कृषि समाचार

देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक, निर्यात पर लगी रोक हटने के संकेत, किसानों एवं व्यापारियों को मिलेगा फायदा

इस वर्ष भले ही सरकारी खरीदी कम मात्रा में हुई है, फिर भी देश में एवं का पर्याप्त (Sufficient stock of wheat) स्टॉक है। जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि गेहूं पर लगाया हुआ निर्यात प्रतिबंध हटेगा।

Sufficient stock of wheat –केंद्र सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। जबकि दूसरी ओर सरकारी खरीद घटने एवं निर्यात होने के बावजूद देश में गेहूं का स्टॉक पर्याप्त है इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि निर्यात पर लगी रोक हटाई जाएगी। चालू रबी विपणन मौसम में गेहूं की सरकारी खरीद घटने एवं निर्यात बढ़ने के बावजूद देश में खाद्य सुरक्षा के लिए कोई चिंता की बात नहीं है। चूकीं देश में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है जिससे पूरे वर्ष की जरूरतों को पूरा करने के बावजूद 4.66 करोड़ टन अनाज का सरप्लस रहेगा। ऐसे में गेहूं का निर्यात फिर से बदस्तूर शुरू किया जाएगा ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

गेहूं के निर्यात पर अस्थाई प्रतिबंध

वहीं किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक मूल्य मिल रहा है। ऐसे में गेहूं निर्यात पर पाबंदी का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार उलटे गेहूं के निर्यात बढ़ाने के लिए व्यापारियों को सहूलियत दे रही है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात के लिए प्रतिनिधिमंडल भेज कर विश्व स्तर पर नए बाजार को तलाशा। यानी कि देखा जाए तो जो गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है वह अस्थाई है, ऐसे में इस बात की संभावना अधिक है कि गेहूं पर लगाया हुआ यह प्रतिबंध सरकार जल्द हटा देगी।

देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक (Sufficient stock of wheat)

देश में खाद्यान्न की पूरे वर्ष भर की मांग और आपूर्ति का ब्योरा देने के लिए हाल ही में आयोजित एक प्रेसवार्ता में केंद्रीय खाद्य सचिव सुघांशु पांडेय ने कहा कि भारत के लिए दुनियाभर के बाजार एक अवसर के रूप में खुल रहे हैं। ऐसे में गेहूं निर्यात के लिए मिस्र, तुर्की और यूरोपीय देशों ने अपने दरवाजे भारत के लिए खोल दिए हैं। वहीं कृषि उत्पादों के निर्यात की प्रमुख संस्था एग्री एंड प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) का प्रतिनिधिमंडल अंतराष्ट्रीय स्तर पर और बाजार तलाशने निकलेगा। जिसमें निर्यातक भी शामिल होंगे। देश में फिलहाल गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।

गेहूं की देश में यह स्थिति

वही देश में गेहूं की सरकारी खरीद 1.95 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि निर्धारित लक्ष्य 4.44 करोड़ टन से बहुत कम है। इसे आदर्श स्थिति बताते हुए, पांडेय ने कहा कि घरेलू मंडियों में किसानों को उनकी उपज का मूल्य निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक प्राप्त हो रहा है। ऐसे में देश के सरकारी स्टॉक में जितना गेहूं है, जिससे पूरे साल की घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा और 80 लाख टन गेहूं आगामी फसल वर्ष के लिए कैरीओवर स्टॉक के रूप में बचेगा।

वहीं चालू फसल वर्ष में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 6 महीने की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए कुल 3.05 करोड टन गेहूं की जरूरत होगी। वही सरकारी स्टाफ में 1.90 करोड़ टन का ओपनिंग स्टॉक और 1.95 करोड़ टन सरकारी खरीद वाला गेहूं का स्टॉक है। ऐसे में केंद्र सरकार के पास अगले वर्ष के लिए सरप्लस 80 लाख टन गेहूं उपलब्ध होगा। वही 1 अप्रैल 2023 को जरूरी बफर स्टॉक 75 लाख होना चाहिए वही चावल का सरकारी स्टॉक 3.86 करोड़ टन रहेगा।

वहीं बफर मानक के हिसाब से न्यूनतम स्टॉक 1.36 करोड़ टन होना चाहिए, जो कि पुणे 3 गुना अधिक है। उन्होंने आगे कहा कि निजी व्यापारियों ने चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में ही 40 लाख टन गेहूं के निर्यात का अनुबंध कर लिया है। वही 11 लाख टन गेहूं का निर्यात हो भी चुका है। वहीं जून महीने तक भारतीय निर्यातकों के लिए गेहूं निर्यात के लिए बेहतर मौका है जिसके बाद वैश्विक बाजार में अर्जेंटीना में गेहूं की नई फसल आ जाएगी जिससे बाजार में उपलब्धता बढ़ने से गेहूं की कीमत गिर सकती है वहीं वित्त वर्ष 2021 – 22 में कुल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था।

दुनिया में गेहूं की अधिक डिमांड

वर्तमान में भारत के पास इतना खाद्यान्न (Sufficient stock of wheat ) है कि वह पूरी दुनिया की जरूरत पूरी कर सकता है। हालात ऐसे हैं कि मौजूदा स्थिति में अमरीका भी भारत से गुहार लगा रहा है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध न लगाएं। अनाज के इस गंभीर संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 70 दिन का गेहूं ही शेष बचा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार गेहूं का भंडार 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

यूक्रेन संकट और भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद यूरोप के देशों में गेहूं की कमी होती जा रही है। हालात ऐसे ही रहे तो यूरोपीय देश खाने के लिए तरस सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार रूस और यूक्रेन दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं। इस समय दोनों देश युद्ध में घिरे हुए है। यही वजह है कि दुनिया में अभी केवल 70 दिनों का ही गेंहू शेष है। ऐसे में अगर भारत निर्यात रोक देता है तो इससे अन्य देश बुरी तरह प्रभावित होंगे। ऐसे में भारत ही दुनिया का एकमात्र सहारा है।

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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