यूरिया की कमी को दूर करेगा यह पौधा, नहीं खरीदना पड़ेगा यूरिया, पैसा भी बचेगा, जाने इसके बारे में
अब किसानों को यूरिया के लिए भटकने की जरुरत नहीं होगी, किसान का ढैंचा (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) के पौधे से उत्पादन बढ़ेगा साथ में पैसा भी बचेगा, जाने इसके बारे में
Urea Deficiency Dhencha Plant 2022 | फसलों में यूरिया यानी नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए किसान ढेंचे के पौधे का उपयोग कर सकते है। ढेंचे के इस पौधे को अकसर खरपतवार समझकर काट दिया जाता है।
लेकिन आपको जानकारी के अनुसार बता दे की यह यूरिया की कमी को दूर करता है। आपको यूरिया नहीं खरीदना पड़ेगा, जिससे पैसा भी बचेगा। साथ ही इससे फसल का उत्पादन भी बढ़ेगा। हम यहां आपको ढैंचा के पौधे के बारे में सम्पूर्ण जानकारी बताएंगे।
क्या है ढैंचा..
खरपतवार में ही एक पौधा (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) होता है ढैंचा। कुछ लोग इसे धाइन्चा भी कहते हैं। रासायनिक नाम है सेस्बेनिया (Sesbania)। वैज्ञानिक इसे ‘हरी खाद’ भी कहते हैं। खेत में उगने के दौरान और काटने के बाद भी काम आता है। काटकर फैलाने पर यह खाद बन जाता है। यह पौधा फसलों में नाइट्रोजन की कमी को दूर करता है। इस पौधे में इतना नाइट्रोजन होता है कि यह दूसरी मुख्य फसल में यूरिया की जरुरत को पूरा करने की ताकत रखता है।
खेत में ढैंचा के पौधे को कैसे लगाएं
1. खेत में फसल के साथ बोए
- यदि दूरी पर लगाए जाने वाली फसल के बीच इसे लगाया जाता है तो यह खरपतवार रोकता है।
- घना और छायादार होने के कारण इसके नीचे धूप जमीन तक नहीं पहुंच पाती। इस कारण अन्य खरपतवार नहीं उगती।
- साथ ही इसकी गांठ की नाइट्रोजन फसल तक पहुंचती है।
- फॉस्फोरस व पोटाश की मात्रा बढ़ा देता है। यहां ध्यान देना होगा कि ढैंचा के पौधे की हाइट हमारी मूल फसल से अधिक बड़ी नहीं होना चाहिए।
- ढैंचा का पौधा (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) मूल फसल से बढ़े होने से पहले ही काटना होगा। यदि यह बड़ा हाे गया तो मूल फसल को बढ़ने से रोक देगा।
2. खेत खाली पड़े होने पर
- जब आपका खेत पड़ा है तो तब इसे सामान्य तरीके से बो सकते है।
- यह पौधा एक से सवा महीने में ही यह 3 फीट तक लंबा हो जाता है।
- ढैंचा के पौधे की जड़ में गांठ होती है। यह हरी खाद के रूप में अगली फसल को मदद करता है।
- साथ ही ढैंचा की जड़ की गांठें नाइट्रोजन सोखकर रखती हैं।
- फसल बुआई का समय आने पर ढैंचा को बखरकर खेत में ही फैला दिया जाता है। यह हरी खाद (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) के रूप में काम आती है।
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ऐसे तैयार करे ढैंचा की हरी खाद
हरी खाद ढैंचा की बुवाई खरीफ से पहले गर्मी के मौसम में की जाती है। खेत में लगाने के बाद इसे तब तक लगे रहने देना चाहिए, जब तक कि इसमें फूल न निकलने लगे। फूल निकलने के बाद इस हरी घास को खेत में ही पलट देना चाहिए। कुछ समय बाद यह हरी खाद (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) में बदल जाता है।
जड़ों में इकट्ठा हो जाता है नाइट्रोजन
इस पौधे की जड़ों में नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया रहता है। ढैंचा का पोधा पर्यावरण से नाइट्रोजन अवशोषित कर अपनी जड़ों तक पहुंचा देता है। 45 से 50 दिन के बाद जैसे ही इसके पौधे में फूल (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) आने लगते हैं इसे काटकर वहीं छोड़ दिया जाता है। इसकी जड़ों में जमा नाइट्रोजन नमी और पानी से मिट्टी में अवशोषित हो जाती है।
