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इस फसल की खेती से होंगे मालामाल, 1 क्विंटल 134000 रूपए की, जानें इसकी खेती की जानकारी

पोस्ता दाना की खेती से मालामाल (Earning from poppy cultivation) हो जाएंगे किसान, इससे कमाई का तरीका एवं पोस्ता दाना की खेती की संपूर्ण जानकारी जानें लेख में...


Earning from poppy cultivation | किसान साथियों को आज हम यहां इस लेख में एक ऐसी फसल की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी बताएंगे, जिनसे आप मालामाल हो जाएंगे। बता दे की, 1 क्विंटल पोस्ता दाना की कीमत लगभग 1 लाख 34 रूपए तक है। तो आइए जानें पोस्ता दाना की खेती की संपूर्ण जानकारी...

पोस्ता दाना की खेती

अफीम/खसखस/पोस्त (Earning from poppy cultivation) का पौधा Papaver somniferum एक बहुत ही महतवपूर्ण औषधीय पौधा है ! इसके उत्पाद जैसे अफीम और कोडीन महत्वपूर्ण दवाएं हैं जो की दर्द कम करने और कृत्रिम निद्रावस्था के लिए उपयोग की जाती हैं !

अफीम के एक अर्ध सिंथेटिक उत्पाद जो हेरोइन के नाम से जाना जाता है ने दुनिया की व्यापक सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया है। भारत में इसकी खेती (Earning from poppy cultivation) मध्य प्रदेश, राजस्थान और यू.पी. तक ही सीमित है।

क्या है पोस्ता दाना ?

Papaver somniferum एक सीधा बढ़ने वाला पौधा (Earning from poppy cultivation) है जिसमे शाखाए नही होती या बहुत ही कम होती होती है। इसका रंग सलेटी नीला-हरा होता है। अफीम के पौधे की ऊंचाई 60 से 120 cm होती है।

इसकी पत्तियाँ ओवेट, आयताकार या रैखिक आयताकार होती हैं। इसके फूल बड़े आकार के हलके नीले रंग के होते है जिसका आधार बैंगनी या सफ़ेद या भिन्न प्रकार का होता है।

अफीम कैप्सुलर प्रकार के फलों का उत्पादन (Earning from poppy cultivation) करता है जिसको डोडा या डोडे भी कहा जाता है जिनमें चीरा देने पर द्रव्य पदार्थ (लेटेक्स) निकलता है जिसको अफीम के रूप में जाना जाता है। डोडे (फल) आकार में लगभग 2.5 सेंटीमीटर तथा गोलाकार होते हैं।

इसके बीज सफेद या काले रंग के और लगभग एक जैसे होते हैं। हालाँकि अफीम के पौधे के हर हिस्से से सफ़ेद दुधिया पदार्थ मिलता है लेकिन इसके कैप्सूल(फल) में अधिक मात्रा में सफ़ेद लेटेक्स मिलता है।

पोस्ता दाना की खेती के लिए जलवायु

यह समशीतोष्ण (ठंडी) जलवायु की फसल है लेकिन उपोष्णकटिबंधीय (गर्मी वाले) क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। ठंडी जलवायु में अधिक उपज (Earning from poppy cultivation) होती है लेकिन दिन / रात का अधिक तापमान आम तौर पर उपज को प्रभावित करता है। पाले वाला (फ्रॉस्टी) या अधिक तापमान, बादल या बरसात का मौसम न केवल अफीम उत्पादन को कम करता है, बल्कि गुणवत्ता को भी कम करता है।

पोस्ता दाना की खेती के लिए जमीन

पोस्ता दाना की खेती के लिए (Earning from poppy cultivation) ​​एक अच्छी जल निकासी वाली, अत्यधिक उपजाऊ, हल्की काली या दोमट मिट्टी जिसकी पीएच 7.0 के आसपास हो उचित होती है।

पोस्ता दाना की किस्मे

भारत में बहुत सारी अफीम की लोकल किस्मे उगाई जाती है। अफीम की ये किस्मे पत्तियों (Earning from poppy cultivation) की बनावट, फूलो की बनावट तथा डोडे/कैप्सूल(फल) की बनावट में अलग अलग होती है। जवाहर अफीम 16, जवाहर अफीम 539, जवाहर अफीम 540, विलियम्स, धोलिया व्यावसायिक खेती के लिए अनुशंसित कुछ स्थानीय जातियाँ हैं।

भूमि की तैयारी

खेत (Earning from poppy cultivation) की 3 से 4 बार जुताई करके मिटटी को भुरभुरा बना लिया जाता है। सुविधाजनक आकार के बेड (क्यारियाँ) में तैयार किया जाता है।

पोस्ता दाना की बुवाई

बीज को या तो छिडकाव विधि से या लाइनों में बोया जाता है। बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक जैसे डाइथेन एम 45 @ 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित किया जाता है।

