कृषि समाचार

विश्व के बाजारों में गेहूं की कीमतें 2008 के बाद अब सर्वोच्च स्तर पर, क्या किसानों को इसका फायदा मिलेगा जानें

गेहूं की कीमतें नई ऊंचाई को छू रही है। ग्लोबल मार्केट में गेहूं (Gehun Niryat Samachar) की कीमतें 2008 के पश्चात अपने सर्वोच्च स्तर पर है।

Gehun Niryat Samachar । भारत चीन के बाद गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन इस बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट दर्ज होने के कारण वैश्विक गेहूं निर्यात में भारत का हिस्सा मामूली रहा। जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी एफएओ ने 2022-2023 में देश से गेहूं का निर्यात आंकड़ा 70 लाख टन तक जाने का आंकलन किया है। यह औसत निर्यात से अधिक है। बीते दिनों सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगाने के बावजूद इस साल देश का गेहूं निर्यात आंकड़ा बढ़ा है।

यूक्रेन (Gehun Niryat Samachar) के बाद भारत का गेहूं सस्ता

विश्व के बाजारों में गेहूं की कीमतें 2008 के बाद अब सर्वोच्च स्तर पर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुई स्थितियों के बीच भारत के पास निर्यात का अवसर था, लेकिन उत्पादन में गिरावट के कारण सरकार सतर्क हो गई और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसका असर विश्व बाजार पर पड़ा वैश्विक स्तर पर गेहूं के दाम में जबरदस्त उछाल आया। अब तक विश्व में यूक्रेन का गेहूं सबसे सस्ता होता था। कम दाम के मामले में दूसरे नंबर पर भारत का गेहूं आता है। यूक्रेन के युद्ध में फंसने के बाद भारत का गेहूं ही अब सबसे सस्ता है।

भारतीय गेहूं की मांग बढ़ी, दुनिया को भा रहा है भारतीय गेहूं

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने खाद्यान्न फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया है। भारत में उगाया गया अनाज, फल, सब्जी और दूसरे खाद्य पदार्थ अब विदेशों में भी निर्यात किये जा रहे हैं। रूस-यूक्रेन जंग के दौरान भी भारतीय गेहूं की मांग में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई है।

बता दें कि दुनियाभर के कई देश गेहूं के आयात-निर्यात में शीर्ष स्थान रखते हैं. जहां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यूरोपीय संघ का गेहूं 43 रुपये किलो की कीमत पर बेचा जा रहा है. तो वहीं भारत के गेहूं की कीमत मात्रा 26 रुपये किलो है. किफायती दरों पर अच्छी क्वालिटी का गेहूं निर्यात करके करण ज्यादातर देश अब भारत से गेहूं का आयात करने लगे हैं. क्योंकि यह यूरोपीय संघ के गेहूं के मुकाबले 17 रुपये सस्सा और अच्छा होता है। दूसरे देश भी 450-480 डॉलर प्रति टन के हिसाब से गेहूं का निर्यात कर रहे हैं।

भारत को मिला नया निर्यातक देश

मिस्र द्वारा भारतीय गेहूं ( Gehun Niryat Samachar ) के आयात को मंजूरी देने के बाद अब भारत को नया विदेशी बाजार मिल गया है। मिस्र एक अफ्रीकी देश है, जहां भारत ने अभी तक गेहूं का निर्यात नहीं किया था। अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने के बाद मिस्र भविष्य में भी भारतीय गेहूं की खरीद को लेकर आश्वस्त है। भारतीय गेहूं को खरीदने से पहले मिस्र की एक आधिकारिक टीम भारत में ही मौजूद थी। गेहूं की खरीद के लिये मिस्र की टीम ने प्रयोगशालाओं में गेहूं का परिक्षण करवाया और परिणामों से संतुष्ठ होने के बाद मिस्र ने गेहूं के आयात को मंजूरी दे दी। इसी के साथ-साथ गेहूं के क्वालिटी उत्पादन के लिये भारत की सराहना भी की।

