मध्यप्रदेश के लिए अनुशंसित 5 प्रमुख सोयाबीन की किस्में
मध्यप्रदेश में प्रमुख रूप से सोयाबीन की फसल अधिक बोई जाती है। एमपी के लिए पांच प्रमुख (MP ke liye Soybean ki 5 Pramukh kismen) सोयाबीन की किस्में यह है।
MP ke liye Soybean ki 5 Pramukh kismen-मौसम, जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार अलग-अलग क्षेत्र अनुसार सोयाबीन की अलग-अलग किस्में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर गहन परीक्षण रिसर्च एवं जांच पड़ताल के पश्चात अनुशंसित की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए गई इन फसलों से अच्छी पैदावार मिलती है। मध्य प्रदेश के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की कई वैरायटीयों को अनुशंसित किया है, इनमें से पांच प्रमुख वैरायटीयां (किस्में) यह है। सोयाबीन की इन पांच प्रमुख किस्मों के विषय में पूरी जानकारी दी जा रही है साथ ही उनके गुण एवं विशेषताएं भी बताई जा रही है, इसलिए इस खबर को अंत तक जरूर पढ़ें।
MP ke liye Soybean ki 5 Pramukh kismen
1- सोयाबीन जे एस 20-34
विगत कई वर्षों में देर से वर्ष बाद में अवर्षा की स्थिति में रबी में अगाती फसलों डालर एवं देसी चना, आलू, मटर, लहसुन- प्याज, शरबती गेहूं लगाने वाले किसान बिजली संकट से जूझ रहे किसान खेती में बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए अधिकतम प्रतिफल (आउटपुट) निकालने हेतु 3 फसल लेने की योजना का समायोजन करने हेतु, कृषको का आकर्षण अर्ली (जल्दी) आने वाली किस्मों की तरफ बढ़ता जा रहा है।
कई वर्षों से किसान इस बात से परेशान थे कि एक अच्छी अर्ली सोयाबीन किस्म में उनके पास जे एस 95-60 किस्म के आंतरिक कोई विकल्प नहीं था किंतु वर्षों के गहन अनुसंधान के पश्चात जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (J.N.K.V.V.) मध्य प्रदेश द्वारा भारत में दूसरी अति शीघ्र पकने वाली उन्नत सोयाबीन किस्मत जे. एस. 20-34 जारी की है, जो कि देश में मध्यक्षेत्र मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र हेतु अनुशंसित है।
यह किस्म जे.एस. 95-60 के लगभग व जे.एस 93-05 से लगभग 8-10 दिन पूर्व पककर तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता एवं गुण शीघ्र पकने वाली अन्य सोयाबीन किस्मों की तुलना में सर्वाधिक है। सम्राट एवं पूर्व में प्रचलित शीघ्र पकने वाली अन्य किस्मों, जिसमें कीट व्याधि का अत्यधिक प्रकोप, निरंतर गिरती उत्पादन क्षमता के कारण उत्पादन ठीक प्रकार से नहीं हो रहा था, को विस्थापित करके एक आदर्श विकल्प के रूप में यह किस्म शीघ्र ही अपना एक अचल स्थान किसानों में बना लेगी।
सोयाबीन जे एस 20-34 वैरायटी के प्रमुख गुण
- दानों का आकार – गोलाकार मध्यम बोल्ड,
- 100 दानों का वजन –11 से 12 ग्राम
- दाने के प्रकार – पीला चमकदार
- नाभि का रंग – काला
- अंकुरण क्षमता – उत्तम 80 से 90% तक
- पौधे का प्रकार – बोनी (छोटी) किस्म 40 से 45 सेंटीमीटर परिमित वृद्धि (डिटरमिनेट) प्लांट कम फैलने वाला सीधा प्लांट (इरेक्ट)
- पत्तियों का रंग – गहरा हरा
- पत्तियों का आकार – गोल अंडकार रोएं, फलिया रोएंदार नहीं।
2 – सोयाबीन जवाहर जेएस 20-69
जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर मध्य प्रदेश द्वारा किसानों के लिए सोयाबीन की चमत्कारी किस्म जेएस 20-69 हाल ही में जारी एक नवीनतम किस्म है। यह एक शीघ्र पकने वाली प्रजाति है जो 94 दिन में पक जाती है। विपरीत परिस्थितियों में भी इसमें अधिक उपज देने की क्षमता है। यह बहू प्रतिरोधी प्रजाति है, जो जैविक व्याधियों जैसे पीला मोजेक, चारकोल, सड़न, झुलसन, जीवाणु धब्बा, पर्णीय धब्बे, तना मक्खी, चक्रभृंग एवं पत्ती भक्षको के लिए रोधी एवं सहनशील है। इसमें अंकुरण एवं दीर्घ जीवी क्षमता उत्तम है।
