पोषक तत्वों की कमी से गेहूं में बढ़ा पीलापन, यूरिया के स्थान पर यह उपाय करें
पोषक तत्वों की कमी से गेहूं में बढ़ा पीलापन (Prevention of yellowing in Wheat) बड़ता दिख रहा है। इससे बढ़वार प्रभावित होने के संभावना, इसके लिए उचित उपाय क्या करने चाहिए, जानें कृषि विशेषज्ञों से..
Prevention of yellowing in Wheat | पोषक तत्वों की कमी के कारण गेहूं में पोलापन का प्रकोप बढ़ रहा है। इससे बढ़वार भी प्रभावित हुई है। किसानों की चिंता की बढ़ती जा रही है। पीलापन दूर करने के लिए कार पूरिया का भी अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। इससे फसलों को और नुकसान हो सकता है। इस संबंध में कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी कर कास्तकारों से ज्यादा मात्रा में यूरिया का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। इसके साथ पीलापन (Prevention of yellowing in Wheat) बढ़ने के कारण, नुकसान और बचाव के भी उपाय बताए हैं।
गेंहू की फसल में पीलापन बड़ा (Prevention of yellowing in Wheat)
विभाग की एडवाइजरी के अनुसार कई जगह खेतों में खड़ी गेहूं की फसलों में पोलापन दिखाई दे रहा है। किसानों से पीलापन दूर करने को बनाए गेहूं की फसल में अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन एवं रोग नियंत्रण के सुझाव दिए गए हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार लिंक को कमी के करण पौधों में वृद्धि एक जाती है। पत्तियां बीच की नम के पास से समानान्तर में पीली पढ़नी प्रारंभ हो जाती है।
इस प्रकार के पौधे छोटे-छोटे सीमित क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह कमी पौधों में फुटान के समय शुरू की तीसरी अथवा चौथी पत्ती से प्रारंभ होती है। जन उर्वरक देने के बावजूद भी जिंक की कमी वाले पौधों में हम नहीं जाता। कृषि विभाग (Prevention of yellowing in Wheat) की ओर से जारी एडवाइजरी में किसानों से पीलापन दूर करने के लिए अंधारिया का नहीं करने की अपील की गई है। इसके साथ ही कई योग उपाय भी बताए गए हैं।
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येलो रस्ट की पहचान एवं बचाव के तरीके
एडवाइजरी में किसानों को गेहूं में लगने वाले येलो रस्ट रोग (Prevention of yellowing in Wheat) के बारे में भी बताया गया है। एडवाइजरी के अनुसार येलो रस्ट खतरनाक बीमारी है। इससे फसल में 70 प्रतिशत तक भारी नुकसान हो सकता है। रात में 7 से 13 डिग्री सेल्सियस तापक्रम तथा 85 से 100 प्रतिशत आर्द्रता व दिन में 15 से 24 डिग्री सेल्सियम तापक्रम रोग की शुरूआत तथा फैलने के लिए अनुकूल है।
रोग की शुरू की अवस्था में गेहूं के पौधे की पत्तियों पर आलपिन के सिरे जैसे छोटे-छोटे चमकीले रंग के उभरे हुए धब्बे धारियों में दिखाई देते हैं। ये बाद में पीसी हुई हल्दी जैसे पीले चूर्ण में बदल जाते हैं। पत्तियों को अंगुली से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। आमतौर पर वह धब्बे पत्तियों के दोनों तरफ बनते हैं।
रोग की गंभीर अवस्था में यह रोग पौधों (Prevention of yellowing in Wheat) के तने, बालियों तथा दानों पर भी अटैक कर सकता है। इसके कारण फसल को भारी नुकसान होता है। किसानों को पोषक तत्वों की कमी और येलो रस्ट के लक्षणों की पहचान कर ही उपाय करने की अपील की गई है।
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जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर यह करे
कृषि विभाग की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया है कि गेहूं की फसल (Prevention of yellowing in Wheat) में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर 500 ग्राम जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत अथवा 350 ग्राम जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत के साथ 1.5 किलो यूरिया 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यूरिया अवश्य मिलायें अन्यथा पौधों के पत्ते जल सकते हैं।
इसके अलावा EDTA 12 प्रतिशत चिलेटेड जिंक सल्फेट की 100 ग्राम मात्रा के साथ 2 किलो यूरिया 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें दूसरा स्प्रे फसल की फ्लेग अवस्था पर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों (Prevention of yellowing in Wheat) की अत्यधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में 6 सूक्ष्म पोषक तत्वों वाला मिस्बर 500 ग्राम मात्रा 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें ताकि फसलों को फायदा हो।
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