एमपी के किसान ने रबी सीजन में की सोयाबीन की खेती ; रबी सीजन में सोयाबीन की खेती कैसे करें ?
एमपी के किसान ने रबी सीजन में सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation in Rabi Season) करके अच्छा लाभ कमाया, आप भी जानिए रबी सीजन में सोयाबीन की खेती के बारे में
Soybean Cultivation in Rabi Season | सोयाबीन की खेती मुख्यतः खरीफ सीजन में होती है। लेकिन क्या आपको पता है की रबी सीजन में सोयाबीन की खेती कर मुनाफा ले सकते है। मध्यप्रदेश के एक किसान ने रबी सीजन में सोयाबीन की खेती कर ये बता दिया है की धरती की कोख से फसलों का सोना निकालने वाला किसान मन में अगर कुछ ठान ले तो वह कुछ भी करगुजर सकता है। प्रदेश में कई किसानों ने खेती में नए तौर-तरीकों से अपनी आमदनी को बढ़ाने के साथ ही एक मुकाम हासिल किया है। किसान रबी सीजन में सोयाबीन की खेती कैसे की जाए..आइए सफल किसान से जानें…
नरसिंहपुर जिले का किसान बना मिसाल
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा तहसील के पास एक छोटे से गांव नरवारा के किसान (Soybean Cultivation in Rabi Season) इस की जीती जागती मिसाल हैं। मनीष और मुकेश कौरव 2 भाइयों ने अपने बेटे शरद की खेती-किसानी से संबंधित जानकारी का उपयोग करते हुए खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली फसल सोयाबीन को रबी सीजन में उगाकर असंभव काम को संभव बनाने की ठानी। जिले के किसानों की मेहनत का ही फल है कि गर्मी के सीजन में भी खरीफ यानी कि बारिश की मुख्य फसल सोयाबीन लहलहा उठी।
फसल चक्र में यह बदलाव किसानों ने अपने बूते पर किया है। बेमौसम बारिश ने किसानों को प्रयोगधर्मी बना दिया है। जिले के किसान ज्यादा जोखिम ले रहे हैं और नए प्रयोग कर उस में कामयाब भी हो रहे हैं। खरीफ व रबी की फसलों में काफी नुकसान के बाद भी किसान मौसम की हर चुनौती का सामना कर रहे हैं। जिले में ऐसे किसानों (Soybean Cultivation in Rabi Season) की कमी नहीं है, जो प्रतिकूल मौसम में भी वे फसलें उगा रहे हैं, जिसे पहले असंभव माना जाता था।
उच्च शिक्षा के बाद भी खेती किसानी को चुना
जिले के कई किसान गर्मी के दिनों में पानी की उपलब्धता के चलते जायद की फसल बोते हैं। क्षेत्र के किसानों (Soybean Cultivation in Rabi Season) ने बीते वर्ष जोखिम उठाना पसंद किया। इस जोखिम का फल अब सबके सामने सोयाबीन की अच्छी फसल के रूप में नजर आया। गरमी के इस सीजन में भी सोयाबीन लहलहा उठी। इन किसानों की खास बात यह है कि इनमें से कई उच्च शिक्षित हैं। नरवारा गांव के किसान शरद पटेल ने कृषि विषय में बीएससी, एमएससी तक की तालीम हासिल कर के नौकरी खोजने के बजाय अपने पिता की खेती में हाथ बंटाना पसंद किया है।
नरवारा गांव के शरद बताते हैं कि कोरोना के समय में जब हमारे कालेज बंद हो गए, तो हमने घर पर रहते हुए पढ़ाई करने के साथ-साथ अपने पिता के साथ खेती-किसानी के कामों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। यह काम हमारे लिए प्रैक्टिकली अच्छा साबित हुआ, क्योंकि अब हम जो पढ़ रहे थे, उसे ही अपने खेतों में देख रहे थे। “जब मैंने देखा कि वातावरण में भारी परिवर्तन आ रहा है, लेकिन उस के अनुरूप हमारी फसलें अच्छा उत्पादन नहीं दे रही हैं। उसी समय मेरे मन में ऋतुओं के प्रतिपक्ष खेती (Soybean Cultivation in Rabi Season) करने का विचार आया।
गर्मी में ब्लैक बोल्ड नामक सोयाबीन किस्म बोई थी
