कृषि समाचार

गेहूं के बाद इस फसल पर भी अस्थाई प्रतिबंध लगने के संकेत

केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के पश्चात इस फसल पर भी अस्थाई प्रतिबंध (Cotton export ban 2022) लगने के संकेत मिलने लगे हैं। इसकी वजह क्या है? जानिए।

Cotton export ban 2022 | देश में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है गेहूं पर प्रतिबंध लगाए जाने का असर यह हुआ कि गेहूं के भाव में गिरावट हुई इधर इसी प्रकार एक और फसल पर केंद्र सरकार प्रतिबंध लगा सकती है इसके संकेत केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह ने दिए हैं। बताया जा रहा है कि यह निर्णय कपास की सीमित उपलब्धता के चलते लिया जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि कपास की सीमित उपलब्धता के कारण आगामी तीन चार महीने कपड़ा क्षेत्र के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार कपास के निर्यात पर अस्थाई प्रतिबंध लगा सकती है। हालांकि प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई समयसीमा नहीं दी गई है।

वैश्विक बाजार मे कपास के भाव 6% उछले(Cotton export ban 2022)

भारतीय बाजारों में कपास की कीमतें लगभग 46000 रुपए प्रति कैडी के नए स्तर पर पहुंच गई है जो की पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई हैं। वही वैश्विक बाजार मे भी कपास के भाव में 6% का उछाल आया है। दरअसल महीने दर महीने के आधार पर कपास की कीमतों में 12% की तेजी देखी गई है इस बार कपास के भाव में 35% का उछाल आया है और पिछले 12 महीने में कपास की कीमतों में लगभग 75% का इजाफा हुआ है। वही 2021-22 के लिए कपास का वैश्विक उत्पादन लगभग 26.52 मिलियन गांठ था।

कपास की वैश्विक खपत लगभग 27 लाख गांठ से अधिक थी। इसलिए कपास की कीमत में ऊंचे स्तरन पर कमी जरूर हुई है। ऐसे में भारतीय कपड़ा क्षेत्र से बयान रहे हैं कि कपास के निर्यात पर अस्थाई प्रतिबंध की जरूरत हो सकती है अथवा कोई अन्य प्रतिबंध भी हो सकते हैं वहीं पिछले माह के मध्य में केंद्र सरकार की तरफ से 30 सितंबर 2022 तक कपास के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है वहीं कपास की नई फसल खुले बाजार में आने लगी है।

गर्मी के कारण कपास की पैदावार प्रभावित हुई

कृषि विशेषज्ञों की माने तो इस वर्ष गर्मी एवं मौसम की प्रतिकूलता के कारण कपास की पैदावार प्रभावित हुई है।

प्रचंड गर्मी और कपास की कम पैदावार के चलते कपास की नई फसल को लेकर थोड़ी सुविधा और चिंता है जिससे कपास की कीमतों में प्रीमियम भी जोड़ा है। दरअसल भारतीय कपड़ा उद्योग कई महीनों से कपास के आयात पर शुल्क हटाने की मांग कर रहा था। जिसके बाद आखिरकार केंद्र सरकार सहमत हो गई और अप्रैल के मध्य में लगभग 11% आयात शुल्क को हटा दिया।

ऐसे में शुल्क हटने के तुरंत बाद भारत के उच्च आयत की संभावनाओं पर कपास में तेज वृद्धि दर्ज की गई इसके अतिरिक्त अमेरिका के टेक्सास राज्य में सूखे के आशंका ने भी आईस कपास की कीमतों को बढ़ाने में योगदान दिया।

अक्टूबर तक कपास की कीमत में नरमी की संभावना नहीं

वैश्विक कीमतों में तेजी के संकेत के चलते भारतीय कपास की कीमतों में भी तेजी आई ऐसे में शुल्क में शुल्क हटाने के तुरंत बाद कपास की कीमतों में नरमी के बाद तेजी आई हालांकि कपड़ा उद्योग संघों की तरफ से शिकायत की गई थी कि आयात शुल्क में कटौती के निर्णय पर पहुंचने में 2 माह की देरी के चलते कपास की कीमत 60000 महीना 17000 रुपए से बढ़कर ₹95000 प्रति कैंडी 56 किलोग्राम हो गई।

वहीं केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के सचिव उपेंद्र प्रसाद ने हाल ही में कहा था कि अक्टूबर तक कपास की कीमत में नरमी की संभावना नहीं है, जब तक नई फसल आ जाएगी ऐसे में कपड़ा उद्योग को कपास की अत्यधिक कीमतों और वैश्विक बाजार में सीमित आपूर्ति का सामना करना पड़ेगा ऐसे में कपड़ा उद्योग का तर्क है कि इस समय किसानों को कपास की उच्च कीमतों से कोई लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि कृषि क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास 70 किलोग्राम के लगभग 5 – 60 लाख गांठ कपास का स्टॉक जमा है।

निर्यात पर प्रतिबंध से कपास की कीमतों में गिरावट आएगी

घरेलू जींस एक्वेंजों में कपास के भविष्य का व्यापार भी कपास में तेजी के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार कपास के निर्यात को प्रतिबंधित करती है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां घरेलू बाजार में स्टॉक बेचने के लिए मजबूर होंगी जिससे कपास की कीमतों में गिरावट आएगी। बहरहाल इस समय भारत से कपास का निर्यात मूल्य और समानता के चलते तेजी से घट रहा है।

इससे पहले चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया और बांग्लादेश जैसे कई देश भारत से सस्ता कपासन आयात कर रहे थे। बहरहाल महंगा भारतीय कपास अब कई देशों के लिए अव्यवहारिक हो गया है। जिसको लेकर कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) की तरफ से कहा गया है कि मार्च 2022 के तीसरे सप्ताह तक चालू सीजन में लगभग 40 लाख गांठ कपास का निर्यात किया गया था।

कपास का निर्यात सिर्फ बांग्लादेश को ही किया जा रहा

Cotton export ban 2022 | मौजूदा हालात में कपास का निर्यात सिर्फ बांग्लादेश को ही किया जा रहा है वही इस महीने लगभग 3 – 4 लाख गांठ की खेप आने की उम्मीद है। इससे पहले मासिक कपास निर्यात प्रतिबंध के मनोवैज्ञानिक दबाव की आशंका है हालांकि शुरुआत में कपास की कीमतों के प्रतिबंध में तुरंत नरमी आने की संभावना है बहरहाल देश में कपास की सीमित उपलब्धता के चलते कीमतों में गहरी कटौती संभव नहीं है।

वही कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) की तरफ से कहा गया है कि 50 लाख गांठ कपास किसानों के पास बचा है। इसमें से लगभग 10 लाख गांठ मौजूदा सीजन में आ सकती है। सीएआई ने इस सीजन में कुल 45 लाख गांठ कपास निर्यात का अनुमान लगाया है। ऐसे में आगामी महीने में कपास का निर्यात नगण्य रहेगा। ऐसे में यदि कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो कपास की कीमत में तेज गिरावट नहीं हो सकती है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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