खेती-किसानी

MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में किसानों को मालामाल कर देगी

कुछ ही दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है। MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में यह है, सोयाबीन की यह किस्में किसानों को मालामाल कर देगी।

MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में | सोयाबीन बीज की व्यवस्था में जुटे किसानों के लिए आज हम सोयाबीन की उन्नत व नई वैरायटीओ पर चर्चा करने वाले हैं। सोयाबीन की नवीनतम किस्में रोग प्रतिरोधक है। इसके साथ ही इन किस्मों से पैदावार भी अधिक होगी। सोयाबीन की यह नवीनतम वैरायटीयां कृषि वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में विकसित की गई है, तो आइए देर किस बात की। चर्चा करते हैं उन चुनिंदा सोयाबीन की किस्मों के बारे में जो इस वर्ष अच्छा उत्पादन देगी।

MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में | आर.वी.एस.एम. 11 – 35

मध्यम अवधि की उच्च उत्पादन क्षमता एवं असाधारण व्याधि एवं कीट प्रतिरोधक सोयाबीन की यह किस्म आर.वी.एस.एम. 11 – 35 आश्चर्यकारी, चमत्कारी एवं व्यावहारिक परिणाम देने में सक्षम है। वैज्ञानिकों एवं किसानों द्वारा लिए गए परिणाम एवं अभिमत अनुसार सोयाबीन की यह किस्म सभी मापदंडों पर 100% खरी उतरी है। राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (RVSKVV) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई यह सोयाबीन किस्म आर.वी.एस.एम. 11 – 35 वर्ष 2018 – 19 व वर्ष 2019 -20 में लगातार 2 वर्षों तक ए.आई.सी.आर.पी. नेटवर्क के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च उत्पादन देने के कारण प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जो कि तकनीकी दृष्टि से एक बहुत बड़ी बात है व इस किस्म की एक बहुत बड़ी सफलता एवं उपलब्धि है।

आई.सी.ए.आर. की इसी कमेटी द्वारा सोयाबीन अनुसंधान केंद्र मुरैना से विकसित नवीन सोयाबीन किस्म में 11 – 35 को जो कि दो विभिन्न पैतृक किस्म जे.एस. 335 एवं पी.के. 1042 के संकरण से तैयार की गई है, को अधिक पैदावार, पीला मोजेक वायरस एवं चारकोल राॅट एवं जड़ सड़न के प्रति प्रतिरोधकता के आधार पर एक नई सोयाबीन किस्म के रूप में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अनुशंसा के रूप में चिन्हित किया गया है। इस किस्म का औसत उत्पादन क्षमता लगभग 25 – 30 क्विंटल हेक्टेयर अधिकतम उत्पादन क्षमता व्यावहारिक एवं आदर्श परिस्थितियों में 30 – 35 क्विंटल हेक्टेयर इस किस्म में मानक किस्मों जैसे जे.एस. 335 व अन्य से लगभग 18 से 28% तक अधिक उत्पादन दिया है। परिपक्वता अवधि लगभग 94 से 96 दिवस अधिक वर्षा एवं देर तक वर्षा की स्थिति बहुत गहरी जमीनों में इस अवधि में स्वाभाविक रूप से परिवर्तन संभव है।

सोयाबीन की इस किस्म को सामान्य परिस्थिति में 85/90% अंकुरण होने पर इस किस्म के बीजों की बिजाई दर 13 से 15 किलो प्रति बीघा या 25/30 किलो एकड़ या 65-70 किलो हेक्टेयर रखने तथा लाइन से लाइन की दूरी 18 इंच या 1.5 फिट रखने एवं आदर्श कार्यमाला अपनाने पर आदर्श परिणाम बीज दर निर्धारित करने से पूर्व कृषक अपने बीज के अंकुरण की जांच बारदान में 100 दाने रखकर गिला करके सावधानी से कर ले बीज का अंकुरण 8590 से कम होने पर स्वाभाविक रूप से बीज दर में वृद्धि करनी होगी।

सोयाबीन जे एस 20-34

अच्छी अर्ली सोयाबीन जे एस 95-60 किस्म से सभी किसान परिचित हैं। लेकिन अब किसानों के लिए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (J.N.K.V.V.) मध्य प्रदेश द्वारा भारत में दूसरी अति शीघ्र पकने वाली उन्नत सोयाबीन किस्मत जे. एस. 20-34 जारी की है, जो कि देश में मध्यक्षेत्र मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र हेतु अनुशंसित है। यह किस्म जे.एस. 95-60 के लगभग व जे.एस 93-05 से लगभग 8-10 दिन पूर्व पककर तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता एवं गुण शीघ्र पकने वाली अन्य सोयाबीन किस्मों की तुलना में सर्वाधिक है। सम्राट एवं पूर्व में प्रचलित शीघ्र पकने वाली अन्य किस्मों, जिसमें कीट व्याधि का अत्यधिक प्रकोप, निरंतर गिरती उत्पादन क्षमता के कारण उत्पादन ठीक प्रकार से नहीं हो रहा था, को विस्थापित करके एक आदर्श विकल्प के रूप में यह किस्म शीघ्र ही अपना एक अचल स्थान किसानों में बना लेगी।

