खेती-किसानी

सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए बीजोपचार जरूरी, जानिए बीजोपचार की विधियां

खरीफ फसलों की बोवनी चल रही है, अच्छी पैदावार के लिए बीज उपचार (Soybean Seeds Treatment) कैसे करें जानिए

Soybean Seeds Treatment | देश में सोयाबीन की बोवनी अब तक 2.78 लाख हेक्टयर में हो चुकी है जो पिछले साल के मुकाबले 77 फीसद कम हैं और मानसून में ओर देरी से बोवनी की प्रक्रिया धीमी है। सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलों की बोवनी के दौरान विशेष तौर पर जो बात ध्यान देने वाली है वह यह है कि किसान बीज उपचार जरूर करें। क्योंकि अच्छी पैदावार के लिए जिस तरह बीज चयन महतवपूर्ण है, उसी तरह बीज का उपचार करना भी उतना ही आवश्यक है। आधुनिक खेती में निरंतर हो रही वैज्ञानिक प्रगति से तभी लाभ हो सकता है जब उन्नत किस्मो के शुद्ध व अच्छी गुणवत्ता वाले बीजो का चुनाव कि‍या जाए और बुवाई पूर्व उसे उपचारित करके ही बोया जाए, बीजो का अंकुरण बढाने, कीटो व रोगों से सुरक्षा करने के लिए बीजोपचार अति आवश्यक प्रक्रिया है।

बीज उपचार नहीं किया (Soybean Seeds Treatment) तो पैदावार घटेगी

अधिकांशत: किसान, फसलो की बीजाई बिना बीजोपचार किये ही करते है जिससे फसल उत्पादन 8-10 प्रतिशत कम रहने की सम्भावना रहती है। किसानो द्वारा बीजोपचार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। जिससे फसलो मे इसके फायदे की जानकारी किसानो तक पहुचें।

100 प्रतिशत बीजोपचार को बढावा देने के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकार कार्यरत है। जिसमे कृषि विश्वविधालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, आत्मा, ओधोगिक संगठन एवं एन.जी.ओ. मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।

बीजों का उपचार इस क्रम में करें

बीजों का एफ. आई. आर. या FIR क्रम मे उपचार करना चाहि‍ए यानि‍ सबसे पहले फफूँदनाशक दवाओं से, फिर आवश्यकता के अनुसार कीटनाशक दवा से एवं अंत मे जीवाणु कल्चर से उपचारित करना चाहिये। रसायनों अथवा जैव कारको के अनुप्रयोग के लिए आमतौर पर तीन विधियाँ अपनाई जाती है जो की रसायन या जैवकारक की प्रकृतिपर निर्भर करती है।

बीज उपचार की विधियां जानिए

धूल उपचार वि‍धि‍ :- इसके अंतर्गत सूखे चूर्ण अथवा पाउडर से बीजोपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए कार्बेन्डाजिम द्वारा बीजोपचार।

कर्दम/स्लरी उपचार वि‍धि‍ :- पानी में घुलनशील चूर्ण के मिश्रण के प्रयोग को कर्दम/स्लरी उपचार कहते है।

द्रव्य उपचार वि‍धि‍:- तरल रूप में प्रयुक्त रसायनों के प्रयोग को द्रव्य उपचार कहते है।

सुखी विधि -: इस विधि के अंतर्गत बीजो को उपचारित (Soybean Seeds Treatment) करने के लिए बीज और दवा की उपयुक्त मात्रा को प्लास्टिक के ड्रम मे डालकर 10-15 मिनट घुमाया जाता है| जिससे दवा की हल्की परत सामान रूप से बीज के ऊपर चढ़ जाती है।

यदि ड्रम उपलब्ध नही हो तो किसी साफ़ बर्तन मे या पॉलिथीन पर बीज को डालकर उसके ऊपर आवश्यक रसायन या जैव-नियंत्रक की मात्रा को छिड़क या भुरककर उसे दस्ताने पहन कर हाथ से मिला दिया जाता है, फिर उपचारित बीज को छाया मे सुखाकर तुरंत बीजाई कर देनी चाहिए।

