पांच इस्लामिक देशों को भारतीय गेहूं की आस, भारतीय गेहूं क्यों विदेशों में पसंद किया जाता है जानें
भारतीयों गेहूं की डिमांड अभी भी विदेशों में बरकरार है। जानिए वह कारण जिनके चलते भारतीय गेहूं (Bhartiya Gehu Niryat News) अधिक पसंद किया जा रहा है।
Bhartiya Gehu Niryat News : पिछले महीने गेहूं के निर्यात पर सरकारी प्रतिबंध लगाने के उपरांत दुनिया के सबसे बड़े अनाज आयातकों में से एक इंडोनेशिया और बांग्लादेश सहित पांच इस्लामिक देशों ने गेहूं की आपूर्ति के लिए भारत से अनुरोध किया है। भारतीय गेहूं विदेशों में दो वजह से अधिक पसंद किया जाता है।
भारतीय गेहूं की विमान इसलिए विदेशों में ज्यादा
अंतरराष्ट्रीय गेहूं (Bhartiya Gehu Niryat News) के भाव की तुलना में भारतीय गेहूं का भाव अपेक्षाकृत सस्ता है। जिससे इस्लामिक देशों की भारत की तरफ गेहूं के लिए नजर टिका रखी है। ऐसे में देखना यह होगा कि आखिरकार केंद्र सरकार इन इस्लामिक देशों के लिए कितना गेहूं का इंतजामात कर पाते हैं। जिसको लेकर ‘ देखा और इंतजार करो ‘ की नीति अपनाई जा रही है।
केंद्र सरकार जल्द लेगी अंतिम निर्णय
भारत को इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन से गेहूं निर्यात के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार गेहूं की उनकी जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है। जिसके बाद इन देशों को कितना गेहूं निर्यात किया जाएगा, जिस पर अंतिम फैसला किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 13 मई 2022 को भारत में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि वह अपने पड़ोसियों और जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात करता रहेगा।
वहीं हाल ही में भारत ने इंडोनेशिया और बांग्लादेश सहित कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार 12 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी देने की तैयारी में है। वहीं केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 2022 – 23 के लिए भारत में गेहूं का अनुमानित उत्पादन लगभग 105 मिलियन टन है। देश की 130 करोड़ आबादी की जरूरतों के लिए 30 मिलियन टन की जरूरत है।
दुनिया भर में खाद्य संकट
वही संयुक्त राष्ट्र की फूड एजेंसी पॅड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने अनुमान जताया है कि भारत 2022 – 23 में 70 लाख टन गेहूं निर्यात करेगा। क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से छिड़ी जंग ने दुनिया भर में खाद्य संकट पैदा कर दिया है। चूंकी रूस और यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल है। बहरहाल युद्ध के चलते रूस और यूक्रेन से होने वाले गेहूं का निर्यात बाधित हुआ है। इससे उन देशों को गेहूं की कमी महसूस हो रही है जोकि रूस और यूक्रेन से गेहूं का आयात करते थे। वही आईएमएफ की तरफ से कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से लगभग 30 देशों ने खाद्यान्न और ईंधन सहित अन्य जरूरी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं।
भारतीय गेहूं की कम कीमत होना बढ़ा कारण
Bhartiya Gehu Niryat News : भारतीय गेहूं की मांग के पीछे एक बड़ा कारण, इसकी कम कीमत है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि कीमत बढ़ने के बाद भी भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय भाव की तुलना में 40% सस्ते में उपलब्ध हैं। यही प्रमुख कारण है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया की निगाह भारत के गेहूं पर टिकी है।
वहीं डीजीसीआईएस की तरफ से कहा गया है कि भारत ने 2021 – 22 में बांग्लादेश को लगभग एक अरब डॉलर मूल्य का गेहूं निर्यात किया था। वहीं भारत ने 2021 – 22 में दक्षिण पूर्व एशिया और लगभग 10.5 करोड़ डॉलर मूल्य की गेहूं का निर्यात किया था। इसके अतिरिक्त 2020 में यमन ने रूस और यूक्रेन से और यूएई ने रूस से काफी मात्रा में गेहूं का आयात किया था।
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