क्यारियों में समान रूप से छिडकाव सुनिश्चित करने के लिए बीज को आमतौर पर रेत के साथ मिलाकर बोया जाता है। लाइन बुवाई (Earning from poppy cultivation) को ज्यादा पसंद किया जाता है क्योंकि छिट्टा विधि में ज्यादा बीज लगता है, फसल का जमाव कम होता है तथा खड़ी फसल में दुसरे कार्य जैसे खरपतवार निकालने आदि में कठिनाई आती हैं। बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में है।

पोस्ता दाना की खेती के लिए बीज की मात्रा

छिट्टा विधि के लिए बीज दर 7-8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और लाइन बुवाई के लिए 4-5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। लाइनों के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच (Earning from poppy cultivation) 30 सेमी की दूरी को आम तौर पर अपनाया जाता है।

खाद प्रबंधन

पोस्ता दाना ​​खाद और उर्वरक डालने पर उल्लेखनीय रूप से प्रतिक्रिया करता है ! देशी खाद या उर्वरक अफीम की उपज और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाते हैं। खेत तैयारी के समय फार्म यार्ड खाद 20-30 टन प्रति हेक्टेयर मिलाई जाती है।

इसके अलावा 60-80 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 40-50 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है। पोटाश डालने (Earning from poppy cultivation) की आवशकता कम ही पड़ती है। आधी नाइट्रोजन और पूरे फास्फोरस को बुवाई के समय लगाया जाता है और शेष आधे नाइट्रोजन को रोसेट स्टेज पर दिया जाता है।

पोस्ता दाना में सिंचाई

पोस्ता दाना की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए एक सावधानीपूर्वक सिंचाई प्रबंधन आवश्यक है। एक हल्की सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद दी जाती है और 7 दिनों के बाद दूसरी हल्की सिंचाई की जाती है जब बीज अंकुरित होने लगते हैं।

फूल आने की अवस्था से पहले तक हर 12 से 15 दिनों के अंतराल पर लगभग तीन सिंचाई की जाती है। फूलों के आने के समय तथा डोडे (कैप्सूल) बनने के दौरान 8-10 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई (Earning from poppy cultivation) की जाती है।

आम तौर पर 12 से 15 सिंचाई पूरी फसल अवधि के दौरान दी जाती है। फल आने के समय और लेटेक्स निकालने के चरण के दौरान नमी की कमी उपज को काफी कम कर सकती है।

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चीरा (लांसिंग) और लेटेक्स संग्रह

पोस्ता दाना बुवाई के बाद 95 – 115 दिनों में फूल आने शुरू हो जाते है। फूल आने के 3-4 दिन बाद पंखुड़ियां झड़ने लगती हैं। डोडे(कैप्सूल) फूल आने के 15-20 दिनों के बाद पकने शुरू (Earning from poppy cultivation) हो जाते हैं।

डोडे (कैप्सूल) में चीरा देने में सबसे अधिक द्रव्य(लेटेक्स) इसी स्टेज पर निकालता है। इस स्टेज को पहचानने के लिए डोडे की कठोरता तथा डोडे पर धारियों में हरे रंग से हल्के हरे रंग के बदलाव से देखा जा सकता है।

इस स्टेज (चरण) को औद्योगिक परिपक्वता कहा जाता है। चीरा (लांसिंग) तीन से चार समान दुरी पर नोक वाले चाकू से लगाया जा सकता है जो की डोडे में 1-2 मिमी से अधिक नहीं घुसते हैं। बहुत गहरा या बहुत हल्का चीरा उचित नहीं है। प्रत्येक डोडे(कैप्सूल) में दो दिन के अंतराल पर सुबह आठ बजे से पहले चीरा(लैंसिंग) लगाया जा सकता है। चीरे की लंबाई डोडे की लम्बाई से कम या 1/3rd होनी चाहिए।

पोस्ता दाना कटाई और थ्रैशिंग

सबसे आख़िर वाले चीरे (Earning from poppy cultivation) के बाद जब डोडे से द्रव निकलना बंद हो जाता है तब फसल को 20 से 25 दिन के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। पौधो से डोडे तोड़कर इक्कठे किये जाते है और पौधे को दरांती के साथ काट दिया जाता है। इक्कठे किये हुए डोडे खुले मैदान में सुखाये जाते है और लकड़ी की रॉड से पीटकर बीज निकालकर इकट्ठा किया जाता है।

पोस्ता दाना की उपज

कच्ची अफीम/पोस्तदाना (Earning from poppy cultivation) की पैदावार 50 से 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक होती है। यह कच्ची अफीम ज्यादातर इसके डोडे(कैप्सुल फल) से मिलती है जिसको लेटेक्स के रूप में इक्कठा किया जाता है।

पोस्ता दाना से कमाई

बता दे की इसकी फसल (Earning from poppy cultivation) से किसान लाखो कमा सकता है। हालांकि इसकी खेती से उपज कम मिलती है। लेकिन कमाई की बात करे तो 1 क्विंटल पोस्ता दाना की अधिकतम कीमत नीमच मंडी में 1 लाख 34 हजार रुपए तक है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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