गीली विधि : इस विधि से बीजो को उपचारित करने के लिए पानी मे घुलनशील दवाओं को प्रयोग मे लिया जाता है। बीज को उपचारित करने के लिए मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन मे आवश्यकतानुसार दवा लेकर घोल बना ले, फिर बीज को 10-15 मिनट के लिए डुबोये। उसके बाद बीज को निकालकर छाया मे सुखा कर बुवाई करे।

जीवाणु कल्चर से बीजोपचार की विधि

इसमें जीवाणु कल्चर (राईजोबियम, ऐजोटोबेक्टर, पी.एस.बी. कल्चर) से बीजोपचार करने के लिए एक लीटर पानी मे 250 ग्राम गुड डालकर गर्म करते है, इसके बाद घोल को ठण्डा होने पर 600 ग्राम कल्चर (3 पैकेट) मिलाकर तेयार घोल को एक हेक्टेयर की फसल के बीज को उपचारित करने के काम मे लेते है।

सोयाबीन का बीजोपचार

Soybean Seeds Treatment : बीज को थायरम कार्बेन्डाजिम (2:1) के 3 ग्राम मिश्रण, अथवा थयरम कार्बोक्सीन 2.5 ग्राम अथवा थायोमिथाक्सेम 78 ws 3 ग्राम अथवा ट्राईकोडर्मा विर्डी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

खरीफ की अन्य मुख्य फसलो मे बीजोपचार कैसे करें

अमेरिकन कपास (नरमा) :- कपास के बीजो से रेशे हटाने के लिए व्यापारिक गंधक के तेजाब का प्रयोग करे, 10 किलो बीज के लिए 1 लीटर गंधक के तेज़ाब पर्याप्त होता है। मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन मे बीज डालकर थोडा गंधक का तेजाब डालिये तथा एक या दो मिनट लकड़ी से हिलाए, बाद मे बीज को तुरन्त बहते हुए पानी मे धो डालिए और ऊपर तैरते हुए कच्चे बीज को अलग कर दीजिए।

बीज के अन्दर पाई जाने वाली गुलाबी लट की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार 4 से 40 किलो बीज को 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाइड से कम से कम 24 घन्टे धूमित करे। यदि धूमित करना संभव नही हो तो बीज को (Soybean Seeds Treatment) तेज धूप मे फैला कर कम से कम 6 घन्टे तक तपाये।

रेशे रहित एक किलोग्राम नरमे के बीज को 5 ग्राम इमिड़ाक्लोप्रिड (70 डब्ल्यू.एस.) या 4 ग्राम थायोमिथोग्जाम (70 डब्ल्यू.एस.) से उपचारित कर पत्तीरस चूसक हानिकारक कीट व पत्ती मरोड़ वायरस को कम किया जा सकता है।

देशी कपास : बीज के अन्दर पाई जाने वाली गुलाबी लट की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार 4 से 40 किलो बीज को 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाइड से कम से कम 24 घन्टे धूमित करे| यदि धूमित करना संभव नही हो तो बीज को तेज धूप मे फैला कर कम से कम 6 घन्टे तक तपाये।

जड़गलन की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पूर्व 6 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में डालकर मिला दे। बोये जाने वाले बीजो को कार्बोक्सिन (70 डब्ल्यू.पी.) 0.3 प्रतिशत या कार्बेन्डाजिम (50 डब्ल्यू.पी)2 प्रतिशत (2 ग्राम/ लीटर पानी मे) के घोल मे भिगोकर अथवा सादे पानी मे भिगोये गये बीज को कुछ समय तक सुखाने के बाद ट्राईकोडर्मा हरजेनियम 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बोये।

जिन खेतों में जड़ गलन के रोग का प्रकोप अधिक है उन खेतों के लिए बुवाई से पूर्व 5 किलोग्राम ट्राईकोड्रमा हरजेनियम को 50 किलो नमी युक्त गोबर की खाद (एफ.वाई.एम.) में अच्छी तरह मिलाकर 10-15 दिनों के लिए छाया में रख दे। इस मिश्रण को बुवाई के समय एक बीघा मे पलेवा करते समय मिट्टी मे मिला दे| साथ मे ट्राईकोडर्मा जैव से बीज उपचार करे।

