सोयाबीन की खेती के तुरंत बाद इस प्रकार करें मटर की उन्नत खेती, मिलेगा दोगुना मुनाफा
क्या आप मटर की उन्नत खेती (Matar ki kheti 2022) करना चाहते है, सोयाबीन के बाद करें इसकी खेती, अत्यधिक मुनाफा मिलेगा
Matar ki kheti 2022 | मटर दलहन फसलों में आने वाली एक प्रमुख फसल है। मटर का साइंटिफिक नाम पाइसम सटाइवम (Pisum Sativam) है। अलग-अलग उपयोग के अनुसार इसकी खेती की जाती है जैसे की बीज, सब्जियों तथा मुख्यत दालें के रूप में प्रयोग होती है। प्रतिवर्ष भारत में लगभग 7.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 8.3 लाख टन मटर का उत्पादन निकलता हैं, राजस्थान में इसका क्षेत्र 2.6 हजार हेक्टेयर में 4.7 हजार टन पैदावार होती हैं |
रबी मौसम में दलहनी फसलों में इसका प्रमुख स्थान हैं, ये केवल प्रोटीन का ही अच्छा स्त्रोत नहीं बल्कि इसमें विटामिन्स, फोस्फोरस और लोहा भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं। दाल मटर का प्रयोग दाल के साथ-साथ बेसन के रूप में भी किया जाता हैं।
हम आपको इस आलेख में मटर की उन्नत खेती के बारे में बताएंगे, इसे अंत तक जरूर पढ़े..
मटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
मटर शरद ऋतु में बोई जानी वाली फसल हैं, इसके लिए जलवायु में शुष्क एवं ठंडा मौसम उपयुक्त हैं, बीज के अंकुरण के लिए लगभग 20-22 डिग्री सेल्सियस तथा पौधों के वानस्पतिक बढवार के लिए 10-18 डिग्री सेल्सियस तापमान अवश्य होना चाहिए। फूल व फलिया बनते समय अधिक व कम तापमान से नुकसान (Matar ki kheti 2022) होता हैं पाले के प्रति ये बहुत संवेदनशील होता हैं |
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
मटर की खेती दोमट मिट्टी में अच्छी तरह (Matar ki kheti 2022) से होती है। इसके लिए दोमट व हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती हैं, साथ ही pH भी 6.5 से 8.5 के बीच रहना चाहिए। अच्छी पैदावार के लिये जल निकास की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए।
खेत की तैयारी किस प्रकार करें
खेत की तैयारी के लिए हल्की मिट्टी में 2-3 तथा भारी मिट्टी में 3-4 मिट्टी पलटने वाले हल या हैरो से जुताई करनी चाहिए इससे खरपतवार नियन्त्रण व मिट्टी उपजाऊ (Matar ki kheti 2022) रहती हैं। जुताई के समय अगर पर्याप्त नमी नहीं हो तों पलेवा देकर जुताई करके पाटा चलाकर खेत को समतल करना चाहिए।
भूमि उपचार कैसे करें
खेत में रोग की अधिकता होने पर भूमि का उपचार (Matar ki kheti 2022) कर लेना चाहिए ताकि रोग व कीटो से बचाव हो सके इसके लिए बुवाई से पूर्व खेत में कम से कम 100 किलोग्राम सड़ी गोबर के सााथ 5 से 10 किलोग्राम ट्राईकोड्रमा प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह मिलाकर छिटा देकर सिंचाई कर दे या फिर आप क्यूनाल्फोस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर मिट्टी में आखिर जुताई के साथ मिला सकते है।
मटर की उन्नत किस्म का चयन करें
(Matar ki kheti 2022)
- शिखा (आई.पी.एफ.99-15) / 125-130 / 25-30 लम्बे पौधे व सफेद बीज
- के.पी.एम.आर-400 (इंद्र) / 125-130 / 30-32 / बोने पौधे, दाने सफेद व बुकनी अवरोधी
- मालवीय मटर-15 / 120-125 / 22-25 / बोने पौधे व रतुआ अवरोधी
- रचना 130-135 / 20-25 / लम्बे पौधे व सफेद बुकनी या चूर्णिल आसिता अवरोधी
- सपना (के. पी.एम.आर. 144-1) / 125-130 / 30-35 / बोने पौधे व चूर्णिल आसिता अवरोधी
