खेती-किसानी

गेहूं की इन किस्मों से मिलेगा 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार, इन किस्मों के बारे में जानिए

इस साल गेहूं की इन 3 तीन किस्मों (High Yielding Wheat Variety 2022) की जबरदस्त मांग, 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की देती हैं उपज, इनके बारे में अधिक जानकारी जाने

High Yielding Wheat Variety 2022 | गेंहू रबी में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है। देश के अधिकांश खेतिहर किसान गेंहू की खेती करते है। ऐसे में किसानों द्वारा गेहूं की उन्नत किस्म बोई जाती है, लेकिन बहुत से किसान इस बात को लेकर दुविधा में रहते है की वह कौन सी किस्म खेत में बोए जिससे की अच्छी उपज प्राप्त हो।

गेंहू के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान भाई नई-नई वैरायटी की किस्मों का चयन करते है। इसके साथ ही गेंहू अर्थव्यवस्था में भी प्रमुख रोल भी निभाती है। देश में गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक और किसान लगातार प्रयास कर रहे हैं।

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगातार नई किस्में ईजाद की जा रही है। इस वर्ष देश में अक्टूबर से गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी। आज हम आपको चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से आपको गेहूं उन 3 किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनसे 82 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते है।

इस साल इन 3 किस्मों की है ज्यादा मांग

करनाल के भारतीय गेहूं (High Yielding Wheat Variety 2022) एवं जौ अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनुज कुमार का कहना है कि गेहूं की इन तीन किस्मों की किसानों में जबरदस्त मांग है। यह है वह तीन किस्में –

  1.  करन वंदना यानी (DBW 187)
  2. करन नरेन्द्र यानि (DBW 222),
  3. पूसा यशस्वी (HD 3226)।

गेहूं की ये तीनों किस्में अगेती किस्म है और प्रति हेक्टेयर 80 से 82 क्विंटल का उत्पादन देने में सक्षम है। आइये इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानें

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1) करन वंदना (DBW 187)

इस किस्म को भाकृअनुप – भारतीय गेहूँ एवं जौ (High Yielding Wheat Variety 2022) अनुसंधान संस्थान, करनाल ने खासतौर पर अधिक उपज हेतु किसानों के लिए तैयार किया है।

  • किस्म की विशेषता – इसमें कई पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, लौहा, जस्ता और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस किस्म में प्रोटीन तत्व 12 प्रतिशत तक होता है जबकि अन्य किस्मों (High Yielding Wheat Variety 2022) में प्रोटीन की मात्रा 10 से 12 प्रतिशत तक होती है।
  • बोए जाने वाले उपयुक्त क्षेत्र – करण वंदना (DBW 187) उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के अनुकूल है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली नवीनतम गेहूँ की किस्म है।
  • अन्य किस्मों की तुलना में पैदावार ज्यादा – क्षेत्र में मौजूदा किस्मों मसलन, एचडी 2967, के 0307, ​​एचडी 2733, के 1006 और डीबीडब्ल्यू 39 की तुलना में इस किस्म की पैदावार में काफी फायदा हुआ है।
  • रोगप्रतिरोधी किस्म है यह – यह पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है। इसमें पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियां लगने की संभावना बेहद कम रहती है।
  • बुवाई का समय – इस किस्म की बुवाई 20 से 30 नवंबर के बीच करनी चाहिए, सही समय पर बुवाई करने से अधिक उपज (High Yielding Wheat Variety 2022) प्राप्त कर सकते है।
  • सिंचाई – गेहूं की इस किस्म में 5-6 सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
  • निराई- गुड़ाई – फसल के मौसम (सीजन) के दौरान दो बार मैन्युअली (हाथ से) निराई करनी होती है।
  • ऊंचाई – इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है, जबकि क्षमता 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 10 में 7.7 अंक और 43.1 लौह सामग्री के साथ इस किस्म की चपाती की गुणवत्ता बहुत बेहतर होती है।
  • फसल पकने का समय – इसकी बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है।
  • पैदावार – इस किस्म से 82.52 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त हो जाती है। एक छोटे से क्षेत्र से भी अधिक उपज (High Yielding Wheat Variety 2022) प्राप्त की जा सकती है। किसानों के खेतों में बीज (2.5 किग्रा) की समान मात्रा में उपज 80 से 220 किलोग्राम तक होती है। इस दृष्टिकोण से क्षेत्र में किस्मों को तेजी से लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी।

