खेती-किसानी

सोयाबीन के बाद अधिक मुनाफा कमाने के लिए अगेती आलू की खेती कैसे करें जानें

किसान सोयाबीन की फसल काटने के पश्चात तत्काल आलू की खेती करते हैं आलू की खेती (Potato Farming 2022) के लिए आवश्यक बातें जानिए

Potato Farming 2022 | सोयाबीन की फसल पककर तैयार होने वाली है। किसान साथी खेती से अधिक आमदनी के लिए अगेती आलू की खेती करना पसंद करते हैं। अगेती आलू की खेती के दौरान किसान साथियों को किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। खाद बीज एवं अन्य आलू की खेती के लिए जो आवश्यक बातें हैं उन्हें जानिए। भारत में आलू की खेती प्रमुखता केरल और तमिलनाडु राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में होती है।

भारत मैं आलू की औसत उपज विदेशों की तुलना में काफी कम है यहां पर आलू की औसत उपज 152 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है। अन्‍य फसलों की तरह आलू की अच्‍छी पैदावार (Potato Farming 2022) के लिए उन्‍नत किस्‍मों के रोग रहित बीजो की उपलब्‍धता बहुत आवश्‍यक है। इसके अलावा उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई की व्‍यवस्‍था, तथा रोग नियंत्रण के लिए दवा के प्रयोग का भी उपज पर गहरा प्रभाव पडता है।

भूमि एवं जलवायू (Potato Farming 2022)

आलू की खेती के लिए जीवांश युक्‍त बलूई-दोमट मिट्टी ही अच्‍छी होती है। भूमि में जलनिकासी की अच्‍छी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए । आलू के लिए क्षारीय तथा जल भराव अथवा खडे पानी वाली भूमि कभी ना चुने। बढवार के समय आलू को मध्‍यम शीत की आवश्‍यकता होती है।

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आलू के उन्‍नत किस्‍म के बीज

आलू की खेती (Potato Farming 2022) में सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इसका बीज अच्‍छी श्रेणी का होना चाहिए। इससे पैदावार बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है वही उन्नत किस्म से रोग प्रतिरोधक क्षमता आलू के पौधों को अच्छी मिलती है। अच्‍छे बीज विशेषकर रोगाणूमुक्‍त बीज का प्रयोग करके आलू की पैदावार बढाई जा सकती है। अच्‍छी उपज के लिए जलवायू खण्‍ड या क्षेत्र के अनुसार केवल सिफारिश की गई उपयुक्‍त किस्‍में ही चुने।

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आलू के बीज का चयन कैसे करें

आलू के बीज का आकार और उसकी उपज से लाभ का आपस मे गहरा सम्‍बंध है। बडे माप के बीजों से उपज तो अधिक होती है परन्‍तु बीज की कीमत अधिक होने से पर्याप्‍त लाभ नही होता। बहूत छोटे माप का बीज सस्‍ता होगा परन्‍तु रोगाणुयुक्‍त आलू (Potato Farming 2022) पैदा होने का खतरा बढ जाता है। प्राय: देखा गया है कि रोगयुक्‍त फसल में छोटै माप के बीजो का अनुपात अधिक होता है। इसलिए अच्‍छे लाभ के लिए 3 से.मी. से 3.5 से.मी.आकार या 30-40 ग्राम भार के आलूओंको ही बीज के रूप में बोना चाहिए।

आलू बुआई का समय एवं बीज की मात्रा

उत्‍तर भारत में, जहॉ पाला पडना आम बात है, आलू (Potato Farming 2022) को बढने के लिए कम समय मिलता है। अगेती बुआई से बढवार के लिए लम्‍बा समय तो मिल जाता है परन्‍तु उपज अधिक नही होती क्‍योंकि ऐसी अगेती फसल में बढवार व कन्‍द का बनना प्रतिकूल तापमान मे होता है साथ ही बीजों के अपूर्ण अंकुरण व सडन का खतरा भी बना रहता है। अत: उत्‍तर भारत मे आलू की बुआई इस प्रकार करें कि आलू दिसम्‍बर के अंत तक पूरा बन जाऐ। उत्‍तर-पश्चिमी भागों मे आलू की बुआई का उपयुक्‍त समय अक्‍तूबर माह का पहला पखवाडा है। पूर्वी भारत में आलू अक्‍तूबर के मध्‍य से जनवरी तक बोया (Potato Farming 2022) जाती है।

