खेती-किसानी

Papaya Kit Prevention | पपीते की अच्छी पैदावार के लिए किट व बीमारियों की रोकथाम कैसे करें, जानिए

पपीते की फसल से अच्छी पैदावार (Papaya Kit Prevention) लेने के लिए फसल को कीट व बीमारियों से कैसे बचाएं

Papaya Kit Prevention | भारत में पपीता की खेती आज से लगभग 300 वर्ष पहले से हो रही है। पपीता जो की भूख और शक्ति को बढ़ाता है, यह औषधीय के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है। किसान को पपीता की अच्छी उपज के लिए किट व बीमारियों की रोकथाम करनी होगी। इसके लिए किसानों को क्या करना पड़ेगा, नीचे निम्न सुझाव दिए गए है..

पपीता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

पपीता शीघ्र फलने वाले फलों (Papaya Kit Prevention) में अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं। पपीते की खेती अंतरवर्तीय फसलों के साथ की जा सकती है।
  • बुवाई का समय – पपीते की खेती के लिए इसके पौधे को फरवरी से मार्च तक लगाना चाहिए।
  • उपर्युक्त मिट्टी – पपीते की खेती के लिए दोमट भूमि उपर्युक्त है।
  • जलनिकासी व्यवस्था – पपीता ऐसे स्थानों में नहीं बढ़ता, जहाँ पानी भरता हो। पेड़ (Papaya Kit Prevention) के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। इसलिए इसके लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।

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पपीता खाने के फायदे

पपीता का (Papaya Kit Prevention) दूधपाचक, जंतुनाशक, उदररोगहारक होता है। इसके कारण पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है। पाचन अच्छी तरह से होता है। इसके साथ ही पपीते के दूध में शक्कर डालकर लेने से अपचन नही होता है।

उच्च रक्तदाब पर नियंत्रण रखने के लिए पपीते के पत्ते को सब्जी में प्रयोग करते है, इसके साथ ही पपीते में विटामिन ए, बी, डी और केल्शियम, लोह, प्रोटीन आदि तत्त्व विपुल मात्रा में होते है।

पपीते की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए कीट व बीमारियों से कैसे बचाएं –

  • ऐसे में पपीता (Papaya Kit Prevention) के बीज का उपचार फफूंदनाशक दवा कैप्टान 5 ग्राम प्रति 100 ग्राम बीज की दर से करें।
  • पपीते की नर्सरी हमेशा नाइलोन नेट (40-60 मेश) में ही तैयार करें।
  • मुख्य खेत में पपीता लगाने से 3 दिन पहले नर्सरी में एसिफेट 1.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
खड़ी पपीता की फसल में विभिन्न विषाणु व फफूंदजनित बीमारियों को रोकने के लिए किसान को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
  • पपीता को पपाया (Papaya Kit Prevention) रिंग स्पॉट विषाणु बीमारी से बचाव के लिए, आवश्यक है कि 2 फीसदी नीम के तेल, जिसमें 0.5 मिलीलिटर प्रति लिटर स्टीकर मिलाकर
  • 1-1 महीने के अंतराल पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए।
  • उच्च क्वालिटी के फल व पपीता के पौधों में रोगरोधी गुण पैदा करने के लिए आवश्यक है कि, यूरिया 10 ग्राम + जिंक सल्फेट 15 ग्राम + बोरान 10 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोलकर 1-1 महीने के अंतर पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए
  • पपीता (Papaya Kit Prevention) की सबसे घातक बीमारी गलन की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि हेक्साकोनाजोल 2 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल कर 1-1 महीने के अंतर पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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