 2022 ) की अच्छी पैदावार लेने के लिए गोबर खाद 20 टन/हे. के साथ 40कि.ग्रा. नत्रजन, 30 कि.ग्रा. स्फुर, 20 कि.ग्रा.पोटाश तथा 20 कि.ग्रा.सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से तथा 60 कि.ग्रा. नत्रजन, 40कि.ग्रा. स्फुर, 20 कि.ग्रा.पोटाश तथा 20कि.ग्रा. सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचित फसल के लिये उपयोग करें।
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