सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के 5 उपाय, जानिए
Soybean ki upaj badhane ke 5 upay : सोयाबीन की अच्छी ग्रोथ के लिए कौन सा पोषक तत्व/टॉनिक डालें, आइए जानते हैं..
Soybean ki upaj badhane ke 5 upay | सोयाबीन की लगभग आधी उम्र बीत जाने के बाद भी कई खेतों में सोयाबीन की फसल अच्छी ग्रोथ नहीं कर पा रही है। जिसके कारण पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। सोयाबीन Soybean ki upaj badhane ke 5 upay की अच्छी ग्रोथ नहीं होने के क्या-क्या कारण हैं एवं सोयाबीन की अच्छी ग्रोथ के लिए सोयाबीन की फसल को किन किन पोषक तत्वों की आवश्यकता है, आइए कृषि विशेषज्ञों से जानते हैं…
लगातार बारिश से किसानो की फसल हुई कमजोर – Soybean ki upaj badhane ke 5 upay
खरीफ में सोयाबीन की बोवनी सबसे ज्यादा होती है। इस वर्ष सोयाबीन की बोवनी 24 जून को हो गई थी। बोवनी होने के बाद से ही अब तक लगातार पानी बरस रहा है। लगातार पानी गिरने के कारण सोयाबीन की फसल कमजोर हो गई वहीं दूसरी ओर बोवनी के पश्चात 15 से 20 दिनों के दौरान किसानों द्वारा खरपतवार नाशक दवाइयों के इस्तेमाल के कारण भी फसल कमजोर हो जाती है। गौरतलब है कि सोयाबीन की बोवनी के पश्चात किसान 15 से 20 दिन के दौरान खरपतवार नाशक दवाई का प्रयोग करते हैं।
सोयाबीन की अच्छी ग्रोथ के लिए किसान यह करें
Soybean ki upaj badhane ke 5 upay – सोयाबीन की फसल में खरपतवार एवं कीटनाशक के उपयोग के पश्चात फसल को पोषक तत्व भी प्रदान करें, ताकि सोयाबीन की फसल में अच्छी ग्रोथ हो सके। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन की इस अवधि (यानी कि 35 से 40 दिन की अवधि के दौरान) में नैनो डीएपी एवं सागरिका का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं इसके अलावा डीएपी फर्टिलाइजर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि Soybean ki upaj badhane ke 5 upay प्रति हेक्टेयर में एक बोरी डीएपी फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करना उचित रहेगा। इसके साथ ही सोयाबीन की अगली वैरायटी में जहां पर फूल आ चुके हैं, वहां यूरिया खाद का इस्तेमाल कतई ना करें इससे फूल झड़ने की संभावना बनी रहती है। वहीं यदि फसल में जिंक एवं सल्फर की कमी हो तो उसकी पूर्ति भी की जाना अति आवश्यक है। जिंक एवं सल्फर की कमी का किस प्रकार पता लगाएं यह इस खबर को क्लिक करके पढ़िए…
कीट – रोग – इल्ली से फसल को कैसे बचाएं जानें,
Soybean ki upaj badhane ke 5 upay : सोयाबीन की फसल में इन दिनों तना मक्खी का प्रकोप बढ़ जाता है। कृषि विशेषज्ञों ने तना मक्खी कीट से बचाव
तना मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान साथी पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350मिली./हे.) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) का छिड़काव करें।
इसके अलावा किसान पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं ताना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक Soybean ki upaj badhane ke 5 upay जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें।
सोयाबीन में पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।
अच्छी पैदावार के लिए किसान इन बातों का जरूर ध्यान रखें
Soybean ki upaj badhane ke 5 upay : सोयाबीन की फसल में कीटनाशक का छिड़काव करने से पहले कृपया फसल का अच्छी तरह से निरीक्षण करें। विशेषज्ञों द्वारा तय की गई आर्थिक हानि सीमा मतलब 3 मीटर कतार में एक या एक से अधिक इल्लियां हो और पुष्पण तथा फली की अवस्था में 1 मीटर कतार में एक या एक से अधिक इल्लियां हो, तब ही कीटनाशक का छिड़काव करें।
लंबी अवधि की सोयाबीन में यदि हम 5 – 5 दिन छिड़काव आगे बढ़ाते हैं तो हमारा एक पूरा छिड़काव बच सकता है एवं लागत कम होकर लाभ बढ़ेगा। Soybean ki upaj badhane ke 5 upay इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है की यह नियम पहले छिड़काव पर लागू नहीं होता है पहला छिड़काव 25 से 35 दिन की अवधि में अवश्य करें ताकि गर्डल बीटल और तना मक्खी का नियंत्रण शुरुआती अवस्था में हो सके। किसानों से अनुरोध है कि कृषि आदान सामग्री क्रय करते समय संबंधित प्रतिष्ठान से क्रय की गई सामग्री का पक्का बिल आवश्यक रूप से लें।