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किसान ने हल्दी के साथ लगाया ढैंचा
इंदौर के किसान (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) जितेंद्र पाटीदार ने इसे मुख्य फसल के साथ लगाना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहला हल्दी की खेती के साथ प्रयोग किया, इससे हल्दी की उपज दमदार हुई। किसान ने कहा की आमतौर पर वे फसलों जिन्हें छांव से नुकसान नहीं होता वहां ये पौधा आश्चर्यजनक फायदे किसानों को देता है।
ढैंचा का सफल प्रयोग करने पर किसान को मिला सम्मान
मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में रहने वाले किसान जितेंद्र पाटीदार को ढैंचा का सफल प्रयोग कर फसल की अधिक उत्पादन लिया। इस पर एमपी गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने 15 अगस्त को सम्मानित किया। किसान ने हल्दी का अधिक उत्पादन और जमीन की उर्वरक (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) क्षमता बढ़ाने के लिए एक अनूठा प्रयोग किया है।
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किसान ने यह परीक्षण किया
किसान ने पिछले साल हल्दी की फसल (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) में नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए खेत में यूरिया नहीं डाला। इसकी जगह उसने ढैंचा का पौधा लगाया था।ढैंचा का पौधा लगाने से रासायनिक खाद की लागत बची और पैदावार भी अधिक हुई। इससे एक बीघा में किसान की 2 लाख तक की आय हुई। यूरिया का इस्तेमाल करते तो जमीन खराब होती।
साथ ही कमाई भी 1 लाख 25 हजार से ज्यादा नहीं होती। एक बार फसल (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) तैयार होने के बाद ढैंचा को जमीन में ही नष्ट कर दिया जाता है। यूरिया में सिर्फ 45% नाइट्रोजन होता है, वहीं ढैंचा में प्राकृतिक नाइट्रोजन होता है और यह लगातार नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता रहता है, इसके साथ ही मिट्टी को भी सुरक्षित रखता है।
मप्र के इन किसानों को भी मिला सम्मान
मध्य प्रदेश में खेती (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) में नवाचार करने के लिए शासन ने 15 अगस्त पर इंदौर के अलावा अन्य 10 जिलों के किसानों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया है।
- जिला – सम्मानित किसान
- होशंगाबाद – राजीव मेहता ,
- गुना – अशोक नागर ,
- छिंदवाड़ा – अजय सक्सेना ,
- झाबुआ – राधेश्याम डागी ,
- देवास – विक्रम सिंह ,
- सिवनी – अनुरूद्ध ठाकुर ,
- निवाड़ी – सत्यम नायक ,
- रायसेन – राहुल अहिरवार ,
- श्योपुर – किसान रघुराज सिंह ।
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एमपी में प्राकृतिक खेती का चलन बढ़ा
मध्यप्रदेश के इंदौर में बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए आगे आए हैं। इस वर्ष खरीफ सीजन (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) में इंदौर में 1 हजार 567 कृषकों द्वारा प्राकृतिक खेती का पंजीयन कराया गया है। इंदौर जिले में लगभग 615 एकड़ रकबे में कृषकों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है।
एमपी में ड्रैगन फ्रूट/स्ट्रॉबेरी/केसर की भी हो रही खेती
एमपी के इंदौर से सटे इलाकों में किसान पारंपरिक खेती के साथ ही ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, थाई पिंक अमरूद व केसर की खेती भी कर रहे हैं। इस वर्ष खरीफ सीजन में 1567 कृषकों ने प्राकृतिक खेती (Urea Deficiency Dhencha Plant 2022) का पंजीयन कराया है। जिले में लगभग 615 एकड़ रकबे में प्राकृतिक खेती की जा रही है।
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