मूँग : बुवाई से पूर्व बीज को थाईरम या कैप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करे।

राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुवाई (Soybean Seeds Treatment) करने मे पैदावार में बढोतरी पाई जाती है| इसके लिए 600 ग्राम राईजोबियम कल्चर को 1 लीटर पानी मे 250 ग्राम गुड़ के साथ गर्म कर ठंडा होने पर बीज को उपचारित कर छाया मे सुखा लेना चाहिये तथा बुवाई कर देनी चाहिये।

ग्वार : फफूंद-जनित रोगों से बचाने के लिए बीज को बोने से पूर्व 100 मिली स्ट्रेप्टोसाइक्लीन के घोल में 4-5 घन्टे तक उपचारित करे।

Soybean Seeds Treatment : जीवाणु कल्चर (राईजोबियम, ऐजोटोबेक्टर एवं पी.एस.बी. कल्चर) पाउडर के तीन पैकेट एक हेक्टेयर क्षैत्र के बीज को बुवाई से एक घन्टे पूर्व उपचारित क्र बोने पर नत्रजन एवं फॉस्फोरस उर्वरको की बचत की जा सकती है।

मूँगफली : काँलर रोट (सन्धि विगलन) के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित में से किसी एक फफूंदनाशी से बीज उपचारित कर बुवाई करे| कार्बेन्डाजिम (50 डब्ल्यू.पी.) 2 ग्राम प्रति किलो बीज दर से या कार्बोक्सिन (37.5 प्रतिशत)+(थाइराम 5 प्रतिशत) 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से या प्रोपेकोनाजोल (25 ई.सी.) 2.0 मिली/किलों बीज की दर से उपचारित कर बोने से रोग का प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।

बुवाई के समय प्रति किलो बीज को 10 ग्राम ट्राईकोड्रमा हरजेनियम पाउडर से उपचारित कर बुवाई करने पर काँलर रोट (सन्धि विगलन) या जड़ गलन रोगों का अत्यधिक प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।

तिल : बुवाई से पहले बीज को 3 ग्राम थाइरम या कैप्टान से प्रति किलो बीज को उपचारित कर बोये।

बीजोपचार के फायदे

  • फसल की बीज व मृदा जनित रोगों व कीटो से बचाव।
  • बीजो का अंकुरण अच्छा व एक समान होता है।
  • दलहनी फसलो की जड़ो मे नोडयूलेसन की बढोतरी होती है।
  • बीजो को पौषक तत्व उपलब्ध होते है।
  • बीजो की सुषुप्तावस्था तोड़ने मे सहायक।
  • फसल की उत्पादकता मे बढोतरी।

बीजोपचार के समय यह सावधानियां बरतें

  • Soybean Seeds Treatment : बीज को एफ. आई. आर. (FIR) क्रम मे सबसे पहले फफूँदनाशक, फिर कीटनाशक एवं अंत मे जीवाणु कल्चर (से उपचारित करना चाहिये।
  • जितना बीज बुवाई के लिए काम मे लेना हो उतना ही बीज उपचारित करना चाहिए
  • उपचारित बीजो को छायादार जगह मे सुखाकर 12 घंटे के भीतर बुवाई के काम लाये।
  • बचे हुए उपचारित बीज को खाने के काम नही लाना चाहिये और न ही पशुओ को खिलाये।
  • दवा के खाली डिब्बो या पैकेट्स को नष्ट कर देना चाहिये।
  • पैकेट्स पर लिखी हुई उपयोग की अवधि के पूरा हो जाने के बाद उस कल्चर का उपयोग बीजोपचार मे न करे।
  • जिस व्यक्ति के शरीर विशेषकर हाथ मे घाव या खरोंच लगी हो उससे बीज को उपचारित न करे।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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