कृषि समाचार

Ujjain-किसान होंगे मालामाल, JNKVK ने विकसित की चने की तीन नई प्रजातियां, गेहूं की तरह हो सकेगी कटाई

Ujjain मालवा अंचल में सोयाबीन कटाई होते ही रबी फसल की बुवाई का काम शुरू होने वाला है। ऐसे में किसानों के लिए अच्छी खबर है।

Ujjain उज्जैन। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने चने की 3 नई प्रजातियां खोजी है। चने की यह प्रजातियां कम पानी में अधिक पैदावार देगी। वही इस चने की फसल के पौधे बड़े रहेंगे। जिससे इसकी कटाई गेहूं के समान मशीनों से हो सकेगी।

यह खासियत है इन प्रजातियों की

जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चने की जेजी-11, 14 व 24 को विकसित किया है। चने की ये तीनों फसलें गर्मी वाले स्थानों पर उगाई जा सकेगी। इसके पौधे लंबे होते हैं और इसे गेहूं की तरह हार्वेस्टर से काटा जा सकेगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जेएनकेविवि द्वारा विकसित जेजी-11, 14 और 24 चने की फसल 60 सेमी ऊंचाई तक होगी। अभी सामान्य चने की फसल 20 सेमी ही होते हैं। जेएनकेविवि चना अनुसंधान की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनीता बब्बर के मुताबिक जेजी 24 प्रजाति की ऊंचाई 60 सेमी से अधिक और फली भी पौध में ऊपर की ओर पाई जाती है। पौधा कम फैलाव के साथ ही हार्वेस्टर से कटाई के दौरान दाने नीचे टूटकर कम गिरते हैं।

पैदावार अच्छी होगी

चने की ये वैरायटी 110- 115 दिन में पक जाती है। इसके दाने आकार में बड़े, कत्थई रंग के होते हैं। तना मोटा और मजबूत होता है। पकने पर ये गिरेगा नहीं। ये चना पुख्ता उकता रोग, सूखने और सड़न से खुद को बचाता है। इसकी पैदवार एक हैक्टेयर में 20 से 25 क्विंटल तक होगी।

चने के उत्पादन में एमपी नंबर वन

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीके बिसेन और विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉक्टर जीके कोतू ने बताया कि पूरे देश में चने के उत्पादन में एमपी पहले और कर्नाटक दूसरे स्थान पर है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना काल से अब तक चने की 7 प्रजातियों को किसानों के लिए तैयार किया गया है।

इन प्रदेशों में होता है चने की खेती
  • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र , राजस्थान , गुजरात , छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में चने की बुआई होती है।
  • 110- 115 दिन में पक जाती है। इसकी फसल, दाना बड़ा, तना मोटा और मजबूत होते हैं।
  • जवाहर चना-11 और जवाहर चना-14 किसानों के बीच पहली पसंद बना हुआ है।
  • जेजी-11 दक्षिण भारत के लिए खासकर सूखा प्रतिरोधी उच्च उत्पादन वाली किस्म है। इसकी पैदावार 15 से 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होगी। वर्तमान में जेएनकेविवि कि यह प्रजाति आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के किसानों के बीच बहुत अधिक पॉपुलर है।

राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
Back to top button

Adblock Detected

Please uninstall adblocker from your browser.