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ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने तैयार किया गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर, जानें इसके फीचर

ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से चलने वाला एक ट्रैक्टर (Cow dung Tractor T7 features) बनाया है, जिसमे पेट्रोल डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसकी अन्य खासियत जानें लेख में...

Cow dung Tractor T7 features | आमतौर पर सभी वाहन पेट्रोल डीजल से ही चलते है, लेकिन ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ट्रैक्टर बनाया है। जिसमे पेट्रोल डीजल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, यह ट्रैक्टर गोबर से आसानी से चलेगा। इस ट्रेक्टर को बेनामन कंपनी के द्वारा बनाया गया है। इसकी अन्य खासियत जानने के लिए लेख को पूरा पढ़े…

ट्रेक्टर T7 की खासियत (Cow dung Tractor T7 features)

यह ट्रैक्टर बेनामन कंपनी के द्वारा बनाया गया है। दावा किया जा रहा कि इस ट्रैक्टर की परफॉर्मेंस आम ट्रैक्टर की ही तरह होगी। साथ ही प्रदूषण भी कम करेगा। इस ट्रैक्टर के लिए करीब 100 गायों के गोबर को एकत्र कर बायोमीथेन में बदला गया है।

गाय के गोबर से आपने खाद और पेंट बनते सुना होगा, लेकिन इसका इस्तेमाल आपने ईंधन के तौर पर होते हुए नहीं देखा होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब गोबर की मदद से कृषि यंत्रों को चलाया जाएगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा ट्रैक्टर (Cow dung Tractor T7 features) तैयार किया जा चुका है, जो गोबर से चलेगा। इसका नाम T7 है।

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कैसे काम करेगा T7 ट्रैक्टर

Cow dung Tractor T7 features | T7 ट्रैक्टर में क्रायोजेनिक टैंक लगाया गया है। यह ईंधन की तरलता बनाए रखेगा। क्रॉयोजेनिक टैंक 160 डिग्री के तापमान में बायोमीथेन को लिक्विफाइड करता है।

गोबर से बने इस ईंधन से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर आसानी से चल सकता है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर में पाई जाने वाली मिथेन गैस का इस्तेमाल ट्रैक्टर (Cow dung Tractor T7 features) को चलाने में किया है। यह ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार सीएनजी गैस का उपयोग कर हम गाड़ियां चलते आ रहे हैं।

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किसानों को मिलेगा यह फायदा

(Cow dung Tractor T7 features)

किसानों को ये ट्रैक्टर मिलने के बाद उनके अतिरिक्त खर्च में भी कटौती की जाएगी। अतिरिक्त खर्च में कटौती के चलते किसान बची हुई राशि का इस्तेमाल फसल की बेहतरी के लिए कर सकेगा। इससे उपज भी बढ़ेगी और किसानों को मुनाफा भी बढ़ेगा।

आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्रैक्टर (Cow dung Tractor T7 features) के पूर्व-उत्पादन मॉडल का एक वर्ष के लिए परीक्षण किया गया था। दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के कॉर्नवाल काउंटी में एक खेत में परीक्षण के दौरान, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन केवल एक वर्ष में 2,500 मीट्रिक टन से 500 मीट्रिक टन तक कम हो गया था।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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