- मालवीय मटर-2 / 125-130 / 20-25 / लम्बे पौधे, दाने सफेद व चूर्णिल आसिता रोग प्रतिरोधी
- पन्त मटर-42 / 130-140 / 24-25 / लम्बे पौधे व रतुआ रोगरोधी
- पूसा प्रभात (डी.डी.आर.-23) / 100-105 / 15-18 / बोने पौधे व बुकनी रोगरोधी
- इसके अतिरिक्त आप लम्बी किस्मो में अम्बिका अलंकार, बी.एल. मटर – 42 तथा छोटे पौधो की किस्मों में अपर्णा, पूसा-पन्ना उतरा इत्यादि की बुवाई (Matar ki kheti 2022) कर सकते है।
फसल बढ़वार के लिए उचित खाद/उर्वरक डाले
मटर की अच्छी पैैदावार के लिए भूमि में सभी तरह के पोषक तत्वों (Matar ki kheti 2022) की आवश्यकता होती हैं इनमे स्थुल व सुक्ष्म दोनों की मृदा जाच के अनुसार मात्रा देने चाहिए। गोबर व कचरे की सड़ी हुई खाद खेत की तैयारी के समय लगभग 10-20 टन प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए।
नाइट्रोजन के लिये 45 कि.ग्रा. यूरिया ऊचे कद वाली प्रजाति के लिए तथा बोनी किस्म के लिए 90 कि.ग्रा. यूरिया का उपयोग आधी मात्रा बुवाई के समय व आधी मात्रा उसकी वानस्पतिक वर्धि तथा फूल आने के समय करनी चाहिए।
लगभग 100-120 किलोग्राम डीएपी फास्फॉरस के लिए तथा पोटाश के लिए म्यूरेट ऑफ पोटाश की 40-50 किलोग्राम बुवाई के समय (Matar ki kheti 2022) देनी चाहिए। सुक्ष्म तत्व जैसे जिंक के लिये जिंक सल्फेट की 20-25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर मात्रा बुवाई के समय देनी चाहिए।
बुवाई की विधि
मटर की फसल को अगर बेड प्लांटिंग विधि से उगाने से पानी व उर्वरको की बचत के साथ ही खरपतवार (Matar ki kheti 2022) भी कम होते हैं। इस विधि में बेड बनाने के लिये रेज्ड बेड प्लान्टर का उपयोग किया जा सकता हैं। इसमें लगभग 25-30 प्रतिशत बीज की बचत होती हैं अंकुरण भी 90 से 95 % तक होता हैं पौधों की वर्धि व फलिया अधिक लगती हैं जिससे उत्पादन बड़ता हैं।
- मटर के बीज बोने का समय – असिंचित व अगेती बुवाई का समय 15 अक्टूबर तथा समय व सिंचित में 15 अक्टूबर से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए।
- बीज दर – समय व सिंचित के लिए ऊचे कद की किस्म के लिये 75-80 किलोग्राम, बोनी के लिए 100-125 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं।
- लाईन से लाईन की दूरी – बोते समय पौधे से पौधे की दुरी 10 सेमी तथा लाईन से लाईन की दूरी ऊचे के लिए 40 से 45 सेमी व बोनी के लिए 25 से 30 सेमी रखनी चाहिए साथ ही बीज की गहराई 5-6 सेमी (Matar ki kheti 2022) रखनी चाहिए।
रोग के लिए बीजोपचार जरूरी
बीज को बोने से पूर्व फआईआर क्रम में करना चाहिए सर्वप्रथम फफूंदनाशी जिसमे 3 ग्राम थायरम या 6-10 ग्राम ट्राईकोडर्मा से उसके बाद कीटनाशी क्लोरोपायरीफोस 20 इ.सी. 4-5 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से तथा अंत में राइजोबियम व पी.एस.बी. कल्चर प्रत्येक के 3 पैकेट प्रति हेक्टेयर बीज को उपचारित करे।
- सिंचाई – पहली सिंचाई बुवाई के 40 दिन बाद, दूसरी फूल आने से पहले एवं तीसरी सिंचाई फलिया बनते समय (Matar ki kheti 2022) करनी चाहिए। जाड़े में बरसात होने से फसल को फायदा मिलता हैं, लेकिन वातावरण में अधिक आद्रता होने से चूर्णिल आसिता रोग लगने की सम्भवना बढ़ जाती हैं।
- निराई-गुड़ाई – खरपतवार व कमजोर पौधों को निकालने से पौधों को सही इस्थान व पोषण मिल जाता हैं साथ ही अच्छी बढ़वार भी होती हैं।
- पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद तथा दूसरी 40-45 दिन बाद करनी चाहिए।
यह भी पढ़िए…. सोयाबीन फसल में पीला मोजेक वायरस क्या है कैसे फैलता है इससे फसल को कैसे बचाएं जानिए
फसल में लगने वाले रोग व कीट
चूर्णिल आसिता रोग – इस रोग में पत्तियों की दोनों सतह पर सफेद चूर्ण के धब्बे (Matar ki kheti 2022) हो जाते हैं, जों बाद में रंगहीन चितियो का रूप धारण कर लेते हैं इनके चारो और चूर्णी फेल जाती हैं जिसके कारण पौधे की बढवार रुक जाती हैं।
समय पर बुवाई करने से रोग की सम्भावना कम हो जाती हैं लक्षण (Matar ki kheti 2022) दिखाई देने पर गंधक चूर्ण का 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
उकठा रोग – इस रोग के लक्षण पौधे की प्रारम्भिक अवस्था पर ही दिखाई देने लगती हैं इसमें पौधे मुरझा जाते हैं पानी की उपलब्धता होने पर भी और फिर वो सूखने लगते हैं पौधों की जड़ो व तनों पर धारिया बन जाती हैं। नियंत्रण – इसकी रोकथाम के लिये गर्मियों में गहरी जुताई करनी चाहिए साथ ही बीज को उपचारित करके बोना चाहिए। ट्राईकोडर्मा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज (Matar ki kheti 2022) की दर से देना चाहिए।
किट्ट रोग (रस्ट) – इसके कारण तनों व फलियों के हरे भागों पर हल्का पीलापन दिखाई देता हैं जों बाद में धीरे-धीरे गहरे भूरे या काले रंग के जल बनाता हैं। नियंत्रण – इसके नियन्त्रण के लिए 2 कि.ग्रा. डाईथेन एम-45 को 700-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिडकाव रोग (Matar ki kheti 2022) दिखाई देने पर और दूसरा व तीसरा 15 दिन के अन्तराल पर करे, या फिर 0.2 प्रतिशत केलिक्सिन का प्रयोग करें।
- लीफ माइनर : इसकी सुंडी पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे भाग को खाती हैं जिससे भूरे चकते पड़ जाते हैं। इसके लिए परजीवी ब्रेकोन ब्रेविकोर्निस खेत में छोड़े या फिर 625-750 ग्रा.एसिफेट-75 एस.पी. का छिडकाव करना चाहिए।
- दीमक : पौधों को निचे से काटकर सुखा देती हैं और पौधे को उखाड़ने पर आसानी से उखड़ जाते हैं। बीज को 3-4 मि.ली. क्लोरोपायरीफोस 20-ई.सी. पर कि.ग्रा. से उपचारित (Matar ki kheti 2022) करे। खड़ी फसल में इमिड़ाक्लोप्रिड 200-300 मि.ली. को पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
फसल कटाई एवं गहाई
इसका उतम समय फरवरी से मार्च हैं जब फलियों का रंग लगे गहरे हरे से हल्के भूरे, और अच्छी तरह से पक गई हो तभी कटाई करे इसके लिये पौधों को फलियों (Matar ki kheti 2022) सहित काटकर एक सप्ताह तक सुखाकर फिर गहाई करनी चाहिए। गहाई के बाद जब बीज में 8-9 प्रतिशत नमी हो तब ही भण्डारण करना चाहिए |
- उपज – इसकी औसत उपज 20-30 क्विंटल होती हैं अगर उपरोक्त सभी उन्नत तकनीक के अनुसार खेती करे।
यह भी पढ़िए…. Experts की सलाह जारी.. फफूंदी और जीवाणु रोग से सोयाबीन की फसल को बर्बाद होने से बचाए
सोयाबीन को तंबाकू इल्ली के प्रकोप से कैसे बचाएं
जानिए, सोयाबीन की फसल में तनाछेदक किट नियंत्रण कैसे करें?
आपको चौपाल समाचार का यह आलेख अच्छा लगा हो तो इसे जरूर शेयर करें और नीचे दिए गए माध्यमों से जुड़कर हर खबर से अपडेट रह सकते है।
जुड़िये चौपाल समाचार से-
ख़बरों के अपडेट सबसे पहले पाने के लिए हमारे WhatsApp Group और Telegram Channel ज्वाइन करें और Youtube Channel को Subscribe करें, हम सब जगह हैं।