धान नहीं बोने वाले किसानों को मिलेगी ₹7,000 प्रति एकड़ सब्सिडी
धान को छोड़कर अन्य फसलों की खेती ( Mera Pani Mera Virasat Scheme ) करने वाले किसानों को सरकार सब्सिडी देगी।
Mera Pani Mera Virasat Scheme : हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा के सालों पुरानी पानी की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। ऐसे में हरियाणा सरकार की तरफ से धान की खेती नहीं करने वाले किसान को प्रोत्साहन देने की तैयारी है। जिसके लिए हरियाणा सरकार ने मेरा पानी मेरा विरासत स्कीम का ऐलान किया है।
यह स्कीम है
मेरा पानी मेरा विरासत स्कीम ( Mera Pani Mera Virasat Scheme ) के तहत हरियाणा सरकार किसानों को 7,000 रुपए प्रति एकड़ सब्सिडी मुहैया कराएगी। जिससे किसानों को उन फसलों की खेती करने के लिए बढ़ावा मिलेगा जिसमें पानी कम खर्च होता हो। दरअसल हरियाणा सरकार की तरफ से मेरा पानी मेरा विराम स्कीम की शुरुआत कर रखी है।
धान की सीधी बिजाई पर प्रति एकड़ मिलेंगे ₹4000
इसके साथ ही हरियाणा सरकार सिंचाई की समस्या से निपटने के लिए किसानों को धान की सीधी बिजाई पर प्रति एकड़ ₹4000 दे रही है। इन योजनाओं का लाभ सिर्फ हरियाणा के मूल निवासी किसान ही लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में किसानों को धान की जगह अन्य फसल उगाने होगी। वही हरियाणा सरकार ने यह भी कहा है कि वह मक्का और दुल्हनों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगी।
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लाभ लेने के लिए यहां करें अप्लाई
Mera Pani Mera Virasat Scheme : सब्सिडी हासिल करने के लिए किसानों को मेरा फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर विजिट करके ऑनलाइन अप्लाई करना होगा। उल्लेखनीय है, कि हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में धान की फसल हमेशा से चिंता के विषय रही है। जिसके चलते धान की फसल में भारी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। जिससे इन राज्यों में जल की कमी हो जाती है। एक अनुमान के अनुसार 1 किलो चावल पैदा करने के लिए 2,000-5,000 लीटर पानी खर्च होता है। मौजूदा समय में देश के कई राज्यों इन दिनों गिरते भूजल स्तर की समस्या से जूझ रहे हैं।
ऐसे में किसानों के सामने सिंचाई की गंभीर समस्या खड़ी होती दिख रही है। ऐसे में इससे निपटने के लिए सरकारी अपनी तरफ से तमाम कोशिशें करती नजर आ रही है। हरियाणा में मोटे अनाज ,तिलहन और दलहन को बोने से कई अन्य फायदे भी नजर आ रहे हैं। इसमें फसल जलने से होने वाला प्रदूषण भी कम होगा। इसके आंतरिक तो पशुओं को चारा भी मिल सकेगा। वहीं खाद के तेल के आयात पर भारत की निर्भरता भी कम हो जाएगी। वही मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ जाएगी।
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