किसानों के पास 1 सप्ताह का समय, सोयाबीन की खेती के लिए किसान यह करें, पैदावार बढ़ जाएगी
प्री मानसून बारिश की शुरुआत हो चुकी है किसान साथी सोयाबीन की बुवाई (Kharif Fasal Soybean ki Kheti) के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस समय किसान अपने खेतों में यह काम करें, पैदावार अच्छी होगी।
Kharif Fasal Soybean ki Kheti : मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में प्री मानसून की बारिश शुरू ह चुकी है। संभवत 1 सप्ताह के अंदर मानसून की बारिश होगी। इसके बाद खरीफ फसलों की बुवाई का काम शुरू हो जाएगा। इस बीच किसानों के पास अभी 1 सप्ताह का समय बचा है इस दौरान कृषि से संबंधित यह कार्य करें तो सोयाबीन की फसल की पैदावार बढ़ जाएगी।
किसान इस तरह करें अपने खेत को तैयार
किसानों को सोयाबीन (Kharif Fasal Soybean ki Kheti) के उत्पादन में स्थिरता लाने के लिए 2 से 3 वर्ष में एक बार अपने खेत की गहरी जुताई करना ही चाहिए। किसान इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं कर पाए हैं तो चिंता की कोई बात नहीं। एक बार जुताई करने के पश्चात अब दूसरी जुताई विपरीत दिशा में कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर करें, इससे खेत अच्छा तैयार हो जाएगा।
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खेत में गोबर की खाद अंतिम जुताई के पहले डालें
सोयाबीन की पैदावार Kharif Fasal Soybean ki Kheti बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की बजाए गोबर खाद डालना उचित रहता है। किसानों को अंतिम बखरनी से पूर्व गोबर की खाद (10 टन/हे.) या मुर्गी की खाद (2.5 टन/हे.) को खेत में फैलाकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए, जिससे भूमि की गुणवत्ता एवं पोषक तत्वों में वृद्धि होती है। यदि किसानों के पास गोबर की खाद की उपलब्धता नहीं है तो प्रति बीघा एक से दो बोरी सुपर रासायनिक खाद डालें।
सोयाबीन की बुवाई करने में जल्दबाजी नहीं करे
सामान्यतः सोयाबीन की बुआई Kharif Fasal Soybean ki Kheti के लिए उचित समय जून माह के दुसरे सप्ताह से जुलाई माह के प्रथम सप्ताह तक माना जाता है। इसके बाबजूद भी किसानों को मानसून के आगमन के बाद ही, न्यूनतम 10 से.मी. वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुआई करना चाहिए।
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वर्षा की अनियमितता से बचने के लिए करें यह उपाय
विगत कुछ वर्षों से फसल Kharif Fasal Soybean ki Kheti में सुखा, अतिवृष्टि या असामयिक वर्षा जैसी घटनाएँ देखी जा रही हैं, ऐसी विपरीत स्थितियों में फसल को बचाने हेतु सलाह हैं
कि सोयाबीन की बोवनी Kharif Fasal Soybean ki Kheti के लिए बी.बी.एफ. (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज-फरो पद्धति) कूड-मेड-प्रणाली का चयन करें तथा सम्बंधित यंत्र या उपकरणों का प्रबंध करें।उपलब्धता अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सब–सोइलेर नमक यंत्र को चलाना चाहिए, जिससे भूमि की जल-धारण क्षमता में वृद्धि होगी एवं सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित सोयाबीन की किस्म का उपयोग करें
Kharif Fasal Soybean ki Kheti : किसानों को सोयाबीन की अधिक पैदावार के लिए अपनी जलवायु क्षेत्र के लिए अनुशंसित विभिन्न समयावधि में पकने वाली 2–3 सोयाबीन की किस्मों का चयन करना चाहिए तथा बीज की उपलब्धता एवं गुणवत्ता (बीज का अंकुरण न्यूनतम 70%) सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
किसानों को बुआई के समय ही सोयाबीन की खेती Kharif Fasal Soybean ki Kheti के लिए आवश्यक आदान (बीज, खाद उर्वरक, फफुन्दनाशक , कीटनाशक, खरपतवार, जैविक कल्चर आदि) का क्रय एवं उपलब्धता सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
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