वैज्ञानिकों ने तैयार की गेंहू 1616 किस्म, कम पानी में मिलेगी अच्छी पैदावार, जानें डिटेल..
किसान साथी को गेंहू की 1616 किस्म (New Wheat K- 1616 Variety 2022 ) से कम पानी में 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ में होगी पैदावार, जानें
New Wheat K- 1616 Variety 2022 | विज्ञानियों ने गेहूं की के-1616 गेंहू किस्म की खोज जिससे बहुत कम पानी में 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ में होगी पैदावार और कानपुर में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने गेहूं की के-1616 प्रजाति (New Wheat K- 1616 Variety 2022) विकसित कर ली है अब बिना सिंचाई गेहूं की पैदावार कम दिन में संभव होगी और अगले सत्र से बीज भी उपलब्ध होंगे।
आज हम आपको चौपाल समाचार के इस पोस्ट के माध्यम से आपको New Wheat K- 1616 Variety 2022 के बारे में बताएंगे..
नई गेंहू 1616 वैरायटी की हिंदी में जानकारी (New Wheat K- 1616 Variety 2022)
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसएवि) के विज्ञानियों को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने के-1616 नाम से गेहूं की ऐसी प्रजाति विकसित की है, जो बिना सिंचाई किए ही 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देगी।
इस किस्म (New Wheat K- 1616 Variety 2022) के गेंहू के बीज से बहुत से किसनो को मिलेगा लाभ क्यों की देश में बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहा पर पर्याप्त पानी की मात्रा उपलब्ध नहीं है तो वह पर गेंहू की बहुत कम होता है पानी की वजह से पर विज्ञानिको ने इस गेहू की किस्म का उप्पादन करके बिना पानी वाले क्षेत्रों की मुश्किल हल कर दी है इस से किसानो को बहुत लाभ मिलेंगे मात्र एक एकड़ भूमि में पर्याप्त गेंहू उपज होगी।
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कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा
(New Wheat K- 1616 Variety 2022)
कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा यही नहीं, अगर इसे एक या दो बार सिंचाई मिल जाए तो 50 से 55 क्विंटल तक उपज मिलेगी। इससे कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा होगा और बारिश न होने पर भी फसल बर्बाद नहीं होगी। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से इस प्रजाति को उत्तर प्रदेश में बोआई के लिए अधिसूचित (रिलीज) किया गया है।
ऐसे तैयार की k 1616 वैरायटी
(New Wheat K- 1616 Variety 2022)
New Wheat K- 1616 Variety 2022 विकसित सीएसएवि के रवी शस्य अनुभाग के प्रभारी अधिकारी व वरिष्ठ गेहूं अभिजनक डा. विजय कुमार यादव ने बताया कि के-1616 प्रजाति, दो प्रजातियों एचडी-2711 व के-711 को मिलाकर संकर प्रजाति के तौर पर विकसित की गई है।
केवल खेत में पलेवा करके बोए
किसानो के लिए वैज्ञानिक विभाग के विज्ञानियों डा. सोमवीर सिंह, डा. एलपी तिवारी, डा. वाइपी सिंह, पीएन अवस्थी, पीके गुप्ता के सहयोग से वर्ष 2016-17 से लगातार चार वर्षों तक पूरे देश में इस प्रजाति के ट्रायल किए गए। इसमें सामने आया कि यह प्रजाति (New Wheat K- 1616 Variety 2022) केवल खेत में पलेवा करके बोई जा सकती है।
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गेहूं की नई प्रजाति k – 1616 की खासियत
(New Wheat K- 1616 Variety 2022)
- K- 1616 गेंहू रोगरोधी, दाना भी बड़ा और लंबा।
- दाना बड़ा और लंबा होता है।
- के-1616 प्रजाति में काला, पीला, भूरा पर्ण रोग लगने का खतरा नहीं है।
- इसमें आम गेहूं की प्रजातियों की तरह 11.77 प्रतिशत प्रोटीन है।
- प्रजाति 120 से 125 दिन में पककर तैयार होती है, जबकि और प्रजातियां 125 से 130 दिन में पकती हैं।
- इसे प्रदेश में कहीं भी बोया जा सकता है और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज मिलेगी।
- शोध परिणामों के आधार पर कुछ माह पूर्व इस प्रजाति को रिलीज कराने के लिए केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास भेजा गया था। अब इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है।
- अगले वर्ष से इसके बीज (New Wheat K- 1616 Variety 2022) मिलने शुरू होंगे।
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