रबी फसलों को पाले से बचाव के उपाय कृषि वैज्ञानिकों से जानें
सर्दी के दिनों में पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है पाले से फसलों को बचाने (Measures to protect crops from frost) के लिए किन उपायों को करना चाहिए जानिए.
Measures to protect crops from frost | आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार, गोरखपुर के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा. शैलेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि दिसंबर से जनवरी माह में पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है, जिस से फसलों को काफी नुकसान होता है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि जिस दिन ठंड (Measures to protect crops from frost) अधिक हो, शाम को हवा का चलना रुक जाए, रात में आकाश साफ हो व आर्द्रता प्रतिशत अधिक हो, तो उस रात पाला पड़ने की संभावना सब से अधिक होती है. दिन के समय सूरज की गरमी से धरती गरम हो जाती है, जमीन से यह गरमी विकिरण के द्वारा वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है।
जिसके कारण जमीन को गरमी नहीं मिल पाती है और रात में आसपास के वातावरण का तापमान कई बार जीरो डिगरी सैंटीग्रेड या इस से नीचे चला जाता है। ऐसी दशा में ओस (Measures to protect crops from frost) की बूंदें/जल वाष्प बिना द्रव रूप में बदले सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में बदल जाती हैं. इसे ही ‘पाला’ कहते हैं।
पाला पड़ने से पौधों की कोशिकाओं के रिक्त स्थानों में उपलब्ध जलीय घोल ठोस बर्फ में बदल जाता है, जिस का घनत्व अधिक होने के कारण पौधों (Measures to protect crops from frost) की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रंध्रावकाश नष्ट हो जाते हैं। इस के कारण कार्बन डाईऑक्साइड, औक्सीजन, वाष्प उत्सर्जन व अन्य दैहिक क्रियाओं की विनिमय प्रक्रिया में बाधा पड़ती है,
जिस से पौधा (Measures to protect crops from frost) नष्ट हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाला पड़ने से पत्तियां व फूल मुरझा जाते हैं और झुलस कर बदरंग हो जाते हैं. दाने छोटे बनते हैं। फूल झड़ जाते हैं. उत्पादन अधिक प्रभावित होता है।
पाला पड़ने से आलू, टमाटर, मटर, मसूर, सरसों, बैगन, अलसी, जीरा, अरहर, धनिया, पपीता, आम व अन्य नवरोपित फसलें अधिक प्रभावित होती हैं। पाले (Measures to protect crops from frost) की तीव्रता अधिक होने पर गेहूं, जौ, गन्ना आदि फसलें भी इसकी चपेट में आ जाती हैं।
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पाले से बचाव के तरीके (Measures to protect crops from frost)
- खेतों की मेंड़ों पर घासफूस जला कर धुआं करें. ऐसा करने से फसलों के आसपास का वातावरण गरम हो जाता है. पाले के प्रभाव से फसलें बच जाती हैं।
- पाले (Measures to protect crops from frost) से बचाव के लिए किसान फसलों में सिंचाई करें. सिंचाई करने से फसलों पर पाले का प्रभाव नहीं पड़ता है।
- पाले के समय 2 लोग सुबह के समय रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर खेत के एक एक कोने से दूसरे कोने तक फसल को हिलाते रहें, जिस से फसल पर पड़ी हुई ओस गिर जाती है और फसल पाले से बच जाती है।
- यदि किसान नर्सरी तैयार कर रहे हैं, तो उस को घासफूस की टाटिया बना कर अथवा प्लास्टिक से ढकें. ध्यान रहे कि दक्षिणपूर्व भाग खुला रखें, ताकि सुबह और दोपहर में धूप मिलती रहे।
- पाले से दीर्घकालिक बचाव के लिए उत्तर पश्चिम मेंड़ पर और बीच बीच में उचित स्थान पर वायुरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल, खेजड़ी, शहतूत, आम व जामुन आदि को लगाएं, तो सर्दियों में पाले से फसलों को बचाया जा सकता है।
- यदि किसान फसलों पर कुनकुने पानी का छिड़काव करते हैं, तो फसलें पाले से बच जाती हैं।
- पाले (Measures to protect crops from frost) से बचाव के लिए किसानों को पाला पड़ने के दिनों में यूरिया की 20 ग्राम प्रति लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए अथवा थायोयूरिया की 500 ग्राम
- मात्रा को 1,000 लिटर पानी में घोल कर 15-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें अथवा 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर
- 80 फीसदी डब्लूडीजी की 40 ग्राम मात्रा को प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव किया जा सकता है.
- ऐसा करने से पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जीवद्रव्य का तापमान बढ़ जाता है और वह जमने नहीं पाता है. इस तरह फसलें पाले से बच जाती हैं।
- फसलों को पाले से बचाव के लिए म्यूरेट ऑफ पोटाश की 15 ग्राम मात्रा प्रति 15 लिटर पानी में घोल कर छिड़काव कर सकते हैं।
- फसलों को पाले (Measures to protect crops from frost) से बचाने के लिए ग्लूकोज 25 ग्राम प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर किसान अपने खेतों में छिड़काव करें।
- फसलों को पाले से बचाव के लिए एनपीके 100 ग्राम व 25 ग्राम एग्रोमीन प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव किया जा सकता है।
- अधिक जानकारी के लिए अपने अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से व कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें कर सकते हैं।
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