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ठंडी नहीं बड़ेगी तो क्या गेंहू की पैदावार पर पड़ेगा असर… जानें कृषि विशेषज्ञ क्या कहते है

देशभर में दिसंबर के इस समय में ठंड जोर नही पकड़ रही है। इससे रबी फसलों पर असर पड़ सकता है। ठंड को लेकर कृषि वैज्ञानिकों (Opinion of agricultural expert regarding cold) की क्या राय है, जानें...

Opinion of agricultural expert regarding cold | मानसून विभाग ने आगामी महीनों में देश में ठंडी उष्माभरी रहने तथा देश के उत्तर-पश्चित प्रदेशों में तापमान सामान्य तथा सामान्य से अधिक रहने का पूर्वानुमान लगाया है। भारतीय गेंहू की तापमान सहने की क्षमता सीमित है, यह सभी को पता है और तापमान में सामान्य से सहज भी वृद्धि हुई तो गेंहू (Opinion of agricultural expert regarding cold) की उपज को असर होता है।

Opinion of agricultural expert regarding cold | गेंहू के भाव पर पड़ सकता है असर

केन्द्र सरकार इस चेतावनी को नजर अंदाज नहीं कर सकती। यदि पूर्वानुमान सही हुआ तो फिलहाल जिसकी बुआई हो रही है उसके गेंहू की फसल पर विशेषकर जनवरी और फरवरी की फसल बढ़ने के सीजन के दौरान प्रतिकूल मौसम का जोखिम है।

इससे गेंहू (Opinion of agricultural expert regarding cold) की आगामी फसल के संयोग धुंधले हो सकते हैं। गेंहू की स्थानीय बाजार का फंडामेंटल्स पहले से ही तंग होने से फसल की पैदावार जरा भी घटी तो गेंहू के भाव में वृद्धि देखने को मिलेगी, केन्द्र सरकार की खरीदी लगातार दूसरे वर्ष भी घटेगी और सरकार के मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लेने का प्रयास अस्त-वस्त होगा।

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भारत में गेंहू का उत्पादन

2021-22 में 11.2 करोड़ टन के उत्पादन लक्ष्य के सामने उत्पादन सरकार के अनुमान के अनुसार 10.7 करोड़ टन था। निजी क्षेत्र का अनुमान भी 10 करोड़ टन के आसपास है। गेंहू (Opinion of agricultural expert regarding cold) की सरकारी खरीदी लक्ष्य की तुलना में 2 करोड़ टन कम हो गई है। फिलहाल, सरकार के पास गेंहू का थोक और वर्षों के निम्नस्तर और नियम के अनुसरण की न्यूनतम आवश्यकता से थोड़ा अधिक रहेगी।

कम उत्पादन और कम सरकारी खरीदी के बीच इस वर्ष मई महीने में सरकार ने गेंहू निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। आगामी महीनों में किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से बचने के लिए नीतिकारों को इस समय कदम उठाना होगा। जनवरी (Opinion of agricultural expert regarding cold) और फरवरी में 30 से 40 लाख टन गेहू का आयात करने से अच्छी राहत मिलने की उम्मीद है।

यह चुनौती झेलने के लिए इस समय केन्द्र सरकार के पास तीन विकल्प है ?

पहला उपाय – रूस से रुपए के विनिमय द्वारा गेंहू आयात करने का है। रूस गेंहू का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है तथा वह भारत को गेंहू (Opinion of agricultural expert regarding cold) पूरा करने के लिए राजी होगा। हम रूस से रुपए के विनिमय द्वारा क्रूड तेल का आयात कर रहे हैं। रूस से गेहूं का आयात करने से व्यापार घाटा भी कुछ अंशों में कम किया जा सकता है। यह व्यवहार दोनों सरकारों के बीच हो सकता है।

दूसरा उपाए – निजी व्यापारियों को आयात की मंजूरी दें। फिलहाल गेंहू के आयात पर 40 प्रतिशत कस्टम डयूटी है। यह शुल्क समाप्त करना चाहिए अथवा उल्लेखनीय रूप से कम करना चाहिए। निजी व्यापारी अलग-अलग देशों से गेंहू (Opinion of agricultural expert regarding cold) का आयात कर सकते हैं। वे अपना माल देश के विभिन्न बंदरगाहों से ला सकें ऐसा होने से देश भर में आयातित गेंहू का शीर्घ वितरण किया जा सके।

तीसरा उपाय – सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कॉल आप्शन खरीद सकती है। जबकि फसल की स्थानीय स्थिति स्पष्ट हो तो आप्शन का उपयोग करके डिलिवरी कर सकते हैं। जोखिम के व्यवस्थापन के लिए यह पद्धति अच्छी है।

वर्ष 2022-23 के लिए गेंहू का उत्पादन लक्ष्य 11.2 करोड़ टन निश्चित किया गया है। औसतन 300 लाख टन हेक्टेयर में गेहूं की बुआई (Opinion of agricultural expert regarding cold) होने की धारणा है। डायरेक्टोरेट ऑफ व्हीट डेवलपमेंट के अनुसार 1 दिसंबर के आंकड़े के अनुसार 212 लाख हेक्टेयर में बुआई सपन्न हुई। जो पिछले वर्ष के 201 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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