खेती-किसानी

गेंहू की इस वैरायटी का चयन करें,  95.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलेगा, जानें इसकी खासियत

इस वर्ष 2022 में किसान साथी इस किस्म को उपयोग में ले सकते है। गेंहू की HI-8663 वैरायटी (HI-8663 Wheat Variety 2022) की खासियत जानें..

HI-8663 Wheat Variety 2022 | खरीफ सीजन की सोयाबीन की कटाई के बाद किसान रबी सीजन की तैयारियों में जुट जाते है। ऐसे में किसान चाहता है की अच्छी से अच्छी वैरायटी का चयन करें, जिससे वह फसल से अधिक उत्पादन पा लें। हम यहां आज गेंहू की एक ऐसी वैरायटी के बारे में जानकारी बताएंगे, जिससे आप 95.32 क्विंटल प्रति हैक्टर उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इसकी खासियत के बारे में जानेंगे..

किसानों के लिए फायदेमंद है HI-8663

किसानों के लिए HI-8663 वैरायटी (HI-8663 Wheat Variety 2022) एक जीनोटाइप विशेषज्ञता वाला उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादकता वाला गेहूं है। प्राकृतिक रूप से दोहरे गुण वाले इसे गेहूं से पौश्टिक चपाती के साथ ही सूजी भी बनाई जाती है जो कि फास्ट फूड बनाने में काम आती है। इसमें मौजूद उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन और उच्च स्तर के पोषक तत्व के कारण यह पास्ता के लिए भी उपयुक्त है।

प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में बुआई के लिए यह किस्म मई 2008 में अधिसूचित की गई थी। यह व्यापक रूप से अनुकूलित और उच्च उत्पादकता वाली किस्म है। MACS 2846, NIDW 295, GW1189 किस्मों (HI-8663 Wheat Variety 2022) से तुलना करने पर पाया गया कि HI-8663 किस्म 1.4 से 28.4 प्रतिशत तक की ज्यादा उपज देता है। यह कटाई के लिए अपेक्षाकृत जल्दी तैयार हो जाता है और गर्मी को भी आसानी से सह सकता है। यह गेहूं उत्पादन में स्थिरता और कम सिंचाई उपलब्धता वाले क्षेत्रों में भी बेहतर उत्पादन सुनिश्चि करता है।

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गोल्डेन या प्रीमियम गेहूं के नाम से मशहूर है यह किस्म

मध्यप्रदेश राज्य के सैकड़ों किसानों के बीच मालवा क्षेत्र के उज्जैन जिले का एक किसान तो गेहूं उत्पादन के मामले में मिसाल बन गया। स्वाद और गुणवत्ता के कारण मध्य प्रदेश के शर्बती गेहूं (HI-8663 Wheat Variety 2022) की महानगरों में सबसे ज्यादा मांग है। इस किस्म के गेहूं की कीमत भी सबसे ज्यादा है। इसे मुम्बई, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों की थोक और खुदरा बाजारों में गोल्डेन या प्रीमियम गेहूं के नाम से जाना जाता है। वहीं, उत्तर भारत के शहरों और दिल्ली की बाजार में इसे एमपी का गेहूं नाम से भी जाना जाता है।

एमपी में निर्मित हुई है यह किस्म

अभी तक सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा मध्य प्रदेश सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। मध्य प्रदेश अब उच्च कोटि के गेहूं के अधिकतम उत्पादन के लिए भी जाना जाने लगा है। मध्य प्रदेश के किसान (HI-8663 Wheat Variety 2022) अब वैज्ञानिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसमें कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) किसानों की पूरी मदद भी कर रहा है। यहां के किसानों ने देश में सबसे उच्च कोटि के गेहूं का उत्पादन किया है।

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इस तरह निर्मित हुई गेंहू की HI-8663 वैरायटी

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के गांव अजदावड़ा के रहने वाले योगेन्द्र कौशिक (61) ने वर्ष 1971 में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। नौकरी तलाशने के बजाय योगेन्द्र अपनी 9.5 एकड़ भूमि पर खेती (HI-8663 Wheat Variety 2022) करने लगे, लेकिन वह पारंपरिक खेती से छुटकारा पाना चाहते थे, जिसमें वह ज्यादातर सोयाबीन, चना और गेहूं ही उगाते थे। वह खेती में ही कुछ नया करना चाहते थे। इसके लिए वह काफी परिश्रम भी कर रहे थे। हालांकि, उनके खेतों में इन फसलों का उत्पादन भी जिले के औसत उत्पादन से कुछ अधिक ही था।

खरीफ में सोयाबीन का 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गेहूं का उत्पादन 52 क्विंटल प्रति हेक्टर था, लेकिन वर्ष 2005 में योगेन्द्र केवीके के सम्पर्क में आए। तभी से वैज्ञानिक खेती (HI-8663 Wheat Variety 2022) के बारे में उनके विचार, नजरिया और दृष्टिकोण में परिवर्तन आया। योगेन्द्र ने केवीके के कई शिविरों में भाग लेकर वैज्ञानिक खेती का प्रशिक्षण लिया और अपना सपना साकार कर लिया, जो वह करीब चार दशक से देख रहे थे।

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अधिकतम 95.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन पहुंचा

परीक्षण में बीज आधारित कई तकनीकी मूल्यांकन के बाद पाया गया कि HI-8663 (पोषण्) गेहूं की सबसे अच्छी और ज्यादा उपज देने वाली किस्म थी। केवीके उज्जैन से HI-8663 (पोषण) का 50 किलोग्राम ब्रीडर बीज (HI-8663 Wheat Variety 2022) लेकर इसे नवंबर में 0.4 हेक्टेयर खेत में बोया गया। राजस्व अधिकारी, पटवारी, एसडीओ, आरएडीओ और ग्रामीणों की मौजूदगी में की गई फसल की कटाई में 95.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड किया गया।

अत्यधिक गर्मी में गेहूं का उत्पादन घटेगा

हाल ही में जारी इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2080-2100 तक भारत और दक्षिण एशिया में तापमान बढ़ने और सिंचाई योग्य पानी की कमी होने के कारण फसलों (HI-8663 Wheat Variety 2022) का उत्पादन 10-14 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।

पूरी फसल अवधि के दौरान तापमान में प्रति एक डिग्री सेल्सियस बढ़ोत्तरी होने पर भारत में गेहूं का उत्पादन 40-50 लाख टन (HI-8663 Wheat Variety 2022) कम हो जाएगा। यहां तक कि कार्बन देने का भी इसमें कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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