विदेशों में मध्यप्रदेश के गेहूं की अधिक मांग

वैसे तो भारत के ज्यादातर राज्यों में उच्चतम क्वालिटी के गेंहू की खेती होती है, लेकिन मिस्र को निर्यात हुआ गेहूं मध्य प्रदेश में उगाया गया है। यह कोई आम गेहूं नहीं है, इस गेहूं का इस्तेमाल मौक्रोनी और पास्ता जैसे विदेशी व्यंजन बनाने में किया जाता है। वहीं भारत सरकार द्वारा खाद्यान्न फसलों के निर्यात पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 से भारतीय गेहूं का निर्यात पांच गुना बढ़ गया है। अप्रैल 2022 तक ही भारत ने करीब 14.5 लाख टन गेहूं हाथोंहाथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचा है। कम दाम में बेहतर क्वालिटी के मद्देनजर अब कई देश भारत से गेहूं की खरीद शुरु कर रहे हैं।

गेहूं की खरीदी इस सीजन में मूल लक्ष्य से 57.5% कम हुई

भारतीय खाद्य निगम ( एफसीआई ) ने सीजन के लिए गेहूं के समर्थन मूल्य पर खरीद समाप्त होने से एक दिन पहले मंगलवार तक 18.7 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है।सरकार ने इस सीजन के लिए 44 मिलियन टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में मार्च में अत्यधिक गर्मी के कारण उत्पादन प्रभावित होने के कारण घटाकर 19.5 मिलियन टन कर दिया। अंतिम खरीद संशोधित लक्ष्य से कम रहने की संभावना है।

यह केंद्र द्वारा पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से गेहूं खरीद के लिए जल्दी बंद होने की तारीखों को खरीद जारी रखने के लिए कहने के बावजूद है। सरकार ने अनाज की गुणवत्ता के मानदंडों में भी ढील दी थी, जिसे उचित और औसत गुणवत्ता के रूप में जाना जाता है, जिससे एफसीआई को बिना किसी कटौती के 18% तक सिकुड़े और टूटे हुए अनाज की खरीद करने की अनुमति मिलती है, जो कि व्यापक फसल क्षति के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है।

भारतीय किसानों को कितना फायदा मिलेगा

विश्व स्तर पर खाद्य संकट गहराया हुआ है रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के मद्देनजर खाद्य सप्लाई बाधित हुई है। विश्व स्तर पर गेहूं की मांग बढ़ने एवं कीमतों में उछाल आने के पश्चात सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या भारतीय किसानों को इसका कितना फायदा मिलेगा। कृषि विशेषज्ञों, व्यापारियों एवं निर्यातकों के अनुसार विश्व स्तर पर गेहूं के भाव में चल रही तेजी का फायदा भारतीय किसानों को नहीं मिलेगा। इसकी प्रमुख वजह यह है कि भारत ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, वर्तमान में निर्यात भारत सरकार के द्वारा ही किया जा रहा है।

यदि भारत सरकार निर्यात से प्रतिबंध हटा कर खुले तौर पर निर्यातकों को प्रोत्साहित करती है तभी किसानों को इसका पर्याप्त फायदा मिल पाएगा। हालांकि इसकी संभावना बहुत ही कम दिखाई दे रही है, क्योंकि सरकार स्थानीय बाजार में गेहूं की कीमतें नहीं बड़े इसका ध्यान रख रही है। सरकार का मानना है कि निर्यात से प्रतिबंध हटाने ही स्थानीय बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ जाएगी। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि विश्व स्तर पर यदि गेहूं की कीमतें लगातार तेज रही तो भारत सरकार पर गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा, इसका फायदा किसानों को मिलेगा।

मंडियों में गेहूं के दाम में गिरावट

निर्यात बाजार ( Gehun Niryat Samachar ) से छोटे कारोबारियों के दूर होने के बाद अब मंडियों में गेहूं के दाम टूटते दिख रहे हैं। गेहूं की किस्म मालवराज सबसे ज्यादा गिरावट दिख रही है।

इंदौर मंडी में गेहूं के भाव यह रहे

  • गेहूं मिल क्वालिटी 2050-2100,
  • मालवराज 2050- 2075,
  • लोकवन 2350-2400,
  • पूर्णा 2250-2300 रुपये

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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