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2. करन नरेन्द्र (DBW 222)

इस किस्म को डीबीडब्ल्यू 222 (DBW-222 ) के नाम से जाना जाता है। इसे करनाल के गेहूं (High Yielding Wheat Variety 2022) और जौ अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है। गेहूं कि इस उन्नत किस्म का विवोचन और अधिसूचना साल 2020 में हुई। केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अत्यधिक पैदावार देती है।

  • किस्म की विशेषता – गेहूं की बाकि किस्मों के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जिंक, आयरन और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज तत्व मौजूद हैं। इसकी रोटी अच्छी गुणवत्ता की बनती है।
  • बुवाई का समय – इस किस्म की बुवाई आप 25 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच का समय उपयुक्त रहता है।
  • सिंचाई – जहां दूसरी किस्मों में 5 से 6 सिंचाई की जरूरत पड़ती है वहीं इसमें सिर्फ 4 सिंचाई करना पड़ती है। इस तरह इस किस्म (High Yielding Wheat Variety 2022) की खेती से 20 प्रतिशत पानी की बचत होती है।
  • फसल पकने की अवधि – यह किस्म 143 दिनों में पक जाती है।
  • पैदावार – वहीं प्रति हेक्टेयर इससे 61.3 से 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होती है।

पूसा यशस्वी (HD -3226)

पूसा यशस्वी किस्म को एचडी 3226 (HD -3226 ) के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म गेहूं और जौ (High Yielding Wheat Variety 2022) अनुसंधान संस्थान, करनाल ने विकसित की है।

  • बुवाई का उपयुक्त क्षेत्र – गेहूं कि यह किस्म उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान के उदयपुर और कोटा संभाग, उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग को छोड़कर, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए अनुकूल है।
  • बुवाई का समय – इसकी बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर तक उचित मानी जाती है।
  • बुवाई के लिए बीज दर – बुवाई (High Yielding Wheat Variety 2022) के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो बीज की जरूरत पड़ती है।
  • रोगप्रतिरोधी – यह करनाल बंट, फफूंदी और गलन रोग प्रतिरोधक होती है। इसमें प्रोटीन 12.8 प्रतिशत तक होता है।
  • सिंचाई – पहली सिंचाई बुवाई के 21 दिन बाद की जाती है।
  • पैदावार – वहीं इस किस्म (High Yielding Wheat Variety 2022) से प्रति हेक्टेयर 57.5 से 79. 60 क्विंटल की उपज ली जा सकती है।

गेंहू किस्मों के बारे में कृषि वैज्ञानिक की सलाह

गेंहू की इन तीन किस्मों के बारे कृषि वैज्ञानिक डॉ अनुज का कहना है कि, ये तीनों गेहूं की उन्नत किस्म है और इनसे 80 क्विंटल प्रति हेक्टयेर का उत्पादन लिया जा सकता है। देश के कई किसान यह किस्म (High Yielding Wheat Variety 2022) बो कर अधिक उपज प्राप्त कर सकते है। लेकिन इसके लिए इन किस्मों की बुवाई समय पर करें साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की पर्याप्त मात्रा खेत में डालें।

मुझे इन तीनों में से कौन सा बीज लेना चाहिए ?

किसान साथी करन वंदना, करन नरेन्द्र, पूसा यशस्वी। इन तीनों किस्मों (High Yielding Wheat Variety 2022) में से कोई भी किस्म का बीज की बुवाई ले सकते है। तीनों ही बीज उत्तम क्वालिटी के है और इनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता भी है।

इन किस्मों का बीज कहां से ले

इन तीनों किस्मों (करन वंदना, करन नरेन्द्र, पूसा यशस्वी) को बीज गेहूं और जौ (High Yielding Wheat Variety 2022) अनुसंधान संस्थान, करनाल से लिया जा सकता है। यहां नीचे दिए गए फोन नंबर की मदद से संपर्क कर सकते हैं

फोन नंबर – 0184 226 7490

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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