गेहूं निर्यात प्रतिबंध किसानों के साथ व्यापारियों की भी हो रही फजीहत, व्यापारी पहुंचे कोर्ट
गेहूं निर्यात पर अचानक प्रतिबंध (Gehu Niryat News 2022) लगाए जाने के पश्चात किसान एवं व्यापारी परेशान हुए, जिसके बाद व्यापारी कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं।
Gehu Niryat News 2022 | केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर गत 13 मई को रातों-रात प्रतिबंध लगा देने से निर्यातकों और व्यापारियों के लिए काफी कठिनाईयां खड़ी हुई, किसानों को जहां गेहूं के भाव में मंदी के कारण नुकसान हुआ, वहीं व्यापारियों को ऊंचे भाव में खरीदी के पश्चात गेहूं निर्यात नहीं होने के कारण घाटा उठाना पड़ा। इधर अब एक और परेशानी खड़ी हुई है जिसके कारण व्यापारी कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं।
व्यापारियों के कोर्ट में जाने का यह कारण है (Gehu Niryat News 2022)
गेहूं निर्यात को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारों ने अपने-अपने स्तर पर व्यापारियों को राहत प्रदान की थी। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई सुविधाएं दी थी, यही कारण रहा कि व्यापारियों ने ऊंचे भाव में गेहूं खरीदा। जिसका फायदा किसानों को हुआ, वहीं व्यापारियों ने खरीदे हुए गेहूं के निर्यात को लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों से सोदे किए, लेकिन अब मल्टीनेशनल कंपनियां यह गेहूं लेने से मना कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है, मल्टीनेशनल कंपनियां गेहूं बेचने वाले व्यापारियों को अनावश्यक दंडित कर रही है और अब मामला कोर्ट में पहुंचा है।
प्रतिबंध आने पर कई मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा व्यापारी ग्रहों के माल उठाने से इनकार करने पर इन व्यापारी ग्रहों और कंपनियों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ है। मल्टीनेशनल कंपनियों का कहना है कि निर्यात पर प्रतिबंध आने से हम क्या करें, हमारी कोई गलती नहीं है। वहीं दूसरी ओर इस विषय में व्यापारी ग्रहों का कहना है कि हमने गेहूं मल्टीनेशनल कंपनियों को बेचा है न कि निर्यातकों को। उनका तर्क यह भी है कि कांट्रेक्ट में ऐसी कोई शर्त भी नहीं थी कि यदि निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा तो सौदा रद्द माना जाएगा।
व्यापारियों ने भेजा कानूनी नोटिस
उत्तर प्रदेश के अनाज का व्यापार करने वाली कंपनी त्रिदेव ट्रेडर्स ने मुंबई की केएम एग्रो रिसोर्सेज कंपनी को गेहूं की खरीदी का आर्डर अचानक रद्द करने पर कानूनी नोटिस भेजा है और त्रिदेव ने खुद को होने वाले नुकसान की भरपाई करने का दावा किया है। त्रिदेव के प्रोपराइटर मनीष अग्रवाल ने बताया कि मैंने 21 मई को कॉन्ट्रैक्ट कंफर्म किया था और रेलवे ट्रैक में कंटेनर लोडिंग शुरू की थी और हमें मैसेज करके लोडिंग न करने और सौदा रद्द करने की जानकारी दी। इसलिए हमें लोडिंग, अनलोडिंग तथा बाजार में कम भाव पर गेहूं बेचने से बड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि केएम एग्रो के अनुसार उन्हें कोई कानूनी नोटिस नहीं मिला था। मध्यप्रदेश के ब्रोकर राजू खंडेलवाल ने कहा कि लगभग सभी मल्टीनेशनल कंपनियों ने व्यापारियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया है।
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नियमों में ढील मिलते मिलते ही निर्यात में छूट की उम्मीद
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सामने भारत सरकार ने खाद्यान्न् के निर्यात के नियमों में ढील देने की मांग उठाई है। दरअसल डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत सरकारी खरीदी यानी एमएसपी पर सरकार द्वारा खरीदा गया अनाज किसी भी देश में निर्यात नहीं किया जा सकता। भारत इस नियम में राहत की मांग कर रहा है।
वैश्विक खाद्यान्न् संकट के मद्देनजर भारत एक देश की सरकार से दूसरे देश की सरकार को खाद्यान्न् कमी में मदद के तौर पर ऐसे निर्यात की अनुमति चाहता है। साफ है कि आने वाले समय में सरकारी गोदामों से माल विदेश निर्यात हो सके इसकी संभावना देश में तलाशी जा रही है।
गेहूं निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा
Gehu Niryat News 2022 | इधर, केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि गेहूं निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध किसी भी सूरत में फिलहाल नहीं हटाया जाएगा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि फिलहाल सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी दुनिया में अस्थिरता का दौर है। ऐसे में यदि हम गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटा देंगे तो इसका फायदा कालाबाजारी, जमाखोरों और सट्टेबाजी को होगा।
उन्होंने कहा कि यह न तो जरुरतमंद देशों के हित में होगा और न ही गरीब लोगों की मदद कर पाएगा। ऐसे में इससे बचने का स्मार्ट तरीका यह है कि सरकारी रुट के माध्यम से ही गेहूं का निर्यात किया जाए। ऐसे में हम जरुरतमंद और गरीब लोगों को सस्ता गेहूं उपलब्ध करा सकेंगे। उल्लेखनीय है कि दुनिया के कई देशों सहित विश्व मुद्रा कोष ने भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की आलोचना की थी। जिसके तहत भारत के निजी कारोबारियों के लिए गेहूं निर्यात को फिर से खोलने की बात को लेकर सवाल किया गया था।
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