किसानों, व्यापारियों एवं निर्यातकों के लिए बड़ी खबर गेहूं के निर्यात पर से प्रतिबंध हटेगा
केंद्र सरकार वैश्विक खाद्यान्न संकट एवं भारतीय बाजार की परिस्थितियों को देखते हुए गेहूं निर्यात (Indian Wheat Export 2022) पर से प्रतिबंध हटाने वाली है
Indian Wheat Export 2022 : केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर 13 मई को प्रतिबंध लगाया था यह प्रतिबंध अब कुछ हद तक हटाया जा रहा है। गेहूं का निर्यात चुनिंदा शर्तों के साथ होने की संभावना बन चुकी है। केंद्र सरकार जल्द ही इस संबंध में बड़ा फैसला ले सकती है। हालांकि वर्तमान में भी केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात को लेकर आंशिक रूप से मंजूरी प्रदान कर दी है।
गेहूं का निर्यात इन देशों में होगा
केंद्र सरकार की तरफ से फिलीपींस, तंजानिया, बांग्लादेश, मलेशिया जैसे देशों को निर्यात (Indian Wheat Export 2022) की अनुमति दे दी है। इन जैसों के लिए गेहूं निर्यात की अनुमति केंद्र सरकार ने चुनिंदा शर्तों के साथ दी है। अनुमति ऐसे देश में गेहूं भेजने की दी गई है जिन देशों ने अपने खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से गेहूं देने का अनुरोध किया था। उल्लेखनीय है, कि घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर 14 मई 2022 को प्रतिबंध लगा दी थी, और स्पष्ट किया था कि जिन कंपनियों को लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है, वह गेहूं निर्यात कर सकेगी।
केंद्र सरकार ने यह आदेश जारी किए
केंद्र सरकार की तरफ से चुनिंदा शर्तों के साथ बांग्लादेश, फिलिपिंस, तंजानिया, बांग्लादेश मलेशिया आदि को 4,69,202 टन गेहूं निर्यात किए जाने की अनुमति दी है। इसी बीच भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 17 लाख टन गेहूं पड़ा हुआ है ऐसे में जैसा कि भारत में मानसून शुरू चुका है जिससे यह गेहूं खराब होने की आशंका बढ़ गई है जो कि केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं पर पाबंदी लगाए जाने के चलते मई में गेहूं निर्यात घटकर 11.3 लाख रह गया था। बहरहाल अप्रैल में गेहूं का निर्यात 14.6 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। जिस दौरान वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो गई थी।
भारतीय बाजार का रुख देखकर सरकार ने निर्णय लिया
उल्लेखनीय है कि अप्रैल एवं मई के माह में भारतीय गेहूं का निर्यात लगातार बढ़ रहा था, जिसके चलते भारतीय गेहूं की कीमतें घरेलू बाजार में बढ़ने लगी थी, ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से 14 मई 2022 को गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी थी। जिसके बावजूद घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें कमोबेश नहीं घटी, वहीं गेहूं निर्यात को लेकर ताजा शिपमेंट के अनुमति लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए दी गई है, जो कि पहले ही जारी किए जा चुके है। ऐसे में इस गेहूं की आपूर्ति ऐसे देश में की जा रही है जिन देशों को अपनी खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए गेहूं की आवश्यकता है, वहीं इस साल 80 लाख टन से लेकर एक करोड़ तक गेहूं के निर्यात की अनुमति मिलने की उम्मीद की जा रही थी, वहीं पिछले साल 72 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति मिली थी।
भारत निर्भर है यह देश
भारत ने भले ही गेहूं के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी है, लेकिन पड़ोसी देशों और जरूरतमंद देशों को अभी गेहूं का निर्यात किया जा रहा है। हाल ही में भारत ने इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार 12 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी देने की तैयारी में है।
अधिकांश गेहूं इन देशों में निर्यात होता है
भारत सामान्य तौर पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यमन, ओमान, कतर जैसे खाड़ी देशों को गेहूं बेचता है। इनके अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया भी भारतीय गेहूं के प्रमुख खरीदार हैं। मौजूदा संकट में तुर्की, मिस्र और इजरायल जैसे देशों ने भी भारत से गेहूं की खरीदारी की है। भारत गेहूं की पैदावार करने वाले देशों में दूसरा बड़ा देश है, किंतु भारत आबादी के मामले में भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, इस कारण घरेलू खपत काफी ज्यादा है।
गेहूं निर्यातकों की सूची में भारत का आठवां स्थान
Indian Wheat Export 2022- वैश्विक स्तर पर रूस अभी गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि भारत का इस मामले में आठवां स्थान है। रूस के अलावा यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, अर्जेंटीना और यूक्रेन भारत से ज्यादा गेहूं का निर्यात करते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल भारत ने बांग्लादेश को 40.8 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के कुल गेहूं निर्यात का 55.9 फीसदी अकेले बांग्लादेश खरीदता है। इसके बाद श्रीलंका की 7.9 फीसदी, संयुक्त अरब अमीरात की 6.9 फीसदी, इंडोनेशिया की 5.9 फीसदी, यमन की 5.3 फीसदी और फिलीपींस की 5.1 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी तरह भारत के गेहूं निर्यात में नेपाल की 3.8 फीसदी, दक्षिण कोरिया की 2.4 फीसदी, कतर की 1.7 फीसदी हिस्सेदारी है।
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