सोयाबीन जवाहर जेएस 20-69

जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश द्वारा किसानों के लिए सोयाबीन की चमत्कारी किस्म जेएस 20-69 हाल ही में जारी एक नवीनतम किस्म है। यह एक शीघ्र पकने वाली प्रजाति है जो 94 दिन में पक जाती है। विपरीत परिस्थितियों में भी इसमें अधिक उपज देने की क्षमता है। यह बहू प्रतिरोधी प्रजाति है, जो जैविक व्याधियों जैसे पीला मोजेक, चारकोल, सड़न, झुलसन, जीवाणु धब्बा, पर्णीय धब्बे, तना मक्खी, चक्रभृंग एवं पत्ती भक्षको के लिए रोधी एवं सहनशील है। इसमें अंकुरण एवं दीर्घ जीवी क्षमता उत्तम है।

शीघ्र पकने के कारण यह द्विफसली प्रणाली के लिए अति उत्तम है। यह अर्ध सीधे बढ़ने वाली प्रजाति है, अतः अंतर्वती फसल प्रणाली के लिए भी उपयुक्त है। इस किस्म के दाने चमकदार, 100 दानों का वजन 10 से 11 ग्राम, फूलों का रंग सफेद, फुल आने की अवधि 40 दिन, फलिया भूरे रंग की चटकने की समस्या नहीं। इस किस्मों में अधिक वर्षा व बीमारी के प्रति विशेष प्रतिरोधकता व उच्च उत्पादन क्षमता होने के कारण यह नवीन किस्म किसानों के लिए वरदान सिद्ध होगी।

 सोयाबीन जेएस 20-98

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश द्वारा पुरानी सोयाबीन किस्मों के श्रेष्ठ विकल्प के रूप में किसानों की आवश्यकता एवं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निरंतर गहन रिसर्च के पश्चात सोयाबीन की नवीनतम किस्म जेएस 20-98 जारी की है। सोयाबीन की यह किस्म बोनी हेतु मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है। सोयाबीन की यह किस 335 से पहले वह सोयाबीन जेएस 93-05 के लगभग पक कर तैयार हो जाएगी। हल्की सामान्य एवं भारी जमीनों में तथा सामान्य एवं विपरीत परिस्थितियों एवं मौसम में भी इस किस्म में अत्यधिक उत्पादन देने की अद्भुत क्षमता देखी गई है।

उत्तम अंकुरण क्षमता एवं पौधे में फैलाव के अनुकूल स्थितियां होने के कारण 75 किलो प्रति हेक्टेयर बीज दर रखने एवं 14 से 16 इंच कतार से कतार की दूरी रखने पर इस किस्म का आदर्श परिणाम प्राप्त होता है। सोयाबीन की यह किस्म की ऊंचाई अधिक होने के कारण हार्वेस्टर से कटाई हेतु भी उपयुक्त है। पूर्व में प्रचलित सोयाबीन किस्मों में कीट व्याधि का अत्याधिक प्रकोप तथा उत्पादन एवं गुणवत्ता में लगातार आ रही गिरावट/कमी को देखते हुए सोयाबीन की यह नवीनतम किस्म जेएस 20-98 सोयाबीन की पुरानी किस्मों को विस्थापित कर उत्पादन एवं गुणवत्ता के नए मानदंड एवं आयाम बनाकर किसानों के लिए एक आदर्श सोयाबीन किस्म का विकल्प बनकर शीघ्र प्रतिस्थापित हो जाएगी।

सोयाबीन आर.वी.एस.-18 (प्रज्ञा): (आर.वी.एस 2001-18)

राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा न्यूनतम सोयाबीन किस्म ने अपने पहले ही उत्पादन वर्ष में अपने चमत्कारी गुणों के कारण दर्शकों का दिल जीत लिया है। यह नवीनतम सोयाबीन की किस्म देश के मध्य क्षेत्र मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा, विदर्भ आदि क्षेत्रों के लिए अनुसूची की गई है। सोयाबीन की यह किस्म मध्य अवधि लगभग 91-93 दिवस होने के कारण सोयाबीन जे.एस. 93-05 के लगभग पककर तैयार हो जाएगी।

मध्यम अवधि व मजबूत जनतंत्र, फेलावदार पौधे होने के कारण कम व अधिक वर्षा तथा वर्षा के जल्दी या देर तक वर्षा होने की स्थिति बने रहने पर भी दोनों ही परिस्थितियों में समायोजन का असाधारण गुण होने के कारण कृषकों को वर्षाजन्य परिस्थितियों से नुकसान नहीं होता है व इस प्रकार की परिस्थितियों में भी कृषक को उच्च गुणवत्ता वाले अधिकतम सोयाबीन उत्पादन प्राप्त होने की पूरी पूरी संभावना रहती है।

MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में- सोयाबीन आर.वी.एस-24

राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में वर्ष 2017 में जारी इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन क्रमांक एस.ओ,. 1007 दिनांक 30 3 2017 है। सोयाबीन की यह एक उन्नत किस्म है। यह देश के मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है।

सोयाबीन की यह किस्म लगभग मध्यम अवधि लगभग 91 से 94 दिवस में आने वाली तथा अपने मोजेक निरोधक के कारण, जो कि आज की बहुत बड़ी समस्या है व अपने उच्च उत्पादन क्षमता के कारण शीघ्र ही किसानों में अपना एक मजबूत स्थान बना लेगी। इस किस्म में लगभग 70 किलो प्रति हेक्टेयर व लाइन से लाइन की दूरी 14 से 16 इंच रखने 4.5 से 5.5 लाख प्रति हेक्टेयर पौध संख्या रखने पर आदर्श परिणाम लगभग 22 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता, व्यवहारिक व किसानों से प्राप्त उत्पादन आंकड़ों के अनुसार 30 क्विंटल से अधिक उत्पादन की पुष्टि की गई है।

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मध्यप्रदेश के लिए अनुशंसित 5 प्रमुख सोयाबीन की किस्में

सोयाबीन आर.वी.एस. 2001-4

राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में जारी की गई सोयाबीन की इस नवीनतम किस्म ने अपने पहले ही उत्पादन वर्ष में इसके दर्शाए गए गुणों के अनुसार किसानों को चमत्कारी परिणाम दिए हैं। सेमीडिटरमिनेट (अर्धपरिमित) सीधा फैलाव वाला पौधा हायलम का रंग ब्राउन (भूरा), फूलों का रंग सफेद, पौधे की ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर, फसल की अवधि लगभग 93 दिवस।

सोयाबीन की यह किस्म मजबूत जड़तंत्र होने से जड़ सड़न, पीला मोजेक रोग, फलियां रोएंदार होने से गर्डल बीटल, सेमिलूपर आदि के लिए सहनशील, फलियों में चटकने की समस्या नहीं। जलजमाव वह भराव की स्थिति में अन्य किस्मों की तुलना में अधिक सहनशील किस्म।

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सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए अभी से खेत की तैयारी कैसे करें? कृषि विशेषज्ञों से यह जानिए

सोयाबीन आर.वी.एस.-24: (आर.वी.एस. 2002-4)

MP सोयाबीन की उन्नत/नई किस्में- राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सोयाबीन की यह एक अत्यंत उन्नत किस्म है। यह देश के मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है। सोयाबीन की यह किस्म लगभग मध्यम अवधि लगभग इनका 91-94 दिवस में आने वाली तथा मोजेक निरोधक किस्म के गुण के कारण जो कि आज की बहुत बड़ी समस्या है व अपने उच्च उत्पादन क्षमता के कारण शीघ्र ही किसानों में अपना एक मजबूत स्थान बना लेगी। इस किस्म में लगभग 70 किलो प्रति हेक्टेयर व लाइन से लाइन की दूरी 14″ से 16″ इंच रखने, 4.5 से 5.5 लाख प्रति हेक्टेयर पौधों की संख्या रखने पर आदर्श परिणाम लगभग 22 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता व्यावहारिक व किसानों से प्राप्त उत्पादन आंकड़ों के अनुसार 30 क्विंटल से अधिक उत्पादन की पुष्टि की गई है।

किसान इन बातों का विशेष ध्यान रखें

अधिक बीज दर लाइन से लाइन की दूरी कम रखने ज्यादा घनी बिजाई करने पर पौधों के आडा पढ़ने (लाजिंग) की समस्या आ सकती है। किसान इस बात का विशेष ख्याल रखें अन्यथा बाद में अपनी गलती होने के बाद भी इस कथन को दोष देना इस किस्म के साथ अन्याय होगा। उच्च अंकुरण क्षमता, फैलावदार, शाखायुक्त पौधा होने से यह किस्म डिबलिंग (चुपाई) पद्धति से बोने के लिए भी एक आदर्श किस्में है।

नोट : उपरोक्त समस्त फसलों एवं बीजों का विवरण/विशेषताएं आदर्श कृषि कार्यमाला एवं आदर्श परिस्थितियों के अनुसार प्राप्त जानकारी के आधार पर तथा कृषको से प्राप्त व व्यावहारिक/वास्तविक आंकड़ों के आधार पर दिए गए हैं। इन आदर्श स्थितियों में परिवर्तन होने पर उपरोक्त विशेषताओं/परिणाम के आंकड़ों में भी परिवर्तन हो सकता है। किसान हित में इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करें।

किसान साथी सोयाबीन बीज के संबंध में वसुंधरा सीड्स उज्जैन से संपर्क कर सकते हैं।

प्रदीप खड़ीकर, वसुंधरा सीड्स उज्जैन (म.प्र.)

फोन नंबर : 07342530547, मो.नं. 9301606161

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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