सोयाबीन की उपज एवं ग्रोथ बढ़ाने के उपाय
सोयाबीन की उपज बढ़ाने के लिए Soybean ki upaj badhane ke 5 upay सोयाबीन की अच्छी ग्रोथ होना अति आवश्यक है खरपतवार एवं कीट रोग नियंत्रण से सोयाबीन की ग्रोथ अच्छी होगी एवं उपज भी अच्छी होगी। सोयाबीन की उपज बढ़ाने के 5 उपायों के बारे में जानिए…
1. सोयाबीन की फसल में कीट और रोग का नियंत्रण होना अति आवश्यक है। वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को उपरोक्त कीटों एवं बीमारियों से बचाव के लिए सलाह दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि तनामक्खी, चक्रभृंगव सफेद/ हरे मच्छर के नियंत्रण हेतु टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. 250 एम.एल. या थायक्लोरप्रिड 21.7 एस.सी. 750 एम.एल. या लेम्डासायहेलोथ्रिन + थायमिथोक्सोजाम 125 ग्राम. याबीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोरपिड 350 एम.एल. प्रतिहेक्टेयर का 500 लीटर पानी के साथ उपयोग करें।
पत्ती खाने वाली इल्ली, हरी अर्द्ध कुंडल इल्ली, तंबाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली की रोकथाम के लिए स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी. 450 एम.एल. प्रति हेक्टेयर या प्रोपेनोफॉस 50 ई.सी. 1.25 ली. याइमा बेक्टिनबेंजोएट 5 एस.जी. 300 ग्राम या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250 एम.एल. /हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. 350 एम.एल. या फ्लूबेंडियामाइड 150 एम.एल. या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
2. सोयाबीन की फसल Soybean ki upaj badhane ke 5 upay में फफूंद जनित एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल 625 मिली. या टेबूकोनाझोल + सल्फर 1 किग्रा. या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 500 ग्रामयापायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50 जी/एल एस.ई (750 एम.एल. प्रति हेक्टेयर) या हेक्साकोनोझोल 5 प्रतिशत ईसी. 800 मिली. प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
घोंघा/ स्नेल की रोकथाम के लिए खेत के किनारे झाडि़यों में 10 प्रतिशत नमक के घोल का छिड़काव करें और खड़ी फसल में डायफिनोथ्यूराम 50 डब्ल्यू.पी. 800 ग्राम/हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें तथा इसके साथ-साथ घोंघा को इकट्ठा करके कीट नाशकयुक्त या नमक युक्त पानी में डालकर समय-समय परनष्टकरतेरहनाचाहिए ताकिइनकी संख्या को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है और इनकी रोकथाम के लिए ब्लीचिंग पाउडर का भुरकाव खेत के किनारे पर झाडि़यों में करना चाहिए। Soybean ki upaj badhane ke 5 upay
3. अफलन की समस्या के सुधार के लिए घुलनशील बोरोन 500 ग्राम + चिलेटेडलोहा (आयरन) 500 ग्राम + चिलेटेड कैल्शियम 500 ग्राम या मैंकोजेब + कार्बंडाजिब 1.25 किग्रा. 500 लीटरपानी के साथ प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। 10 दिन बाद दुबारा दोहरायें तो काफी हद तक नुकसान को कम करने में आसानी होगी। Soybean ki upaj badhane ke 5 upay
4. सोयाबीन की फसल को बिहार हेयरी कैटरपिलर (कामलिया किट) रोग से मुक्त रखना आवश्यक है – बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप प्रारंभ होने पर किसानों को सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं इसके नियंत्रण हेतु फसल पर लैम्बडा सायहेलोबिन 04.90 सी.एस. ( 300 मिली/हे ) या इंडोनसाकार्ब 15.8 एस.सी. ( 333 मिली/हे ) का छिड़काव करें। Soybean ki upaj badhane ke 5 upay
5. पीला मोजेक रोग प्रबंधन – इस रोग के नियंत्रण के लिए तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक भायोमियोक्सम सायहेलोबिन (125 मिली/हे) बीटासायफ्लुमिन+इमिडाक्लोप्रिड ( 350 मिली/हे) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना + या मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी Soybean ki upaj badhane ke 5 upayके नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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