शीघ्र पकने के कारण यह द्विफसली प्रणाली के लिए अति उत्तम है। यह अर्ध सीधे बढ़ने वाली प्रजाति है, अतः अंतर्वती फसल प्रणाली के लिए भी उपयुक्त है। इस किस्म के दाने चमकदार, 100 दानों का वजन 10 से 11 ग्राम, फूलों का रंग सफेद, फुल आने की अवधि 40 दिन, फलिया भूरे रंग की चटकने की समस्या नहीं। इस किस्मों में अधिक वर्षा व बीमारी के प्रति विशेष प्रतिरोधकता व उच्च उत्पादन क्षमता होने के कारण यह नवीन किस्म किसानों के लिए वरदान सिद्ध होगी।
3 – सोयाबीन जेएस 20-98
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश द्वारा पुरानी सोयाबीन किस्मों के श्रेष्ठ विकल्प के रूप में किसानों की आवश्यकता एवं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निरंतर गहन रिसर्च के पश्चात सोयाबीन की नवीनतम किस्म जेएस 20-98 जारी की है। सोयाबीन की यह किस्म बोनी हेतु मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है। सोयाबीन की यह किस 335 से पहले वह सोयाबीन जेएस 93-05 के लगभग पक कर तैयार हो जाएगी। हल्की सामान्य एवं भारी जमीनों में तथा सामान्य एवं विपरीत परिस्थितियों एवं मौसम में भी इस किस्म में अत्यधिक उत्पादन देने की अद्भुत क्षमता देखी गई है।
उत्तम अंकुरण क्षमता एवं पौधे में फैलाव के अनुकूल स्थितियां होने के कारण 75 किलो प्रति हेक्टेयर बीज दर रखने एवं 14 से 16 इंच कतार से कतार की दूरी रखने पर इस किस्म का आदर्श परिणाम प्राप्त होता है। सोयाबीन की यह किस्म की ऊंचाई अधिक होने के कारण हार्वेस्टर से कटाई हेतु भी उपयुक्त है। पूर्व में प्रचलित सोयाबीन किस्मों में कीट व्याधि का अत्याधिक प्रकोप तथा उत्पादन एवं गुणवत्ता में लगातार आ रही गिरावट/कमी को देखते हुए सोयाबीन (MP ke liye Soybean ki 5 Pramukh kismen) की यह नवीनतम किस्म जेएस 20-98 सोयाबीन की पुरानी किस्मों को विस्थापित कर उत्पादन एवं गुणवत्ता के नए मानदंड एवं आयाम बनाकर किसानों के लिए एक आदर्श सोयाबीन किस्म का विकल्प बनकर शीघ्र प्रतिस्थापित हो जाएगी।
सोयाबीन जेएस 20-98 के प्रमुख गुण : दाने का आकार गोलाकार मध्यम गोल्ड 100 दानों का वजन 10.2 ग्राम, दाने का प्रकार पीला चमकदार, नाभि का रंग काला, अंकुरण क्षमता 80 से 90% , पौधे का प्रकार मध्यम ऊंची किस्म, ऊंचाई लगभग 46 से 55 सेंटीमीटर, अर्धपरिमित (सेमी डिटरमिनेट) यानी सीधा मध्यम फैलाव वाला पौधा (सेमी इरेक्टर), पत्ती का आकार तीखी-सकरी फलिया रोएंदार (चिकनी नहीं), रोएं एवं फली का रंग भूरा, आधे फुल आने की अवधि लगभग 40 से 42 दिवस, फूलों का रंग सफेद, दो से तीन दाने की फलियां, चटकने की समस्या नहीं, आदर्श पौधा 4 लाख पौधे प्रति हेक्टेयर, फसल की अवधि लगभग 94 दिन, दानों में तेल की मात्रा 19.3%, प्रोटीन प्रतिशत 40%, अधिकतम उत्पादन क्षमता से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं उससे भी अधिक आदर्श परिस्थितियों में एक बायोटिक स्ट्रेस जैसे पीला मोजेक वायरस, चारकोल राट, ब्लाइट, बैक्टीरियल, पाश्चुल, लीफ स्पाट बीमारियों के लिए तथा मजबूत जड़तंत्र के कारण अधिक वर्षा होने की स्थिति में जड़ गलन एवं जड़ सड़न की समस्या नहीं।
4) सोयाबीन आर.वी.एस.-18 (प्रज्ञा): (आर.वी.एस 2001-18)
राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में वर्ष 2017 में जारी इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन क्रमांक एस.ओ. 2458 (E) दिनांक 29.08.2017 है। इस न्यूनतम सोयाबीन किस्म ने अपने पहले ही उत्पादन वर्ष में अपने चमत्कारी गुणों के कारण दर्शकों का दिल जीत लिया है। यह नवीनतम सोयाबीन की किस्म देश के मध्य क्षेत्र मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा, विदर्भ आदि क्षेत्रों के लिए अनुसूची की गई है। सोयाबीन की यह किस्म मध्य अवधि लगभग 91-93 दिवस होने के कारण सोयाबीन जे.एस. 93-05 के लगभग पककर तैयार हो जाएगी।
