खेती-किसानी

गेंहू की उन्नत किस्म 2967 की पैदावार, सिंचाई व खेती की संपूर्ण जानकारी

गेंहू की बुवाई के लिए 2967 वैरायटी (Improved Wheat Variety HD 2967) की खासियत, खेती की जानकारी, व इसके बीज की संपूर्ण जानकारी यहां दी गई है.

Improved Wheat Variety HD 2967 | रबी सीजन के शुरू होते ही हर गेहूं बुवाई वाले किसान अच्छे बीजों की तलाश में जुट जाते है, इसलिए आज हम चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से गेहूं की उन्नत किस्म 2967 के बारे में बात करेंगे। हर किसान गेहूं का बीज 2967 की डिमांड कर रहा है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और पैदावार भी काफी अच्छी होती है। तो आइए इसकी जानकारी जानें..

इन क्षेत्रों के लिए उपर्युक्त

यह किस्म (Improved Wheat Variety HD 2967) कई राज्यो में प्रचिलित है, जैसे की हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आसाम, दिल्ली आदि राज्यो में यह बीज काफी प्रचलित है।

गेहूं की उन्नत किस्म 2967 (Improved Wheat Variety HD 2967)

यह किस्म एक अगेती किस्म है, इस किस्म में रोग लगने की संभावना बहुत ही कम होती है और इस किस्म के गेहूं की उपज भी काफी अच्छी मिलती है, यही कारण है की भारतीय किसान इस किस्म की बुआई करना अधिक पसंद करते है।

भारतीय कृषि विभाग भी इस किस्म के गेहूं की सिफारिश कर रहा है क्योंकि इसमें पीला रतुआ कम आता है और इस किस्म की पैदावार भी काफी अच्छी होती है। किसानों को इस किस्म के गेहूं की बिजाई पर भी जोर दिया जा रहा है और इस किस्म के गेहूं की जानकारी किसानों को दी जा रही है।

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गेंहू 2967 किस्म की विशेषता/खासियत

(Improved Wheat Variety HD 2967)

  • यह किस्म वृहत क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है, इस किस्म की तैयार होने में लगभग 140 से 150 दिनों तक का समय लगता है।
  • गेहूं की उन्नत किस्म 2967 की बुवाई से औसत उपज 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उपज क्षमता 66.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
  • गेहूं की उन्नत किस्म 2967 की प्रमुख विशेषता है की इस किस्म में रोग बहुत ही कम लगता है और इसकी पैदावार भी बाकी किस्म से अच्छी है।
  • गेहूं की उन्नत किस्म 2967 को सिंचाई की आवश्यकता भी अन्य किस्म की तुलना में कम होती है।
  • एचडी 2967 गेहूं (Improved Wheat Variety HD 2967) का तूड़ा अच्छा बनता है इस किस्म की बढ़वार अधिक होती है। किसान तूडे को बाजार में बेच भी सकता है यह काफी महंगा बिकता है।

गेहूं HD 2967 किस्म की बुआई का समय

(Improved Wheat Variety HD 2967)

एचडी 2967 गेहूं का बुआई का सही समय 1 नवंबर से 15 नवंबर तक का है अगर आप इस किस्म को समय पर बुआई नही करते है तो इसमें गेहूं की पैदावार पर असर पड़ सकता है और सही समय पर बुवाई करने पर अच्छी पैदावार देखने को मिल सकती है।

गेंहू HD 2967 किस्म की पैदावार

यह किस्म इसके पैदावार के लिए काफी प्रचिलित है इसकी पैदावार आपके क्षेत्र की जलवायु और आपके खेत की मिट्टी पर इस किस्म (Improved Wheat Variety HD 2967) की पैदावार निर्भर रहती है। इस किस्म की पैदावार कम से कम 50 कुंटल प्रति हेक्टर होती है और सिंचाई समय पर मिलने पर इसकी पैदावार काफी अच्छी हो जाति है। इसकी पैदावार में बडोतरी हो जाति है जो की 66 कुंटल प्रति हेक्टर तक हो सकती है।

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गेंहू HD 2967 किस्म को सरकार दे रही बढ़ावा

केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम सरकारी एजेंसियों द्वारा बेचे जाने वाले गेहूं (Improved Wheat Variety HD 2967) के प्रमाणित बीजों पर किसानों को प्रति वर्ष अनुदान प्रदान किया जाता है।

इस किस्म की बुआई आपको समय रहते कर लेनी है अन्यथा इसका प्रभाव पैदावार पर पड़ सकता है। कृषि विकास अधिकारी गांव-गांव में जाकर सभी किसानों को बीजोपचार के बाद ही गेहूं की बिजाई करने के लिए प्रेरित कर रहे है।

इस किस्म (Improved Wheat Variety HD 2967) को किसान भाईयो इसलिए अधिक पसंद कर रहे है क्योंकि इस किस्म में रोग होने की समस्या कम होती है, सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है, पैदावार भी काफी अच्छी है, बाजार में आसानी में आसानी से मिल जाता है आदि कई कारण है की इस किस्म को किसान अधिक पसंद करते है।

गेहूं एचडी 2967 बीज की कीमत

गेहूं की उन्नत किस्म 2967 (Improved Wheat Variety HD 2967) के बीज नजदीकी कृषि बाजार में आसानी से खरीद सकते है और इस किस्म का भाव लगभग 940 रुपए प्रति बैग के आस-पास है, इस बैग में 40 किलो बीज होते है। समय के अनुसार इस किस्म का भाव ऊपर नीचे रहता है जब गेहूं के बुआई का समय आता है तो इस किस्म का भाव बड़ जाता है।

गेहूँ किस्म HD 2967 बीज से पीला रतुआ रोग ?

(Improved Wheat Variety HD 2967)

इस किस्म में पीला रतुआ रोग का प्रभाव देखने को मिलता है, रोग के मुख्य लक्षण पौधे के पत्तो की सतह पर पीले रंग की धारिया दिखाई देने लगती है, पाउडर जैसा पीला प्रदार्थ पत्तो पर होना, शुरू में इस रोग से ग्रस्त खेत में कही-कही गोलाकार दायरों का दिखना तथा तापमान बढ़ने पर पीली धारियों के नीचे की सतह पर काले रंग में बदलाव आना है।

रोकथाम के लिए – इस रोग की रोकथाम के लिए किसान को जागरूक रहना चाहिए और इसका प्रभाव दिखाई देने पर 25% प्रोपिकानोजोल और 200 मिलीलीटर E. C. की मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में प्रत्येक 15-20 दिन के अंतराल में छिडक़ाव करना चाहिए।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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