शरद आगे बताते हैं की मैंने और मेरे परिवार ने रिस्क लेकर ठंड के मौसम में एक दिसंबर को दोपहर में सोयाबीन की बोआई की। हमने सोयाबीन को मिश्रित फसल के रूप में चुना, जिस में मुख्य फसल एक गहरी जड़ वाली बहुवर्षीय फसल गन्ना थी। गन्ने की कतार से कतार की दूरी 3 फुट और इसी के बीच में ब्लैक बोल्ड नाम की किस्म सोयाबीन बीज (Soybean Cultivation in Rabi Season) को वीटावैक्श की सहायता से उपचारित कर नारी विधि की सहायता से बोआई की गई।
अकसर किसान का सोचना यह होता है कि उस के खेत में जो फसल होती थी वही होगी और उसी समय होगी। अकसर किसान यही गलती कर देता है, क्योंकि उस ने ठान लिया है कि उसे समय का आकलन करना है वातावरण का नहीं। यही वजह है कि सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation in Rabi Season) में अव्वल मध्यप्रदेश में अब किसानों की रुचि इसे ले कर नहीं थी।
गर्मी में भी आसानी से हो सकती है सोयाबीन की फसल
ठंड की वजह से तापमान में गिरावट के कारण अंकुरण में 8 दिन का फर्क देखने को मिला। एक माह तक हमने किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया।अंकुरण (Soybean Cultivation in Rabi Season) के बाद वृद्धि उचित हुई और कोई भी बीमारी देखने नहीं मिली।
हमने भूजल का उपयोग किया और पाला से भी बचाव निर्धारित किया, फसल ने पूरी सहनशीलता दिखाई और एक भी पौधा अंकुरण के बाद नष्ट नहीं हुआ। जनवरी के महीने में हमने 19-19 का पहला स्प्रे किया। बीच में पर्ण छिद्र की समस्या देखने को मिली, पर मात्र 5 दिन में यह खुद ही समाप्त हो गई, जिस से पता चला कि सोयाबीन (Soybean Cultivation in Rabi Season) की इस किस्म ने वातावरण के अनुरूप अपने आपको ढाल लिया।
किसानों का कहना है कि सोयाबीन पर हमारे प्रयोग से हमें यह सीखने को मिला है कि ऋतु परिवर्तन के आधार पर अब हमें फसलों को परिवर्तित करने की आवश्यकता है और तकनीकी जानकारी के साथ तकनीकी खेती की ओर बढ़ने की भी जरूरत है। यदि ठंड में हम सोयाबीन (Soybean Cultivation in Rabi Season) का अच्छा उत्पादन ले पाते हैं, तो ये हमारी खेती में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। प्रयोग अभी जारी है और आगे भी हम ऋतुओं के प्रतिपक्ष खेती करने की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
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सरकार उन्नतशील किसानों को आगे बढ़ाएं
वर्तमान में सरकारी बीज केंद्रों पर अच्छी किस्म के बीज पर्याप्त मात्रा में किसान को न मिल पाने के कारण भी वे अब सोयाबीन फसल (Soybean Cultivation in Rabi Season) उगाने से परहेज करने लगा है, क्योंकि निजी बीज केंद्र भारी कीमत पर बीज उपलब्ध करा रहे हैं। किसान का विश्वास सरकारी बीजों पर है। यदि कृषि स्नातक छात्रों को सरकार बीज फार्म से बीज दे कर उन्नत प्रयोग कराए, तो समय पर अच्छी मात्रा में उन्नत किस्म के बीज तैयार किए जा सकते हैं।
युवा किसान शरद द्वारा ठंड के मौसम में लगाई गई फसल को देखने आसपास के किसान रोज ही उन के खेत पर आते हैं। शरद का यह प्रयोग यदि सफल रहा, तो आने वाले समय में उन का यह नवाचार किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। शरद से सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation in Rabi Season) से संबंधित जानकारी के लिए उनके मोबाइल नंबर 8458940170 पर बात की जा सकती है।
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