कृषि समाचार

गेहूं निर्यात नीति स्पष्ट नहीं : किसान, स्टॉकिस्ट एवं व्यापारी घाटे में, जानें ताजा भाव व स्थिति

गेहूं निर्यात नीति (Wheat Export News 2022) के कारण अब किसान के अलावा व्यापारी एवं स्टॉकिस्ट को घाटा उठाना पड़ रहा है।

Wheat Export News 2022 : गेहूं की निर्यात नीति से अन्नदाता व्यापारी एवं स्टॉकिस्ट को घाटा हो रहा है। कंपनियां 40% नीचे भाव पर गेहूं की बेचवाली कर रही है। मई माह में इस्लामिक एवं पड़ोसी देशों को बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाने की चर्चा है। घरेलू बाजार ग्राहकी का अभाव स्टॉकिस्ट बेच वालों और मंडियों में आवक बराबर बनी रहने से मंदी का वातावरण बना हुआ है।

मालवराज सर्वाधिक मात्रा में निर्यात होता है। घरेलू बाजार में इसी की सर्वाधिक फजीहत हो रही है और इंदौर के आसपास की मंडियों में 1800 रुपए में बड़ी मुश्किल से लेवाल मिलते हैं। आटा, मैदा, रवा का निर्यात बंद की हवा फैलाकर निर्यातकों के लिए राह आसान की गई ?

अन्नदाता (Wheat Export News 2022) स्टॉकिस्ट व्यापारियों को ऐसे हो रही हानि

वाणिज्य एवं खाद्य मंत्रालय की निर्यात के संबंध स्पष्ट नहीं होने से अन्नदाता, स्टॉकिस्ट मैदा आटा मिले एवं व्यापारी मानसिक परेशानी के साथ आर्थिक घाटा भी उठा रहे हैं। पिछले एक-डेढ़ वर्ष में कुछ व्यापारियों ने पूंजी एकत्र कर घर बैठ गए हैं, क्योंकि आयात निर्यात में कब क्या बदलाव कर दिया जाएगा किसी को कोई पता नहीं।

इंडोनेशिया सरकार तो पिछले 2 माह से इस तरह की नीतियां अपनाकर पूरे विश्व में पाम तेल की शॉर्टेज बना दी अब टैंकरों को खाली कर विश्व बाजार को घाटे की ओर धकेला जा रहा है। वाणिज्य खाद्य एवं कृषि मंत्रालय पिछले डेढ़-2 वर्षों से आयात निर्यात, नैफेड की खरीदी-बिक्री गेहूं के निर्यात के लिए बिना मांग किए भारी-भरकम सुविधा देना एवं एक आयत-निर्यात बंद कर देने से हजारों व्यापारी, किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं। स्पष्ट तौर पर उन्हें उबारने के लिए अभी तक कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है। व्यापारियों का माल सस्ते भाव पर खरीदा जा रहा है।

कम रेट में गेहूं निर्यात किया गया

श्रीलंका, सूडान, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया, नेपाल, वियतनाम, भूटान, यूनाइटेड स्टेट्स, फिलिपिंस आदि को कितनी मात्रा में किस भाव से गेहूं का निर्यात मई माह में हुआ है, इसकी चर्चा एक लेटर में हो रही है। इसमें उल्लेख है कि ऊपर में 351.690 एवं नीचे में 295 डॉलर एवं भारत के समीप के देशों को काफी सस्ते भाव पर गेहूं का निर्यात किया गया है।

दूसरी ओर तीन-चार दिन पहले अधिकारियों के हवाले से यह खबर फैलाई गई कि सरकार आटा, मैदा एवं रवा का निर्यात बंद कर सकती है। निर्यात बंद करना सरकार के हाथ में है किंतु उससे कई गुना गेहूं का निर्यात हो रहा है उस पर स्थाई एवं स्पष्ट रूप से रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है। गेहूं का निर्यात किस मात्रा में एवं कब तक किया जाएगा यह भी स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है।

स्टॉक लिमिट करने का डर सता रहा व्यापारियों को

आटा मैदा पर रोक लगाने की चर्चा बाजार में इसलिए चलाई गई ताकि निर्यात को सस्ते में गेहूं मिल सके हाल ही में मुंबई में निर्यात के लिए 2500 रुपए में बेचा गया। गेहूं मैदा मिलों ने 2150 रुपए में खरीदा है। स्टॉक सीमा लगने के नाम पर व्यापारी पहले ही लूट चुके हैं। निर्यात बंद करने के बाद बाजार से ग्राहकी गायब हो गई है। स्टॉक वाले बेचने हेतु आतुर हैं मंडियों में आवक कम नहीं पड़ रही है। इससे व्यापारियों का मनोबल टूट गया है।

