कृषि समाचार

मालवा के किसानों की आंखों से टपक रहे आंसू, सरकार से मदद की आस

मालवांचल के किसान परेशान है किसानों को इस वर्ष भारी (Pyaj & Lahsun ke Bhav/Kisan Pareshan) घाटा हुआ है, किसान अब टकटकी लगाए सरकार की ओर देख रहे हैं।

Pyaj & Lahsun ke Bhav/Kisan Pareshan | मालवांचल के मेहनतकश किसान इस वर्ष परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं, किसानों की यह परेशानी प्याज एवं लहसुन के भाव कम मिलने के कारण खड़ी हुई है किसानों को दोनों फसलों ने भारी घाटा दिया है, क्योंकि पहले मौसम की मार पड़ने के कारण प्याज एवं लहसुन की फसल में रोग फैला इससे किसानों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा, जिससे किसानों की लागत बढ़ी। यही कारण है कि किसान अब आशा भरी नजरों से सरकार की ओर देख रहे है। उज्जैन, नीमच, मंदसौर, देवास में इसको लेकर किसानों ने रैली भी निकाली है।

दोनों फसलों से किसानों को हानि हुई (Pyaj & Lahsun ke Bhav/Kisan Pareshan)

लहसुन एवं प्याज की खेती अधिकतर मालवा में होती है। मालवा के उज्जैन, देवास, शाजापुर, नीमच, मंदसौर, इंदौर सहित मध्य प्रदेश के जबलपुर सीहोर जिलों में लहसुन एवं प्याज की खेती किसानों द्वारा की जाती है। बीते वर्ष यानी कि 2021 में लहसुन एवं प्याज की खेती करने वाले किसानों को दोनों फसलों के भाव अच्छे मिले थे। इस कारण इस वर्ष दोनों फसलों का रकबा बढ़ा, लेकिन पहले फसलों पर मौसम की मार पड़ी, मावठा एवं ओलावृष्टि से प्याज एवं लहसुन की फसल को भारी नुकसान हुआ, वहीं मौसम के कारण ही प्याज एवं लहसुन में थ्रिप्स बीमारी का प्रकोप फैल गया जिससे एक और लागत बढ़ गई, वहीं दूसरी ओर पैदावार घटी।

प्याज एवं लहसुन के भाव ने किसानों की कमर तोड़ी

इधर इस वर्ष लागत अधिक होने के बावजूद पैदावार घट गई वही फसल पककर जब मंडियों में पहुंची तो वहां पर किसानों को दोनों फसलों के भाव नहीं मिले। बीते वर्ष रबी फसलों के तैयार होने के बाद शुरुआती सीजन में ही लहसुन लगभग 4 हजार से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव में बिकी थी, जो अंत में मतलब सीजन जाने के बाद आखिरी में इसका रेट 10 से 12 हजार रुपए तक पहुंच गया था। इसी कारण पिछले साल को देखते हुए किसानों ने इस बार लहसुन का रकबा 10 हजार हेक्टेयर बढ़ा दिया. लेकिन अच्छा दाम न मिलने की वजह से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

इस वर्ष प्याज व लहसुन के दाम लागत से बहुत कम है

किसानों का कहना है कि लहसुन की फसल में लागत काफी आती है। किसानों ने बताया कि लगभग 8000 प्रति क्विंटल लहसुन का बीज आता है। लेकिन फिर भी बाजार में इसका मूल्य महज 1500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। इसकी वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इसकी लागत कैसे निकलेगी। क्योंकि इस समय मंडी में लहसुन 1500 सौ से दो हजार रुपए क्विंटल के हिसाब से नीलाम हो रही है। वहीं पुराना लहसुन के खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं। किसानों ने बताया कि शासन ने निर्यात चालू करने की बात कहीं थी उसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।

प्याज एवं लहसुन की खेती मध्यप्रदेश में अधिक होती है

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान देश में 390000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती हुई है, जिससे लगभग 3184000 मीट्रिक टन उत्पादन होने का अनुमान है। इससे पहले साल 2019-20 में 352000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती हुई थी और 2926000 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। मध्य प्रदेश सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है, वहीं पर अब इन फसलों की खेती करने वाले किसान परेशान हैं, क्योंकि इस साल रोग लगने के कारण उत्पादन भी कम हुआ है। पैदावार घटने के साथ ही लहसुन की क्वालिटी भी अपेक्षाकृत उन्नत नहीं आई। कलियां बारीक रह गई हैं। उपज में वायरस की समस्या भी देखने में आ रही थी। खेती के काम में लगे मजदूर के रेट भी पिछले वर्ष से ज्यादा हो गए हैं।

लहसुन एवं प्याज के भाव की आगे क्या स्थिति रहेगी यह स्पष्ट नहीं

किसानों की सबसे बड़ी परेशानी यह भी है कि किसान अब असमंजस में है कि लहसुन एवं प्याज की फसल को रोके या बेचे क्योंकि भविष्य में इन दोनों फसलों के भाव को लेकर क्या स्थिति रहेगी यह स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं किसानों के लिए दोनों फसलों का भंडारण करना परेशानी का सबब बन चुका है क्योंकि इन फसलों में लगे वायरस के कारण किसानों को लहसुन को रोकना भी संभव नहीं है भविष्य में लहसुन की मांग क्या रहती है, यह भी कहा जा नहीं सकता। कुल मिलाकर इस वर्ष लहसुन एवं प्याज की फसल घाटे का सौदा नजर आ रही है। कारण यह है कि इस साल वैसे ही महंगा बीज के बाद रोग तथा दवाई का खर्च अधिक हो गया है। जबकि दाम नीचे आ गए।

किसानों को अब सरकार से आस

Pyaj & Lahsun ke Bhav/Kisan Pareshan | प्याज एवं लहसुन की खेती करने वाले किसानों को अब सरकार से ही आस बंधी हुई है। सरकार का ध्यान केंद्रित करने के लिए किसान जगह-जगह रैली निकालकर प्याज एवं लहसुन की फसलों के भाव को लेकर सरकार से मांग करने लगे हैं। किसानों की मांग है कि अन्य देशों से जो लहसुन एवं प्याज भारत में आयात हो रहा है वह तत्काल प्रतिबंधित किया जाए। इसके साथ ही निर्यात को बढ़ावा दिया जाए, ताकि किसानों का फायदा हो सके एवं वर्तमान में जो घाटा किसानों को हो रहा है उसकी भरपाई हो सके।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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