किसानों को सम-सामयिक सलाह : सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के लिए यह करें
सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने समसामयिक (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen) सलाह जारी की है।
Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen | कृषि विभाग ने सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को सम-सामयिक सलाह देते हुए बताया कि लगातार वर्षा होने से जलभराव की स्थिति में अपने खेत में अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें। जहां फसल 15-20 दिन की हो गई है और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया है, उन किसानों को सलाह दी जाती है कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिये अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवार नाशक का उपयोग करें।
क्या है खरपतवार (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen)
रबी एवं खरीफ की फसलों के साथ उगने वाले अवांछित पौधों को खरपतवार कहा जाता है, खरपतवार अपने आप खेत में उगते हैं एवं तेजी से बढ़ते हैं। जिसके कारण फसल को काफी नुकसान करते हैं। समय रहते यदि उनका नियंत्रण नहीं किया जाता है तो यह खेत के तमाम पोषक नष्ट कर देते हैं। रबी एवं खरीफ की फसल में अलग-अलग प्रकार के खरपतवार उगते हैं।
खरपतवार के तीन श्रेणी में :-
1. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार – इस प्रकार के खरपतवारों की पत्तियाँ प्राय: चौड़ी होती हैं तथा यह मुख्यत: दो बीजपत्रीय पौधे होते हैं जैसे महकुंआ (अजेरेटम कोनीजाइडस), जंगली चौलाई (अमरेन्थस बिरिडिस), सफेद मुर्ग (सिलोसिया अजरेन्सिया), जंगली जूट (कोरकोरस एकुटैंन्गुलस), बन मकोय (फाइ जेलिस मिनिगा), ह्जारदाना (फाइलेन्थस निरुरी) तथा कालादाना (आइपोमिया स्पीसीज) इत्यादि।
2. सकरी पत्ती वाले खरपतवार – घास कुल के खरपतवारों (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen) की पत्तियाँ पतली एवं लम्बी होती हैं तथा इन पत्तियों के अंदर समांतर धारियां पाई जाती हैं। यह एक बीज पत्री पौधे होते हैं जैसे सांवक (इकाईनोक्लोआ कोलोना) तथा कोदों (इल्यूसिन इंडिका) इत्यादि।
3. मोथा परिवार के खरपतवार – इस परिवार के खरपतवारों की पत्तियाँ लंबी तथा तना तीन किनारे वाला ठोस होता है। जड़ों में गांठे (ट्यूबर) पाए जाते हैं जो भोजन इकट्ठा करके नए पौधों को जन्म देने में सहायक होते हैं जैसे मोथा (साइपेरस रोटन्ड्स, साइपेरस) इत्यादि।
खरपतवारों से फसलों को यह होती है हानियां
खरीफ एवं रबी सीजन के दौरान होने वाले खरपतवार और से फसलों को काफी हानियां होती है खरीफ फसल के दौरान प्रमुख रुप से सोयाबीन बोई जाती है। सोयाबीन में उगने वाले खरपतवारों से वर्षा ऋतु में उच्च तापमान एवं अधिक नमी खरपतवार (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen) की बढ़ोतरी में सहायक है। अत: यह आवश्यक हो जाता है कि उनकी बढ़ोतरी रोकी जाए जिससे फसल को बढ़ने के लिए अधिक से अधिक जगह, नमी, प्रकाश एवं उपलब्ध पोषक तत्व मिल सके। सोयाबीन के खरपतवारों को नष्ट न करने से उत्पादन में लगभग 25 से 70 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इसके अलावा खरपतवार फसल के लिए भूमि में निहित खाद एवं उर्वरक द्वारा दिए गए पोषक तत्वों में से 30-60 किग्रा. नाइट्रोजन, 8-10 किग्रा. फास्फोरस एवं 40-100 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से शोषित कर लेते हैं। इसके फलस्वरूप पौधे की विकास गति धीमी पड जाती है और उत्पादन स्तर गिर जाता है। इसके अतिरिक्त खरपतवार फसल को नुकसान पहुँचाने वाले अनेक प्रकार के कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के रोगाणुओं को भी आश्रय देते हैं।
