प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर
प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों के लिए लंबे समय के बाद अच्छी (Pyaj AVN lahsun ke taja rate) खबर आई है।
प्याज और लहसुन ये दो महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलें हैं, किसान लाभ के लिए दोनों फसलों की खेती को करते हैं। इन दोनों फसलों की लागत अधिक आती है। वहीं इन फसलों के लिए गेहूं, चने व अन्य फसलों के मुकाबले मेहनत भी अधिक लगती है। प्याज एवं लहसुन (Pyaj AVN lahsun ke taja rate) की फसल इस वर्ष किसानों को अब तक घाटा ही दे रही है। प्याज व लहसुन की फसल से इस साल किशन लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
पिछले साल मध्य प्रदेश में किसानों को लहसुन का भाव 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिला था, लेकिन इस बार सिर्फ अधिकतम 3000 रुपये का रेट मिल रहा है। वहीं सामान्य मॉडल भाव प्रति क्विंटल 15 सो रुपए के आसपास होने से किसानों के लिए लहसुन की खेती काफी घाटे वाला साबित हो रही है। अमूमन प्याज के भाव की स्थिति भी यही है प्याज के भाव अब तक 500 से 900 के बीच बने हुए थे। ऐसी स्थिति में प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों के लिए बाजार से दोनों फसलों के भाव को लेकर अच्छी खबर आई है।
पिछले वर्ष यह स्थिति थी(Pyaj AVN lahsun ke taja rate)
किसानों को प्याज लहसुन के भाव पिछले वर्ष अच्छे मिले थे। पिछले साल 2021 में अच्छा भाव मिला तो किसानों ने इस साल लहसुन का रकबा बढ़ा दिया। किसानों का कहना है कि पिछले साल शुरुआती सीजन में भी लहसुन के भाव लगभग 4 से 5 हजार रुपए क्विंटल रहा था। इस वर्ष इसके भाव शुरुआत से ही 3000 रुपए प्रति क्विंटल से अंदर बने हुए हैं। ऐसी स्थिति में जिन किसानों ने गेहूं-चने की फसल से अधिक लहसुन व प्याज की फसल पर भरोसा जताकर इस बार उसका रकबा बढ़ाया था। वह अब परेशान हो रहे हैं।
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दो तरफा नुकसान हुआ किसानों का
प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों को इस साल 2 तरफा नुकसान झेलना पड़ रहा है। लहसुन खेतों से बाहर निकल कर आई और मंडियों में पहुंची तो उसके भाव नहीं मिलने से लागत भी नहीं निकल पा रही है। इसके अलावा इस बार लहसुन की फसल में कई प्रकार की बीमारी भी फैल गई थी। इस कारण उत्पादन भी कम हुआ है। जब लहसुन की फसल आई तो किसानों को न तो वाजिब दाम मिल रहे हैं और न ही पिछले वर्ष की तरह उत्पादन हुआ है।
किसानों के मुताबिक लहसुन की क्वालिटी भी अपेक्षाकृत उन्नत नहीं आ रही है। कलियां बारीक रह गई हैं। उपज में वायरस की समस्या भी देखने में आ रही थी। खेती के काम में लगे मजदूर के रेट भी पिछले वर्ष से ज्यादा हो गए हैं। किसानों ने बताया कि आमतौर पर एक लहसुन की कट्टी लगाने पर 12 से 15 कट्टे का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार 6 से 7 कट्टी ही उत्पादन हो रहा है और भाव भी कम मिल रहा है। इस कारण किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है।
प्याज की स्थिति भी ठीक नहीं
लहसुन के साथ-साथ प्याज की स्थिति भी ठीक नहीं बनी हुई है मंडियों में दोनों फसलों के भाव कम ही बने हुए हैं। महंगा बीज खरीद कर प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों को इस समय मंडी में लहसुन 1500 सौ से दो हजार रुपए क्विंटल के हिसाब से नीलाम हो रही है। वही प्याज 500 से लगाकर 900 रुपए प्रति क्विंटल नीलाम हो रहा है।
किसानों की मांग है निर्यात चालू करें सरकार
प्रदेश सरकार गेहूं निर्यात पर पर्याप्त जोर दे रही है मध्य प्रदेश से गेहूं का निर्यात अधिक हो रहा है ऐसे में किसानों को इसका लाभ भी मिल रहा है गेहूं के भाव बढ़े हुए हैं। वही लहसुन निर्यात पर सरकार पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। किसानों ने बताया कि शासन ने निर्यात चालू करने की बात कहीं थी उसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
अब किसानों के लिए अच्छी खबर यह है
मध्य प्रदेश के किसान गेहूं चने के साथ-सथ लहसुन एवं प्याज (Pyaj AVN lahsun ke taja rate) की फसल को भी रोक नहीं पाता। इसलिए मंडियों में कम भाव होने के कारण भी लहसुन एवं प्याज की आवक हो रही है ऐसे में किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि प्याज के भाव धीरे-धिरे बढ़त की ओर हैं, वही लहसुन के भाव में भी सुधार हो रहा है। मंडी व्यापारियों के अनुसार मध्य प्रदेश से अब लहसुन का निर्यात होने लगा है व्यापारियों की मानें तो आने वाले 1 पखवाड़े के अंदर लहसुन के दाम बढ़ेंगे वहीं इसी के साथ प्याज के भाव भी बढ़ेंगे।
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