खेती-किसानी

काले गेंहू की खेती को लेकर बड़ा खुलासा, जानें काले गेहूं की खेती की वास्तविकता क्या है ?

गेंहू–जौ अनुसंधान निदेशालय करनाल ने काले गेंहू की खेती (Black Wheat Cultivation) को लेकर बड़ा खुलासा किया है, लेख को अंत तक पढ़े...

Black Wheat Cultivation | काला गेहूं उत्पादन को लेकर देश के किसानों में अजीब होड़ मची है। हालात यह है कि फसल तैयार होने से पहले ही किसान-उपभोक्ता बीज और दाने की बुकिंग करा रहे है। साथ ही, तीन गुना ऊंचे दाम भी चुका रहे है। जबकि सामान्य गेहूं बाजार में 2200-2400 रूपए प्रति क्विंटल के औसत भाव से बिक रहा है। लेकिन, भेड़ चाल के चलते काला गेहूं बाजार में 7 – 8 हजार रूपए प्रति क्विंटल (Black Wheat Cultivation) के भाव से बिकने लगा है।

अभी तक काले गेंहू की कोई किस्म जारी नहीं हुई

इस समय काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) का उत्पादन करने वाले किसान फूले नहीं समा रहे है। वहीं, जानकारी के अभाव में राजनैतिक दलों से जुड़े जनप्रतिनिधि और यहां तक की प्रदेश के कुछ कृषि वैज्ञानिक काले गेहूं को पौष्टिक बता रहे है। साथ ही किसानों की आय दोगुना करने वाला भी करार देने में लगे हैं। जबकि, गेहूं- जौ अनुसंधान निदेशालय, करनाल के वैज्ञानिकों की माने तो देश में काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) की कोई किस्म ही जारी नहीं हुई है।

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काला गेंहू (Black Wheat Cultivation) कई बीमारियों का वाहक

जिस काले गेहूं का उत्पादन (Black Wheat Cultivation) किसान कर रहे हैं, वह पीली-भूरी रोली के साथ-साथ कई बीमारियों का वाहक है नजर डाले काले गेहूं की पौष्टिकता पर तो इसमें सामान्य गेहूं किस्मों की तुलना में ना तो प्रोटीन ज्यादा है ना ही आयरन जिंक की मात्रा इसकी चपाती भी बेस्वाद है। गौरतलब है कि काले गेहूं की सच्चाई जानने के लिए गेहूं (Black Wheat Cultivation) जो अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने शोध किया है।

अंधाधुंध खरीद रहे काला गेंहू

गेंहू–जौ संस्थान, करनाल के इस शोध में सामान्य गेहूं किस्मों (Black Wheat Cultivation) की तुलना में काला गेहूं चारों खाने चित हुआ है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि काले गेहूं की उत्पादकता और गुणवत्ता, सामान्य गेहूं किस्मों से कमजोर है। उनका कहना है कि देश के किसी भी कृषि संस्थान के द्वारा काले गेहूं की कोई किस्म जारी नहीं की गई है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि काला गेहूं (Black Wheat Cultivation) का बीज किसानों के पास आया कहां से कौन इसको बायोफोर्टीफाइड़ बताकर बढ़ावा देने में जुटा है। यदि सरकार मामले की जांच कराये तो किसानों से ठगी का बड़ा खेल उजागर हो सकता है क्योंकि, किसानों तक करने गेहूं का बीज पहुंचना सीधे-सीधे सिस्टम को चैलेंज कर रहा है।

गौरतलब है कि किसी भी नई किस्म का बीज सरकार से न होने के बाद ही किसी को उपलब्ध करवाया जाता रहा है। जबकि, अब तक इतिहास में काले गेंहू (Black Wheat Cultivation) की किसी भी किस्म को भारत सरकार ने अधिसूचित नहीं किया है।

परीक्षण में हुआ फेल (Black Wheat Cultivation)

काले गेहूं को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक के निर्देश पर गेहूं-जो अनुसंधान निदेशालय ने वर्ष 2018-19 से अब तक दो साल तक काले गेहूं की किस्मों (Black Wheat Cultivation) का परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान काले गेहूं की उत्पादकता सामान्य गेहूं किस्मों की तुलना में काफी कम रही। साथ ही कई रोगों का प्रकोप भी इस किस्म में देखने को मिला है।

काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) की ट्रायल के पीआई रहे प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि नायी द्वारा तैयार काले गेहूं की सीन जनक दव्य (जर्मलाज्म) के ट्रायल संस्थान में लगाए गए।

उत्पादन में भी खरा नहीं उतरा काला गेंहू

काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) की कथित 09, 10 और 11 जनक द्रव्य शामिल रहे। इन जनक द्रव्य के साथ गेहूं का एचडी- 3086 का चेक लगाया गया। परीक्षण में 09 जनक दव्य 45.5 क्विंटल प्रति हेक्टयर उपज के साथ 33वेंस्थान पर रहा। वहीं, 11 से प्रति हेक्टयर 45.6 क्विंटल उपज मिली। यह किस्म 36वें और 010 किस्म 53.3 क्विंटल उपज के साथ 24वें स्थान पर रही।

जबकि चेक वेरायटी 59.7 विवंटल प्रति हेक्टयर उपज के साथ तीसरे स्थान पर रही है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो काले गेहूं का विकास पंजाब के मोहाली स्थित राष्ट्रीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (नाबी) ने किया है। नाथी के पास इसका पेटेंट भी है। अब सवाल यह है कि बिना भारत सरकार के अधिसूचित किए बिना इस संस्थान ने काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) की किस्म का बीज किसानों को कैसे पहुंचा दिया।

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पौष्टिकता में भी काला

लैब जांच में काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) की पटिकता और गुणवता पर भी गेहूं-जो अनुसंधान निदेशालय ने सवालिया निशान लगाया है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सेवाराम ने बताया कि काले गेहूं की गुणवत्ता जांच में कुछ भी ऐसे तथ्य सामने नहीं आए है, जिससे कहा जा सके कि काला गेहूं पोषक तत्वों से भरपूर है। उनका कहना है कि काले गेहूं में प्रोटीन, आयरन, जिंक सहित दूसरे पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य गेहूं किस्मों (Black Wheat Cultivation) की तुलना में कम पाई गई है।

सोशल मीडिया पर हव्वा

राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, जयपुर में गेहूं-जो अनुसंधान परियोजना से जुड़े डॉ. प्रदीप सिंह शेखावत ने बताया कि काले गेहूं (Black Wheat Cultivation) को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किये जा रहे है। लेकिन, ये दावे हकीकत से कोसो दूर है। इससे किसानों की लागत में इजाफा हो रहा है।

साथ ही, उपभोक्ताओं को भी आर्थिक नुकसान जानकारी के अभाव में उठाना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश के किसानों के साथ-साथ मीडियाकर्मियों और उपभोकओं को भी जागरूकता से काम लेने की जरूरत है।

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छोटे किसानों पर आर्थिक मार

आय बढ़ाने के फेर में लघु-सीमांत किसान काले गेहूं की खेती (Black Wheat Cultivation) करने को लालायित है। लेकिन, किसानों को यह नहीं पता कि कृषि उपज मंडियों में काले गेहूं का कोई खरीददार नहीं है। ऐसे में लघु और सीमांत श्रेणी कृषकों को जागरूकता से काम लेने की जरूरत 4-5 बीघा कृषि जोत है। ऐसे में महंगा बीज खरीदकर किसान ने काले गेहूं की खेती कर भी ली है। लेकिन, बाजार में नहीं बिका है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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