मूंग एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों की हालत एक जैसी, यह है वजह
Mung or Lahsun ke Bhav 2022 | मूंग की खेती करने वाले किसानों की हालत भी लहसुन की खेती करने वाले किसानों जैसी हो रही है। जानिए इसकी प्रमुख वजह
Mung or Lahsun ke Bhav 2022 | रबी की फसल के पश्चात अतिरिक्त आमदनी के लिए किसान गर्मियों में कम दिनों में अच्छी पैदावार देने वाली मूंग की खेती करते हैं। इससे किसानों को जहां एक और अच्छी आमदनी हो जाती है, वहीं दूसरी ओर खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है।
किसानों को इस वर्ष खेती के लिहाज से मूंग की खेती अच्छा फायदा नहीं दे पाई है। इसकी वजह मूंग के वर्तमान भाव हैं। अच्छी पैदावार के पश्चात मूंग के भाव में लगातार गिरावट से किसानों को अब तक निराश ही होना पड़ा है। गर्मियों में मध्य प्रदेश के बढ़े रकबे में मूंग की खेती हुई थी, अच्छी पैदावार होने के बाद अब भाव में लगातार गिरावट से मूंग की खेती करने वाले किसानों की हालत भी अब लहसुन की खेती करने वाले किसानों जैसी हो गई है।
किसान मूंग (Mung or Lahsun ke Bhav 2022) एवं लहसुन की खेती करके निराश
भले ही इस वर्ष गेहूं की खेती करने वाले किसानों को अच्छा फायदा मिला हो किंतु लहसुन, प्याज एवं आलू के बाद अब मूंग जैसी नकदी फसलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छा फायदा नहीं हो पाया है। लहसुन, प्याज एवं आलू व मूंग के भाव इस वर्ष अब तक बढ़ोतरी पर नहीं रहे, जिसके कारण किसानों को कहीं ना कहीं घाटा उठाना पड़ा। वहीं प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को किसी प्रकार की राहत नहीं मिल पाई है। ऐसे में किसान अब अपनी फसलों को कम दाम में बेचने के लिए मजबूर हैं।
मध्य प्रदेश सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर पाई
मध्य प्रदेश सरकार ने एमएसपी पर मूंग की खरीदी की घोषणा तो करीब दो महीने पहले कर दी लेकिन खरीदी शुरू नहीं की है। इससे किसान अपनी फसल खुले बाजार में बेचने के लिए मजबूर हैं। इसी कारण मूंग के बाजार में उत्साह की स्थिति नहीं बन पा रही है। यही स्थिति अन्य राज्यों की भी है। पंजाब में भी मूंग की खरीदी एमएसपी पर बहुत धीमी गति से हो रही है।
मूंग के भाव में लगातार गिरावट हो रही
Mung or Lahsun ke Bhav 2022 | प्रदेश में सरकार की खरीद घोषणा पर अब किसानों को भरोसा नहीं है। इससे मंडी में भाव पर दबाव बना हुआ है। सार्वजनिक वितरण के मूंग भी बाजार घटा रहे हैं। शुक्रवार को इंदौर मंडी में मूंग 50-100 रुपये और टूट गई। मूंग घटकर 5800-5950 एवरेज 5000-5400 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। घटते दामों की वजह से मध्य प्रदेश की मंडियों में मूंग की आवक कम है क्योंकि भाव एमएसपी से काफी नीचे और किसान खरीफ बोवनी में व्यस्त हैं। अब एमएसपी पर खरीदी निकलने पर ही मूंग को कुछ सपोर्ट मिल सकता है।
लहसुन के भाव की भी यही स्थिति है
इस वर्ष लहसुन की खेती करने वाले किसानों को बढ़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। इसकी वजह लहसुन की खेती में इस वर्ष लागत अधिक लगी, वहीं रोग फैलने के कारण उत्पादन घटा। रोग फैलने के कारण लहसुन की गुणवत्ता अच्छी नहीं रही, जिसके कारण लहसुन के भाव अब तक गिरावट लिए हुए हैं। इंदौर मंडी में शनिवार को लहसुन के दैनिक आवक मात्र 8-9 हजार कट्टे के होने के बावजूद भावों में धीमी गति से गिरावट रही।
एवरेज क्वालिटी की लहसुन पिछले दिनों 1600 से 2100 रुपए बिक रही थी, घटकर 1000 से 1500 रह गई। लहसुन ऊंटी 2800 से 3000 सुपर बोल्ड 2500 से 2700 बोल्ड 2000 से 2500 बारिक 300 से 500 रुपए रहे। वहीं प्याज बेस्ट क्वालिटी 1400 से 1500 एवरेज 1000 से 1300 गोल्टा 500 से 750 गोल्डी 250 से 350 रुपए रहे। आलू के भाव बेस्ट क्वालिटी 1500 से 1600 एवरेज 1200 से 1400 गुल्ला 700 से 1100 आगरा 1300 से 1600 रुपए (क्विंटल) रहे।
दाल की कीमतों में एकतरफा तेजी की स्थिति
Mung or Lahsun ke Bhav 2022 | मूंग के भाव में गिरावट है, लेकिन दूसरी ओर तुअर दाल में उपभोक्ता पूछपरख धीरे-धीरे बढ़ने और मिलों को कच्चे माल ऊंचे दामों पर मिलने के कारण दाल की कीमतों में एकतरफा तेजी की स्थिति बनी हुई है। शुक्रवार को तुअर दाल में करीब 100 रुपये बढ़ गए। वहीं चने में अच्छी मांग से भाव मजबूती पर टिके रहे। चना दाल में 100 रुपये की तेजी रही। उड़द और मसूर में कामकाज सामान्य रहा। भाव में स्थिरता रही।
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