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सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण कैसे एवं कब करें
फसलों में खरपतवार (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen) जैसे ही उगते हैं तभी उनका निदान/नियंत्रण करना आवश्यक होता है, क्योंकि जैसे जैसे हरकत में बढ़ते जाते हैं वैसे वैसे फसलों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। सोयाबीन के पौधे प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों से मुकाबला नहीं कर सकते। अत: खेत को उस वक्त खरपतवार रहित रखना आवश्यक होता है। यहाँ पर यह भी बात ध्यान देने योग्य है कि फसल को हमेशा न तो खरपतवार मुक्त रखा जा सकता है और न ही ऐसा करना आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है। अत: क्रांन्तिक (नाजुक) अवस्था विशेष पर निदाई करके खरपतवार मुक्त रखा जाए तो फसल का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होता है। सोयाबीन में यह नाजुक अवस्था प्रारंभिक बढ़वार के 20-45 दिनों तक रहती है।
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सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के तरीकें
Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen | कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के लिए प्रमुख सलाह दी जाती है कि खरपतवारों का सही समय पर नियंत्रण करें चाहे किसी भी प्रकार से करें। सोयाबीन की फसल में खरपतवारों की रोकथाम निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है :-
- बुवाई से पहले किए जाने वाले कार्य – इस विधि में वे क्रियाएं शामिल हैं जिनके द्वारा सोयाबीन के खेत में खरपतवारों को फैलने से रोका जा सकता है जैसे प्रमाणित बीजों का प्रयोग, अच्छी सड़ी कम्पोस्ट एवं गोबर की खाद का प्रयोग, खेत की तैयारी में प्रयोग किए जाने वाले यंत्रों की प्रयोग से पूर्व अच्छी तरह से सफाई इत्यादि।
- कृषि यंत्रों द्वारा सोयाबीन की फसल मेंं खरपतवारों का नियंत्रण – यह खरपतवारों पर काबू पाने की सरल एवं प्रभावी विधि है। सोयाबीन की फसल में बुवाई के 20-45 दिन के मध्य का समय खरपतवारों से प्रतियोगिता की दृष्टि से खरपतवार ओक्रांन्तिक समय है। दो निराई गुदाईयों से खरपतवारों की बढ़वार पर नियंत्रण पाया जा सकता है। पहली निराई बुवाई के 20-25 दिन बाद तथा दूसरी 40-45दिन बाद करनी चाहिए। निराई-गुराई कार्य हेतु व्हील हो या ट्रिवन व्हील हो का प्रयोग कारगर एवं आर्थिक दृष्टि से सस्ता पड़ता है।
- रासायनिक तरीकों से सोयाबीन में खरपतवारो का नियंत्रण – खरपतवार नियंत्रण के लिए जिन रसायनों का प्रयोग किया जाता है उन्हें खरपतवारनाशी (हरबीसाइड) कहते हैं। रसायनिक विधि अपनाने से प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भारी बचत होती है लेकिन इन रसायनों का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इनका प्रयोग उचित मात्रा में उचित ढंग से तथा उपयुक्त समय पर हो अन्यथा लाभ की बजाय हानि की संभावना रहती है।
- जिन्होंने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों (Soyabean me kharpatwar niyantran kaise karen) का अभी तक प्रयोग नहीं किया है, सलाह है कि अनुशंसित कीटनाशकों के साथ संगतता पाए जाने वाले वाले निम्न खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों में से किसी एक को मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।
- कीटनाशक : क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली /हे) या क्विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्ब 15.8 एस.सी (333 दम.ली./हे)(2) खरपतवारनाशक: इमाज़ेथापायर 10 एस.एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी (1 ली/हे)।
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