Papaya Kit Prevention | पपीते की अच्छी पैदावार के लिए किट व बीमारियों की रोकथाम कैसे करें, जानिए
पपीते की फसल से अच्छी पैदावार (Papaya Kit Prevention) लेने के लिए फसल को कीट व बीमारियों से कैसे बचाएं
पपीता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- बुवाई का समय – पपीते की खेती के लिए इसके पौधे को फरवरी से मार्च तक लगाना चाहिए।
- उपर्युक्त मिट्टी – पपीते की खेती के लिए दोमट भूमि उपर्युक्त है।
- जलनिकासी व्यवस्था – पपीता ऐसे स्थानों में नहीं बढ़ता, जहाँ पानी भरता हो। पेड़ (Papaya Kit Prevention) के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। इसलिए इसके लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
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पपीता खाने के फायदे
पपीता का (Papaya Kit Prevention) दूधपाचक, जंतुनाशक, उदररोगहारक होता है। इसके कारण पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है। पाचन अच्छी तरह से होता है। इसके साथ ही पपीते के दूध में शक्कर डालकर लेने से अपचन नही होता है।
उच्च रक्तदाब पर नियंत्रण रखने के लिए पपीते के पत्ते को सब्जी में प्रयोग करते है, इसके साथ ही पपीते में विटामिन ए, बी, डी और केल्शियम, लोह, प्रोटीन आदि तत्त्व विपुल मात्रा में होते है।
पपीते की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए कीट व बीमारियों से कैसे बचाएं –
- ऐसे में पपीता (Papaya Kit Prevention) के बीज का उपचार फफूंदनाशक दवा कैप्टान 5 ग्राम प्रति 100 ग्राम बीज की दर से करें।
- पपीते की नर्सरी हमेशा नाइलोन नेट (40-60 मेश) में ही तैयार करें।
- मुख्य खेत में पपीता लगाने से 3 दिन पहले नर्सरी में एसिफेट 1.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
- पपीता को पपाया (Papaya Kit Prevention) रिंग स्पॉट विषाणु बीमारी से बचाव के लिए, आवश्यक है कि 2 फीसदी नीम के तेल, जिसमें 0.5 मिलीलिटर प्रति लिटर स्टीकर मिलाकर
- 1-1 महीने के अंतराल पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए।
- उच्च क्वालिटी के फल व पपीता के पौधों में रोगरोधी गुण पैदा करने के लिए आवश्यक है कि, यूरिया 10 ग्राम + जिंक सल्फेट 15 ग्राम + बोरान 10 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोलकर 1-1 महीने के अंतर पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए
- पपीता (Papaya Kit Prevention) की सबसे घातक बीमारी गलन की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि हेक्साकोनाजोल 2 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल कर 1-1 महीने के अंतर पर छिड़काव आठवें महीने तक करना चाहिए।
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