कृषि समाचार

गेहूं निर्यात प्रतिबंध मामला : किसानों एवं व्यापारियों के साथ अब सरकार के लिए भी परेशानी खड़ी हुई

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध से (Gehu Niryat Pratibandh 2022) अब किसानों एवं व्यापारियों के साथ ही सरकार के लिए भी परेशानी का कारण बनने लगा है। इस मामले में क्या हो रहा है जानिए।

Gehu Niryat Pratibandh 2022 : केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है इस प्रतिबंध के कारण किसानों व्यापारियों के साथ अधिक सरकार के लिए भी अब परेशानी खड़ी होने लगी है क्योंकि अलग-अलग देश किसी ना किसी कारण से गेहूं वापस कर रहे हैं गेहूं वापस करने लगी है। को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। इधर व्यापारी इस मामले को लेकर कोर्ट जाने लगे हैं।

गेहूं निर्यात पर लगे प्रतिबंध और उसके बाद टूटते खरीदी के करारों के बीच अब मामला कानूनी लड़ाई तक पहुंच गया है। छोटे-मध्यम व्यापारियों से गेहूं खरीद के सौदे कर बाद में केंद्र सरकार के प्रतिबंध के नाम पर तोड़ने का आरोप बड़ी एग्री कंपनियों पर लग रहा है।

व्यापारियों ने भेजा कानूनी नोटिस

गेहूं निर्यात प्रतिबंध (Gehu Niryat Pratibandh 2022) की लड़ाई अब कानूनी पचड़े में पड़ रही है। इंदौर के सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने मामले में केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग के सचिव को कानूनी नोटिस भेज दिया है। महासंघ ने मांग रखी है कि कंपनियों से सरकार के स्तर पर चर्चा कर व्यापारियों और किसानों का गेहूं खरीदी का भुगतान दिलवाया जाए। सात दिनों में मांग पूरी नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी भी महासंघ ने दे दी है।

नोटिस भेजने की यह वजह है

13 मई को केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पहले तक बड़े पैमाने पर मप्र से गेहूं निर्यातक कंपनियों को भेजा जा रहा था। सकल अनाज व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने सचिव को लिखा है कि कंपनियां सरकार के आदेश का हवाला देकर माल खरीदने से इन्कार कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफा करार को निरस्त करना भी गैर कानूनी है। क्योंकि कंपनियां सरकार के आदेश का हवाला देकर करार तोड़ रही है इसलिए सरकार मामले में हस्तक्षेप करे और व्यापारियों को कंपनियों की ओर से पूरा भुगतान मय ब्याज के करवाए। सात दिनों में कार्रवाई की जाए।

सरकार ने नियम कड़े किए

इधर, वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 15 लाख टन गेहूं के एक्सपोर्ट के लिए आए आवेदन खारिज कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट के लिए लेटर्स ऑफ क्रेडिट जारी करने की प्रोसेस को थोड़ा कड़ा कर दिया है। इसके लिए कई चरण की स्क्रूटनी प्रोसेस लागू की गई, ताकि केवल उन्हीं निर्यात ऑर्डर के लिए एलसी जारी हों जो सरकार के मई महीने में गेहूं निर्यात पर लगाए गए बैन के नियमों के अनुकूल हों।

तुर्की और मिस्र ने लौटाया भारत का गेहूं

सरकार के गेहूं एक्सपोर्ट को लेकर कड़ाई के बीच कई देशों ने भारत का गेहूं लेने मना कर दिया है। पहले तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस की शिकायत होने की वजह से भारतीय गेहूं को लेने से मना कर दिया। बाद में करीब 55,000 टन इस गेहूं को मिस्र ने लेने की बात कही, लेकिन अंत में उसने भी इसे लेने से मना कर दिया।

गेहूं निर्यात प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा

सरकार ने फिलहाल देश से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। इस बैन की वजह घरेलू जरूरत को पूरा करना, बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना और पड़ोसी एवं जरूरतमंद देशों की मदद करना है। अब सरकार की ओर से केवल उन्हीं एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने की अनुमति है जिनके लिए 13 मई से पहले लेटर्स ऑफ क्रेडिट (LC) जारी हो चुके हैं. बाकी अन्य पड़ोसी और जरूरतमंद देशों को गेहूं का एक्सपोर्ट सरकारों के बीच डील से होगा। हाल में दावोस में पीयूष गोयल ने एक इंटरव्यू में साफ कर दिया था कि सरकार की इस बैन खत्म करने की तत्काल कोई मंशा नहीं है।

मंडियों में आवक थमी

Gehu Niryat Pratibandh 2022 : गेहूं निर्यात प्रतिबंध के बीच इंदौर की संयोगितागंज (छावनी) मंडी में गेहूं की आवक सिर्फ 2000 बोरी तक सिमट गई। लक्ष्मीबाई मंडी में भी आवक कमजोर बनी हुई है। गेहूं के बाजार स्थिर हैं। दाम अब भी बीते दिनों के स्तर पर टिके हुए हैं। आटा भी स्थिर और नरम है। पीथमपुर के एक-दो प्लांट 2350 रुपये के दाम पर भी शनिवार को आटा की बिकवाली कर रहे थे। ऊपर में आटा का भाव 2450 रुपये क्विंटल तक रहा।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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