आलू बुआई की विधि

आलू की फसल (Potato Farming 2022) में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50 से.मी. व पौधे से पौधे की दूरी 20-25 से.मी. होनी चाहिए। इसके लिए 25 से 30 क्विंटल बीज प्रति हैक्‍टेयर पर्याप्‍त होता है।

पौधों में कम फासला रखने से रोशनी,पानी और पोषक तत्‍वों के लिए उनमें होड बढ जाती है फलस्‍वरूप छोटे माप के आलू पैदा होते हैं। अधिक फासला रखने से प्रति हैक्‍टेयर में पौधो की संख्‍या कम हो जाती है जिससे आलू का मान तो बढ जाता है परन्‍तु उपज घट जाती है। इसलिए कतारों और पौधो की दूरी में ऐसा संतुलन बनाना होता है कि न उपज कम हो और न आलू की माप कम हो। उचित माप के बीज के लिए पंक्तियों मे 50 से.मी. का अन्‍तर व पौधों (Potato Farming 2022) में 20 से 25 से.मी. की दूरी रखनी चाहिए।

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आलू की खेती में उर्वरकों का प्रयोग

Potato Farming 2022 | फसल में प्रमुख तत्‍व अर्थात नत्रजन, फास्‍फोरस व पोटाश पर्याप्‍त मात्रा में डालें। नत्रजन से फसल की वानस्‍पतिक बढवार अधिक होती है और पौधे के कंदमूल के आकार में भी वृद्धि होती है परन्‍तु उपज की वृद्धि में कंदमूल के अलावा उनकी संख्‍या का अधिक प्रभाव पडता है। फसल के आरम्भिक विकास और वानस्‍पतिक भागों को शक्तिशाली बनाने में पोटाश सहायक होता है। इससे कंद के आकार व संख्‍या मे बढोतरी होती है।

आलू की फसल में प्रति हैक्‍टेयर 120 कि.ग्रा. नत्रजन, 80 कि.ग्रा. फास्‍फोरस और 80 कि.ग्रा. पोटाश डालनी चाहिए। उर्वरकों की मात्राा मिट्टी की जांच के आधार पर निर्धारित करते है। बुआई के समय नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्‍फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा डालनी चाहिए। नत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधों (Potato Farming 2022) की लम्‍बाई 15 से 20 से.मी. होने पर पहली मिट्टी चढाते समय देनी चाहिए।

आलू में सिंचाई

आलू में हल्‍की लेकिन कई सिंचाईयों (Potato Farming 2022) की आवश्‍यकता होती है परन्‍तु खेत में पानी कभी भी भरा हुआ नही रहना चाहिए। खूडों या नालियों में मेढों की उंचाई के तीन चौथाई से अधिक उंचा पानी नही भरना चाहिए। पहली सिंचाई अधिकांश पौधे उगजाने के बाद करें व दूसरी सिंचाई उसके 15 दिन बाद आलू बनने व फूलने की अवस्‍था में करनी चाहिए। कंदमूल बनने व फूलने के समय पानी की कमी का उपज पर बुरा प्रभाव पडता है। इन अवस्‍थाओं में पानी 10 से 12 दिन के अन्‍तर पर दिया जाना चाहिये । पूर्वी भारत में अक्‍तूबर के मध्‍य से जनवरी तक बोई जाने वाली आलू की फसल (Potato Farming 2022) मे सिंचाई की उपयुक्‍त मात्रा 50 से.मी. ( 6 से 7 सिंचाइयॉ) होती है।

