कहीं आपकी गेहूं की पत्तियां तो नहीं पड़ रहीं हैं पीली, इन बातों का रखें ध्यान
गेंहू की फसल में अब बालिया आने लग गई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है की, कही आपके गेंहू की पत्तियां पीली (Reason for yellowing of wheat leaves) तो नही पड़ रही है, अगर पत्तियां पीली पड़ रही है, तो जल्द कर ले यह उपाय..
Reason for yellowing of wheat leaves | इस समय गेंहू की फसल लगभग 80 दिनों की हो गई है, सभी किसान साथी यही चाहेंगे की उनकी पैदावार अच्छी से अच्छी हो। इसके लिए आपको अपनी फसल की उचित देखभाल करना आवश्यक हो जाता है।
यदि आपकी गेंहू की पत्तियां पीली (Reason for yellowing of wheat leaves) पड़ रही है, तो इसका क्या कारण हो सकता है और इसके लिए क्या क्या उपाय करना आवश्यक है। तो आइए जानें चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से जानें सब कुछ…
पत्तियों में पीलापन आने से परेशान है किसान
रबी की फसल में किसान बड़े पैमाने पर गेहूं पैदा कर रहे हैं। किसानों को गेहूं की फसल (Reason for yellowing of wheat leaves) लगाए हुए 60 से 80 दिन के करीब हो गए है। इस बीच एक बड़ी समस्या ने किसानों को घेर रखा है और वह है गेहूं की पत्तियों का पीला पड़ना। गेहूं की फसल में आ रही इस समस्या से पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है।
Reason for yellowing of wheat leaves | पत्तियों में पीलापन आने के कारण
- किसान साथी ज्यादातर हर्बीसाइड या खरपतवार निरोधी दवाओं का छिड़काव करते हैं तो गेहूं की फसल में भी पीलापन (Reason for yellowing of wheat leaves) आ जाता है, किसानों को लगता है कि कहीं उनकी फसल में पीला रतुआ रोग तो नहीं आ गया है। लेकिन ऐसा नहीं होता है, क्योंकि पीला रतुआ में पाउडर जैसा नजर आता है और जबकि दूसरे में जब आप पत्ती रगड़ोगे तो ऐसा कुछ नजर नहीं आता है।
- नाइट्रोजन की कमी के कारण नाइट्रोजन की कमी के कारण गेहूँ की फसल की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। यदि उस स्थिति में यूरिया का उपयोग अपेक्षित रूप से नहीं किया जाता है, तो उपज में नाइट्रोजन की कमी हो सकती है। इसके अलावा बारिश अधिक होने से मिट्टी में नाइट्रोजन की भी कमी हो जाती है।
- आमतौर पर ऐसा होता है कि फसल (Reason for yellowing of wheat leaves) को अधिक पानी दिया जाता है, जिससे उसकी नींव को हवा नहीं मिल पाती है। गेहूं की फसल के पत्ते पीले होने लगते हैं।
- मैंगनीज की कमी रेतीले इलाकों के एक बड़े हिस्से में, मैंगनीज की कम मात्रा मिट्टी के अंदर ट्रैक की जाती है, इसलिए इस तरह की मिट्टी में गेहूं बोया जाता है। उपज में निराशा की संभावना है और इसकी शुरुआत फसल की पत्तियों के पीले होने से होती है।
पीली पड़ी पत्तियों के लिए यह उपाय करें
(Reason for yellowing of wheat leaves)
आईसीएआर- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करता है। संस्थान के कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, किसान साथी जब भी खरपतवार निरोधी दवाओं का छिड़काव करें तो जो एक एकड़ के हिसाब फार्मूलेशन बनाएं उसमें 500 ग्राम के करीब यूरिया मिला लें, अगर फिर भी अगर समस्या का समाधान न हो तो बाजार के अंदर सी वीड उनका एक्सट्रैक्ट को एक एकड़ में छिड़काव कर दें।
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गेंहू की फसल से इस तरह मिलेगा मुनाफा
(Reason for yellowing of wheat leaves)
किसान साथी जो खरपतवार का उपाय कर रहे है, उनमें से ज्यादातर को गेहूं की शुरुआती अवस्था और बुवाई के 17-18 दिन बाद ही छिड़काव करें गेहूं की पहली सिंचाई बुवाई के 20-22 दिन बाद, और अगर ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां लॉजिंग की समस्या है।
वहां पहली सिंचाई थोड़ी देर में यानि लगभग 25-27 दिनों में करें। जहां नमी रहती है वहाँ पर पहली सिंचाई 27-28 दिन बाद दूसरी सिंचाई (Reason for yellowing of wheat leaves) पहली सिंचाई के 27-28 दिन बाद करें। आखिरी दो सिंचाई के बीच 20 दिन का अंतराल रखें जिन्होंने एक नवंबर के आसपास या अक्टूबर के आखिर में गेहूं की बुवाई की होगी, उसमें फसल की अच्छी बढ़वार होती है, कई बार तो फसल गिर भी जाती है।
इसलिए उसमें जब पहली गांठ आती है, तो उसमें एक कट लगा सकते हैं। उस कट को आप चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको प्रति हेक्टेयर 70- 1000 कुंतल हरा चारा (Reason for yellowing of wheat leaves) मिल सकता है। पहले आप प्रयोग के तौर पर जो लंबी अवधि की किस्मों की बुवाई की है इनसे आप हरा चारा ले सकते हैं।
सिंचाई प्रबंधन का रखे ध्यान
(Reason for yellowing of wheat leaves)
अधिक उपज के लिए गेहूं की फसल को पांच-छह सिंचाई की जरूरत होती है। पानी की उपलब्धता, मिट्टी के प्रकार और पौधों की आवश्यकता के हिसाब से सिंचाई करनी चाहिए। गेहूं की फसल के जीवन चक्र में तीन अवस्थाएं जैसे चंदेरी जड़े निकलना (21 दिन), पहली गांठ बनना (65 दिन) और दाना बनना (85 दिन) ऐसी हैं, जिन पर सिंचाई (Reason for yellowing of wheat leaves) करना अति आवश्यक है। यदि सिचाई के लिए जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो पहली सिंचाई 21 दिन पर इसके बाद 20 दिन के अंतराल पर अन्य पांच सिंचाई करें।
सिंचाई तकनीकों का करें इस्तेमाल
(Reason for yellowing of wheat leaves)
नई सिंचाई तकनीकों जैसे फव्वारा विधि या टपका विधि भी गेहूं की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। कम पानी क्षेत्रों में इनका प्रयोग बहुत पहले से होता आ रहा है। लेकिन जल की बहुलता वाले क्षेत्रों में भी इन तकनीकों को अपनाकर जल का संचय किया जा सकता है और अच्छी उपज ली जा सकती है।
सिंचाई की इन तकनीकों पर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी (Reason for yellowing of wheat leaves) के रूप में अनुदान भी दिया जा रहा है। किसान भाईयों को इन योजनाओं का लाभ लेकर सिंचाई जल प्रबंधन के राष्ट्रीय दायित्व का भी निर्वहन करना चाहिए।
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