खेती-किसानी

अब हार्वेस्टर से काट पाएंगे चना फसल, पैदावार में नंबर वन ; चने की इस नई वैरायटी के बारे में जानिए

कृषि वैज्ञानिकों ने चना फसल की नई वैरायटी (New Variety of Gram JG-24) विकसित की है। इस वैरायटी का पौधा अधिक विकसित होगा व पैदावार में नंबर वन रहेगा। इस वैरायटी के बारे में जानें

New Variety of Gram JG-24 | आमतौर पर चने की लगभग सभी किस्मों की हाइट / ऊंचाई छोटी रहती है। गेहूं धान की तरह किसानों को यदि चने की फसल भी हार्वेस्टर से काटने की सुविधा मिल जाए तो क्या कहने के साथ भी यही चाहते हैं कि कम समय में अधिक खेती किसानी का कार्य नहीं पैदावार भी अच्छी हो इसी को लेकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में चने की नई वैरायटी (New Variety of Gram JG-24) विकसित की है। नई वैरायटी 65 से 70 इंच सेंटीमीटर ऊंची रहेगी जिसके कारण इसे हार्वेस्टर से काटने में कोई परेशानी होगी।

कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की JG-24 प्रजाति

किसानों को चने की फसल (New Variety of Gram JG-24) हार्वेस्टर से काटने की सुविधा हो तो कितनी अच्छी हो जाए। किसान भी यही सोचते होंगे, लेकिन मजबूरी ये कि चने का पौधा आकार में छोटा और फलियां नीचे की ओर लटक कर फलती हैं। लेकिन, अब जबलपुर के जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKV) के वैज्ञानिकों ने ये कमाल कर दिखाया है। उन्होंने चने के बीज की ऐसी प्रजाति JG-24 विकसित की है, जिसका पौधा गेहूं-धान की तरह 65 से 70 सेमी ऊंचाई का होता है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पदस्थ चना परियोजना की मुख्य वैज्ञानिक अनीता बब्बर के मुताबिक ये प्रजाति 2020 में विकसित की गई थी। वैज्ञानिक इस प्रजाति (New Variety of Gram JG-24) के बीच विकसित करने में लगे हुए थे अब किसानों को इस वर्ष से यह भी मिलने लगेगा।

हार्वेस्टर से हो सकेगी कटाई, चने की फली ऊपर की ओर

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की मुख्य वैज्ञानिक अनीता बब्बर ने बताया कि इस चने (New Variety of Gram JG-24) की खासियत ये है कि इसके पौधे धान-गेहूं की तरह 65 से 70 सेमी ऊंचाई वाले होते हैं। इसकी फली ऊपर की ओर लगती है। दानों का आकार भी बड़ा होता है। तना इतना मजबूत होगा कि फली अधिक लगने पर भी गिरेगा नहीं। इसे आसानी से हार्वेस्टर से किसान काट सकेंगे। एमपी चने (New Variety of Gram JG-24) के उत्पादन में नंबर वन है। ये प्रजाति किसानों का समय और श्रम दोनों बचाएंगे। कम्बाई (harvester) से चना गिरेगा नहीं।

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चने की खेती के लिए आवश्यक बातें

चने की डिमांड मार्केट में अधिक रहती है कई किसान चने की फसल लेना भी चाहते हैं किंतु सही जानकारी नहीं होने के कारण चने की फसल नहीं ले पाते हैं एवं यदि चने की खेती (New Variety of Gram JG-24) करते भी हैं तो उन्हें अधिक फायदा नहीं हो पाता है इसलिए किसानों को चने की खेती के दौरान किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यह जानिए…

चने की फसल में बीमारी लगने का ध्यान रखें :– चने की समय से बोवनी की है। बारिश से बीमारी का प्रकोप होने की आशंका अधिक होती है। चने (New Variety of Gram JG-24) में शुरू में बीमारी अधिक आती है। फसल पीला होकर मर जाता है। पानी गिरने के कारण वेटरोट नाम की बीमार अधिक विकसित हो जाती है। ऐसी स्थिति किसान ट्राइकोडर्मा दो लीटर और एक किलो गुड़ के घोल में एक से दो दिन रखने के बाद प्रति एकड़ में स्प्रे करें। कुछ ही दिन में देखेंगे कि बीमारी आगे नहीं बढ़ रही है। इससे फसल को सुरक्षित बना सकते हैं।

खरपतवार के नियंत्रण के लिए यह करें :— चने की फसल में चौड़ी पत्ती के खर-पतवार को नियंत्रित करने के लिए हाथ से निराई कराकर निकलवा दें। इसके अलावा, गेहूं का मामा या जंगली जई भी चने में पैदा हो जाते हैं। ये चने की फसल (New Variety of Gram JG-24) को प्रभावित करते हैं। ऐसे में क्लीडोनिफाक्स 60 ग्राम सक्रिय तत्व को एक हेक्टेयर में स्प्रे करने से नियंत्रण होता हैं।

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देरी से होने वाली किस्मों के लिए यह करें :— कुछ किसान भाइयों ने जेजी-14 की इसी माह में बुआई की है। देरी से की गई चने की बुआई में अभी बीमारी या कीड़े का प्रकोप नहीं दिख रहा है। बादल छाए रहने से फल लगने वाली चने की फसलों (New Variety of Gram JG-24) में इल्ली का प्रकोप बढ़ सकता है। इल्ली को नियंत्रण करने के लिए क्लोरीपाईफास नाम की दवा का उपयोग करें। 1.5 एमएल दवा को एक लीटर पानी में घोले और 125 लीटर इस घोल को एक हेक्टेयर चने की फसल में स्प्रे करें।

प्रति एकड़ 25 टी आकार की खूंटी लगाकर करें इल्ली का नियंत्रण :— किसान भाई प्राकृतिक तौर पर भी इल्ली का नियंत्रण कर सकते हैं। हालांकि ये शुरूआती चरण में ही अधिक फायदेमंद है। एक एकड़ खेत में 25 खूंटी टी आकार का लगा दें। इस पर चिड़िया आकर बैठेंगी। इल्लियों को अपना भोजन बना लेंगे। इस तरह से किसान बिना किसी रसायन का प्रयोग किए बिना भी इल्लियों का प्रकोप नियंत्रित कर सकते हैं।

पोषक तत्वाें को स्प्रे कर दे सकते हैं :— चने में बुआई के समय ही पूरी खाद दे दी जाती है। उसी से पूरा काम चल भी जाता है। पर कई बार चने (New Variety of Gram JG-24) में फुटान अच्छी नहीं आती। शाखाएं भी कम निकलती हैं। वहीं फूल कम दिखते हैं। चने की बढ़वार रुक जाती है।

ऐसे में कुछ पोषक तत्व, जो माइक्रोन्यूटंस होते हैं। उसे देना चाहिए। इसमें सल्फर व बोरोन शामिल है। इसका स्प्रे करने से फायदा होता है। इसमें कुछ नाइट्रोजन व एमिनो एसिड भी होता है। इससे पौधों की बढ़वार और फूल अधिक आती है। सल्फर पाले से बचाव करने में मदद करेगा।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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