आलू में खरपतवार नियंत्रण

आलू की फसल (Potato Farming 2022) में कभी भी खरपतवार न उगने दें। खरपतवार की प्रभावशाली रोकथाम के लिए बुआई के 7 दिनों के अन्‍दर, 0.5 किलोग्राम सिमैजिन 50 डब्‍ल्‍यू.पी. (Cizamin 50 w.p.) या लिन्‍यूरोन (Linuron) का 700 लिटर पानी मे घोल बनाकर प्रति हैक्‍टेयर के हिसाब से छिडकाव कर दें।

आलू कटाई या खुदाई

पूरी तरह से पकी आलू की फसल (Potato Farming 2022) की कटाई उस समय करनी चाहिए जव आलू के कन्‍दो के छिलके सख्‍त पड जायें। पूर्णतया पकी एवं अच्‍छी फसल से लगभग 300 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर उपज प्राइज़ होती है।

आलू में कीट पतगें, सुत्रकृमि तथा बीमारीयॉ की रोकथाम इस प्रकार करें

  • आलू की फसल (Potato Farming 2022) में कंद वाले शलभ (Tubber Moth), कटुवा कीडे, जैसिड (Jassid) और माहू या चेंपा (Afid) से बहुत नुकसान होता है।
  • टयूबर मॉथ कीडे के लारवा कंदमूल मे सुराख बना देते हैं। यदि कंद को मिट्टी से ढका न गया तो ये कीडे फसल को बहुत नुकसान पंहुचाते है। कंद वाले शलभ जैसे ही दिखाई दें इन पर 0.07 प्रतिशत ऐन्‍डोसल्‍फान या 0.05 प्रतिशत मैलाथियान का छिडकाव करें और कंद को मिट्टी से ढक दें।
  • कटुवा कीडे पौधों का उनकी जडों के पास, भूमि के निचे ही काट देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए बुआई से पहले 5 प्रतिशत एल्ड्रिन या हैप्‍टाक्‍लोर 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्‍टेयर की दर से खेत की मिट्टी में मिलाऐं। खडी फसल में कटुवा का प्रकोप होने पर उपरोक्‍त दवा का बुरकाव पौधों की निचली सतह पर करते है।
  • जैसिड नर्म शरीर वाले हरे रंग के कीडे होते हैं जो पौधों के पत्‍तों और अन्‍य कोमल भागों का रस चूस लेते हैं।
  • माहू या चेंपा ( एफिड): आलू में (Potato Farming 2022) लगने वाले हरे रंग के किडे होते हैं जो पत्‍ती की निचली सतह पर पाए जाते हैं और पत्‍तों का रस चूसते हैं। इनके कुप्रभाव से प‍त्तियां उपर को मुड जाती हैं और उनकी बढवार रूक जाती है। माहू या चेंपा लगने पर 0.07 प्रतिशत ऐन्‍डोसल्‍फान या 0.05 प्रतिशत मैलाथियान का छिडकाव करें।
  • जड गांठ सुत्रकृमि (Root Knote Nematode) प्रभावित पौधें की पत्तियां सामान्‍य पौधों की पत्तियों से बडी हो जाती हैं पौधों की बढवार रूक जाती है तथा गर्म मौसम में रोगी पौधे सूख जाते हैं। जडों मे अत्‍यधिक गॉठे हो जाती हैं। जडों की दरारों में प्राय दूसरे सूक्ष्‍मजीव जैसे फफूंद, जीवाणू आदि का आक्रमण होता है। बचाव के लिए फसल (Potato Farming 2022) चक्र में मोटे अनाज वाली फसलों को लाना चाहिए। ग्रीटिंग्स ऋतु में 2-3 बार जुताई करनी चाहिए । बुआई से पहले एल्‍डीकार्ब, कार्बोफ्यूरान का 2 किलोग्राम सक्रिय भाग प्रति हैक्‍टेअर की दर से खेत में डालना चाहिए।
  • आलू की फसल (Potato Farming 2022) मे अनेक बीमारीयॉ जैसे झुलसा, पत्‍ती मुडना व मोजेक आदि लगती हैं। इन बीमारियों से फसल को बहुत नुकसान होता है। इनसे फसल को बचाना बहुत आवश्‍यक जरूरी है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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