गेहूं निर्यात पर रोक लगाने से किसका फायदा – नुकसान होगा जानिए
केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के फैसले (Gehu Niryat pr Rok se Fayda/Nuksan) से किसका फायदा नुकसान होगा जानिए।
विदेशी मार्केट में गेहूं के दाम बढ़ने से स्थानीय स्तर पर भी गेहूं के भाव ऊंचे बने हुए हैं यही कारण है कि केंद्र सरकार ने महंगाई का हवाला देते हुए गेहूं निर्यात (Gehu Niryat pr Rok se Fayda/Nuksan) पर तत्काल कुछ शर्तों के साथ रोक लगा दी। भले ही केंद्र सरकार ने दुनिया में बढ़ती कीमतों के कारण गेहूं की कीमतों के कारण यह फैसला लिया हो किंतु केंद्र के इस फैसले से कईयों को फायदा एवं नुकसान झेलना पड़ सकता है। केंद्र सरकार से के इस फैसले से किसानों पर क्या असर पड़ेगा एवं किसानों का फायदा होगा या नुकसान यह जानिए। इसके साथ यह भी जानिए कि यह लोग कब तक के लिए रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम बढ़ने से निर्यात पर लगी रोक
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने गेहूं के निर्यात (Gehu Niryat pr Rok se Fayda/Nuksan) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम में बेतहाशा वृद्धि होना है। गेहूं के दाम में तेजी दर्ज किए जाने के बाद सरकार ने ये फैसला किया है। सरकार ने गेहूं के निर्यात को अब ‘प्रतिबंधित’ सामानों की कैटेगरी में डाल दिया है। इसकी एक बड़ी वजह इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के दामों में बेहताशा तेजी आना है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT)ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर सरकार के इस फैसले की जानकारी दी। हालांकि निर्यात के लिए 13 मई से पहले लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है, उनका एक्सपोर्ट करने की अनुमति होगी।
विशेष अनुमति के साथ निर्यात जारी रहेगा
सरकार ने अपने आदेश में साफ किया है कि गेहूं का निर्यात उन देशों के लिए संभव होगा, जिनके लिए भारत सरकार अनुमति देगी। इस संबंध में सरकार जरूरतमंद विकासशील देशों की सरकार के आग्रह के आधार पर फैसला लेगी ताकि वहां भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। नोटिफिकेशन में कहा गया है, ‘भारत सरकार देश में, पड़ोसी देश और अन्य विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। खासकर के उन देशों को जहां ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमतों में आए इस अचानक बदलाव का विपरीत असर हुआ है और वे गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में अक्षम हैं।
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हर जगह बढ़ रहे गेहूं के दाम
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक बाजारों में गेहूं के दाम बेहताशा बढ़े हैं। रूस और यूक्रेन गेहूं के बड़े उत्पादक देश हैं और युद्ध की वजह से इन देशों से आपूर्ति बाधित हुई है. गेहूं की इंटरनेशनल मार्केट में कीमतें करीब 40% तक बढ़ चुकी हैं। इसी कारण जबकि गेहूं की सरकारी खरीद में करीब 55% की गिरावट दर्ज की गई है, क्योंकि गेहूं का बाजार मूल्य इस समय सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा है। सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
कांडला में गेहूं 2600 रुपये के स्तर पर, बढ़ी मांग
गेहूं के बाजार की सुस्ती एकाएक दूर हो गई। एक दिन पहले तक मंडी में गेहूं की लेवाली सुस्त पड़ी हुई थी। शुक्रवार शनिवार को फिर लेवाली और कारोबारी पूछताछ शुरू हो गई। कांडला में गेहूं के दाम उछलकर 2600 रुपये पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि बंदरगाह पर एक दो जहाज लग चुके हैं। ऐसे में जल्दी लदान करने के लिए निर्यातक तेजी से खरीदी करने में जुटे हैं। केंद्र सरकार ने भी 13 मई की स्थिति में जो सोदे हो चुके उन्हें ही निर्यात करने की छूट दी है। इंदौर मंडी में गेहूं मिल क्वालिटी 2200-2250, मालवराज 2275-2300, पूर्णा 2350-2400, लोकवन 2400- 2450 रुपये क्विंटल बिका।
गेहूं के निर्यात पर रोक से फायदे एवं नुकसान का यह है गणित
हाल ही में केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर जिस प्रकार से यकायक निर्णय लेते हुए रोक लगाई। उससे किसानों का कोई नुकसान होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि अधिकांश किसान इस रोक के पहले ही गेहूं को मंडियों में बेंच चुके हैं, वहीं सरकार ने समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी को ओर आगे बढ़ा दिया है। एमपी में गेहूं के समर्थन मूल्य पर खरीदी अब 31 मई तक होगी। पूर्व में यह तारीख 16 मई निर्धारित थी। इससे किसानों को गेहूं के स्थिर भाव मिलेंगे। यानी कि गेहूं समर्थन मूल्य से कम पर तो बिकेगा ही नहीं। हालांकि दूसरी ओर स्टॉकिस्ट का गेहूं निर्यात पर रोक लगने से नुकसान होना तय है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के भाव बढ़ने की आस लगाए कई व्यापारियों ने बंपर स्टॉक कर लिया था, जिसे रोक पाना मुश्किल होगा।
गेहूं निर्यात पर कब तक रोक रहेगी
किसानों के साथ-साथ व्यापारियों के बीच में यह जिज्ञासा होने लगी है कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर जो रोक लगाई गई है वह कब तक रहेगी। सरकारी सूत्र बताते हैं कि गेहूं निर्यात पर लगी यह रोक समर्थन मूल्य की खरीदी होने तक ही रहेगी, तब तक महंगाई पर कुछ हद तक काबू भी रहेगा। इसके बाद रोक हटा ली जाएगी। गेहूं निर्यात पर ज्यादा दिन रोक नहीं लगेगी इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सरकार ने हाल ही में गेहूं निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नवीन बाजार खोजने के लिए 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजा है। इस प्रतिनिधिमंडल को गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए मोरक्को, ट्यूनीशिया और इंडोनेशिया सहित नौ देशों में भेजने की बात सामने आ रही है।
गेहूं के साथ-साथ आटे के दाम में भी तेजी से हुई बढ़ोतरी
देशभर में पिछले काफी समय से खाद्य सामग्री (Gehu Niryat pr Rok se Fayda/Nuksan) के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। जिस वजह से लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है। अनुमान है कि देश में पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ खाद्य पदार्थ भी महंगे होते जा रहे हैं। खाद्य तेल के दाम जहां आसमान छू रहे हैं, जबकि गेहूं के आटे के दाम भी बढ़ गए हैं। एक जानकारी के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले आटे की कीमत करीब 13 फीसदी बढ़ गई है। खुदरा बाजार में अब आटे की अधिकतम कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है।
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