किसानों की भी आशा पर पानी गिरा

किसान वर्ग को पहली बार एमएसपी से ऊपर बड़ी मात्रा में मिल क्वालिटी गेहूं बेचने का अवसर मिला था अब तो उनकी उम्मीदों पर आए दिन पानी फिरता जा रहा है। आटा मैदा मिलो ने पिछले चार-पांच दिन से खरीदी बंद कर रखी है। देश में गेहूं की कमी नहीं है समर्थन भाव पर निर्यात रोक के बाद करीब 9 से 10 लाख टन क खरीदी हो चुकी है। हाल ही में राजस्थान ने 30 जून तक खरीदी की तारीख आगे बढ़ा दी है देखना कितना समर्थन मिलता है।

वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति कठिन बनी रहेगी

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर गेहूं की घोर कमी व्याप्त हो गई है। यह कमी अगले एक-दो वर्ष तक समाप्त होने की संभावना कम है। रूस-यूक्रेन का युद्ध शिवरात्रि के ठीक 4 दिन पहले शुरू हुआ था जो आज तक चल रहा है। यूक्रेन को काफी हानि होने पर और उस पर प्रतिबंध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति कठिन बनी रहेगी। जुलाई में शुरू होने वाले फसल वर्ष में एशियाई फ्लोर मिलर्स को फ्रांस और रोमानिया पर नजर रखना होगी क्योंकि इनके द्वारा गेहूं बेचने की पेशकश की जा रही है।

शिकागो वायदा बाजार में गेहूं वायदा 35% उछल चुका है। इंडोनेशिया के लिए आगामी अगस्त सीएंडएच शिपमेंट कीमत 495 डॉलर, रोमानिया 480 डॉलर और ऑस्ट्रेलिया का गेहूं 478 डॉलर पर स्थित है। वर्तमान परिस्थिति में ऑस्ट्रेलिया दूसरा बड़ा देश बनकर उभरा है। वर्ष 2022 आरंभ से ही अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति को कम कमी करने के लिए बिक्री बढ़ता जा रहा है। आगामी जुलाई माह के बाद भी ऑस्ट्रेलिया से निर्यात जारी रहेगा।

गेहूं की यह किस्म विदेशों में अत्यधिक लोकप्रिय

विदेशों में मैदा, आटा के बजाय रवा का चलन अधिक है। रवा मालवराज से बनता है। इंदौर में इसी गेहूं की सबसे खराब हालत है। मंडियों में मानलराज 1800 रुपए में बिक रहा है जबकि मेल क्वालिटी 1950 से रुपए तक। मालवराज एवं काले गेहूं में शुगर नहीं होती है। फिलहाल मालवराज का जहाज वापस आने की चर्चा चल रही थी और सबसे सस्ता यही गेहूं बिक रहा है। आम राय यह है कि यह सरकार की नीतियों की वजह से हो रहा है। ऐसी आशंका है कि दीपावली पूर्व तक अनेक पार्टियों यदि वाले निकल जाए तब भी आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

इंदौर मंडी के गेहूं के ताजा रेट यह

Wheat Export News 2022 : इंदौर की मंडी मिल क्वालिटी गेहूं का रेट 2050-2100 रुपये है, वहीं मालवराज का 2000-2050 रुपये, लोकवन का 2350-2400 रुपये, पूर्णा गेहूं का 2250- 2300 रुपये और मक्का मंडी में 2250-2300 रुपये क्विंटल रहा। (यह भाव शनिवार 18 जून 2022 के हैं।)

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राधेश्याम मालवीय

मैं राधेश्याम मालवीय Choupal Samachar हिंदी ब्लॉग का Founder हूँ, मैं पत्रकार के साथ एक सफल किसान हूँ, मैं Agriculture से जुड़े विषय में ज्ञान और रुचि रखता हूँ। अगर आपको खेती किसानी से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो आप यहां बेझिझक पुछ सकते है। हमारा यह मकसद है के इस कृषि ब्लॉग पर आपको अच्छी से अच्छी और नई से नई जानकारी आपको मिले।
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