मध्यम अवधि व मजबूत जनतंत्र, फेलावदार पौधे होने के कारण कम व अधिक वर्षा तथा वर्षा के जल्दी या देर तक वर्षा होने की स्थिति बने रहने पर भी दोनों ही परिस्थितियों में समायोजन का असाधारण गुण होने के कारण कृषकों को वर्षाजन्य परिस्थितियों से नुकसान नहीं होता है व इस प्रकार की परिस्थितियों में भी कृषक को उच्च गुणवत्ता वाले अधिकतम सोयाबीन उत्पादन प्राप्त होने की पूरी पूरी संभावना रहती है।
उपरोक्त गुणों को देखते हुए लगभग 70 किलो प्रति हेक्टेयर बीज दर रखने, लाईन की दूरी 14” से 16” रखने, का आदर्श पौधों संख्या 4.5 से 5.5 लाखों संख्या प्रति हेक्टेयर रखने तथा आदर्श कृषि कार्यमाला अनुसार कृषि कार्य करने का आदर्श परिणाम सामान्य परिस्थितियों में 22 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन। किंतु व्यावहारिक रूप से किसानों द्वारा गतवर्षों में लिए गए वास्तविक अधिकतम उत्पादन का आंकड़ा इस लिस्ट में 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इससे अधिक भी बताया गया है।
प्रमुख गुण (केरैक्टर)- दाने का आकर गोलाकार मध्यम (बोल्ड) 100 दानों का वजन 10.2 ग्राम, दाने का रंग पीला, चमकदार, नाभि का हायलम रंग काला, अंकुरण क्षमता लगभग 80 से 85%, पौधों को प्रकार मध्यम ऊंची किस्म लगभग 60 से 70 से.मी.। सीधा मध्यम फैलाव वाला पौधा। पत्तियों का आकार तीखा-सकरी, फलिया रोएंदार नहीं, (चिकनी) फली का रंग भूरा, तीन से चार दाने की फलिया, फलियों में चटकने (सेंटरिंग) की समस्या नहीं, फुल आने की अवधि 32 से 36 दिवस फूल का रंग सफेद, पौधों की ऊंचाई अच्छे होने से हार्वेस्टर से काटने हेतु उपयुक्त मल्टीपल रेजिस्टेंस याने बहूरोधक किस्म होने से इस किस्म में अनेक कीट एवं बीमारियों के प्रति विशेष प्रतिरोधक एवं सहनशीलता का गुण। विशेष रूप से येलो मोजेक एवं कालर राट बीमारी के प्रति सहनशीलता।
5) सोयाबीन आर.वी.एस-24
राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में वर्ष 2017 में जारी इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन (MP ke liye Soybean ki 5 Pramukh kismen) क्रमांक एस.ओ,. 1007 दिनांक 30 3 2017 है। सोयाबीन की यह एक उन्नत किस्म है। यह देश के मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है। सोयाबीन की यह किस्म लगभग मध्यम अवधि लगभग 91 से 94 दिवस में आने वाली तथा अपने मोजेक निरोधक के कारण, जो कि आज की बहुत बड़ी समस्या है व अपने उच्च उत्पादन क्षमता के कारण शीघ्र ही किसानों में अपना एक मजबूत स्थान बना लेगी। इस किस्म में लगभग 70 किलो प्रति हेक्टेयर व लाइन से लाइन की दूरी 14 से 16 इंच रखने 4.5 से 5.5 लाख प्रति हेक्टेयर पौध संख्या रखने पर आदर्श परिणाम लगभग 22 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता, व्यवहारिक व किसानों से प्राप्त उत्पादन आंकड़ों के अनुसार 30 क्विंटल से अधिक उत्पादन की पुष्टि की गई है।
प्रमुख गुण (कैरेक्टर) – दानों का आकार गोल मध्यम 100 दानों का वजन 10 से 11 ग्राम, दाने का रंग पीला चमकदार, नाभि का रंग काला, अंकुरण क्षमता लगभग 80 से 85% पौधे का प्रकार सीधा मध्यम, ऊंची किस्म, फलिया चटकने की समस्या नहीं फुल आने की अवधि 32 से 36 दिवस फूलों का रंग सफेद। यह किस्म येलो मोजेक, कालर राट, एवं रूट राट के प्रति सहनशीलता का विशेष गुण रखती है।
विशेष नोट :- उपरोक्त समस्त फसलों एवं बीजों का विवरण/ विशेषता आदर्श कृषि कार्य माला एवं आदर्श परिस्थितियों के अनुसार प्राप्त जानकारी के आधार पर तथा कृषकों से प्राप्त व्यवहारिक/ वास्तविक आंकड़ों के आधार पर दिए गए हैं। इन आदर्श स्थितियों में परिवर्तन होने पर उपरोक्त विशेषताओं/परिणाम के आंकड़े में भी परिवर्तन हो सकता है।
किसान सोयाबीन एवं अन्य फसलों की वैरायटीयों के संबंध में अधिक जानकारी के लिए वसुंधरा सीड्स, उज्जैन से संपर्क करें :
प्रदीप खड़िकर : 9301606161 / 0734-2530547
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