खेती-किसानी
गेहू की सफल खेती और अधिक उत्पादन के लिए इन बातो का रखें ध्यान ….
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, इन्दौर द्वारा गेहूँ की सफल खेती (Wheat improved Cultivation 2022) के सूत्र दिए गए है, जानें.
Wheat improved Cultivation 2022 | किसानों के लिए खासतौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, इन्दौर ने गेहूँ की सफल खेती के सूत्र दिए है, जो की इस प्रकार है –
गेंहू की खेती (Wheat improved Cultivation 2022) के सफल सूत्र
- खेत की तैयारी (जुताई तथा पठार) खरीफ फसल कटते ही करें।
- पलेवा नहीं करें, बल्कि सूखे में बुवाई करके तुरन्त सिंचाई करें।
- क्षेत्र के लिए अनुशंसित प्रजातियों का ही इस्तेमाल करें। प्रजाति का चुनाव उपलब्ध सिंचाई तथा आवश्यकताओं के अनुरूप करें।
- प्रमाणित और आधारीय बीजों (Wheat improved Cultivation 2022) के उपयोग से उपज अधिक मिलती है तथा उपज की गुणवत्ता बनी रहती है।
- सतत अच्छी उपज के लिए फसलों, प्रजातियों, फसल चक्र, फार्म उद्यमों तथा कृषि उद्योगों का विविधिकरण करें।नत्रजन स्फुर पोटाश संतुलित मात्रा अर्थात 4:2:1 के अनुपात में डालें।
- ऊँचे कद की (कम सिंचाई वाली) जातियों में नत्रजनःस्फुरः पोटाश की मात्रा 80:40:20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बुआई से पूर्व ही देना चाहिये ।
- बौनी शरबती किस्मों को नत्रजनःस्फुरः पोटाश की मात्रा 120:60:30 तथा मालवी किस्मों को 140:70:35 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर देना चाहिये।
- नत्रजन की आधी मात्रा और स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई (Wheat improved Cultivation 2022) पूर्व देना चाहिये तथा नत्रजन की शेष चौथाई मात्रा प्रथम सिंचाई (बुआई के 20 दिन बाद ) पर तथा बची हुई चौथाई मात्रा दूसरी सिंचाई ( बुआई के 40 दिन बाद ) पर देनी चाहिये ।
- बुवाई से पहले मिश्रित खाद जैसे 12:32:16 तथा यूरिया का उपयोग करें।
- मृदा में जीवांश पदार्थ यानि कार्बनिक या हरी खादों का प्रति तीसरे वर्ष प्रयोग अवश्य करें, ताकि भूमि को सूक्ष्म तत्वों की कमी से बचाया जा सके।
- गेहूँ – सोयाबीन फसल चक्र वाले अधिकतर खेतों में बहुधा जिंक तथा सल्फर तत्वों की भी कमी हो जाती है।
- इसके लिये 25 किलो प्रति हैक्टेयर जिंक सल्फेट, प्रत्येक तीसरे वर्ष, बोनी (Wheat improved Cultivation 2022) से पहले भुरक कर मिट्टट्टी में मिला देना चाहिये।
- बुवाई का समय अगेती बुवाई अर्थात असिंचित तथा अर्धसिंचित खेती में 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर, सिंचित समय से बुवाई में 10-25 नवम्बर तथा देरी से बुवाई में दिसम्बर माह में एवम अत्यन्त देरी से बुवाई में जनवरी माह ( प्रथम सप्ताह) में बुवाई अच्छी रहती है।
- खाद तथा बीज अलग-अलग बोयें, खाद गहरा ( ढाई से तीन इंच) तथा बीज उथला (एक से डेढ़ इंच गहरा ) बोयें तथा बुवाई पश्चात पठार / पाटा न करें।
- देर से बोनी की अवस्था में बीज (Wheat improved Cultivation 2022) की दर में 20-25 प्रतिशत बढोतरी करें तथा खाद में 20-25 प्रतिशत की कमी करें।
- बुवाई के बाद खेत में दोनों ओर से (आड़ी तथा खड़ी) नालियाँ प्रत्येक 15-20 मीटर पर बनायें तथा बुवाई के तुरन्त बाद इन्हीं नालियों द्वारा बारी बारी से क्यारियों में सिंचाई करें।
- अर्द्धसिंचित / कम सिंचाई (1-2 सिंचाई) वाली प्रजातियों में एक से दो बार सिंचाई 35-40 दिन के अंतराल पर करें।
- पूर्ण सिंचित (Wheat improved Cultivation 2022) प्रजातियों में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें।
- सिंचाई समय पर निर्धारित मात्रा में तथा अनुशंसित अंतराल पर ही करें।
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- बालियाँ निकलते समय फव्वारे का पानी करनाल बन्ट संक्रमण को बढ़ावा देता है।
- रोग व नीदा नियत्रंण के लिये रसायनों का उपयोग वैज्ञानिक संस्तुति के आधार पर ही करें।
- मेंड, रास्ते तथा नालियों को खरपतवार (Wheat improved Cultivation 2022) से मुक्त रखें, खरपतवार के बीज मेंड, रास्ते तथा नालियों से खेत में चले जाते हैं।
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिये 2-4 डी 650 ग्राम सक्रिय तत्व / है, अथवा मैटसल्फ्युरॉन मिथाइल 4 ग्राम सक्रिय तत्व है, 550-600 लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें।
- संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिये: क्लॉडीनेफॉप प्रोपरजिल 60 ग्राम सक्रिय तत्व / है, 550-600 लीटर
- पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें।
- ग्राम अथवा दोनों प्रकार के खरपतवारों के लियेः एटलान्टिस 400 मिलीलीटर अथवा वैस्टा 400 सल्फोसल्फ्युरॉन 25 ग्राम सक्रिय तत्व / है अथवा सल्फोसल्फ्युरॉन 25 ग्राम सक्रिय तत्व + मैटसल्फूरॉन मिथाइल 4 ग्राम सक्रिय तत्व/है. 550-600 लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें।
- खड़ी फसल (Wheat improved Cultivation 2022) में डोरे (व्हील हो) या मजदूरों द्वारा खरपतवारों की सफाई करायें।
- खरपतवारों के नियंत्रण के लिए फसल चक्र में बदलाव लायें। गेहूँ- सोयाबीन फसल चक्र में, सोयाबीन के स्थान पर मक्का, ज्वार और अरण्डी तथा गेहूँ के स्थान पर चना, बरसीम, सूरजमुखी तथा सरसों लेना चाहिए।
- गेरुआ रोग से बचाव तथा कुपोषण निवारण के लिए कम से कम आधे क्षेत्रफल में मालवी गेहूँ की नई किस्मों की खेती (Wheat improved Cultivation 2022) अवश्य करें।
- उत्तर भारत के लिये अनुमोदित किस्में मध्य भारत में न लगायें तथा संवेदनशील किस्में जेसे सुजाता, लोक-1 तथा डब्ल्यू. एच. 147 आदि की खेती ना करें।
- मालवी / कठिया गेहूँ कि नई किस्में रोटी वाले गेहूँ पर लगने वाले गेरुआ रोगों से प्रतिरोधी हैं।
- फसल अवशेषों को जलायें नहीं बल्कि उनकी खाद बनायें ।
- परस्पर सहभागिता व सहकारी समूहों के माध्यम से गेहूँ की सामुदायिक खेती, वैज्ञानिक भडारण व उचित समय पर बिक्री द्वारा खेती (Wheat improved Cultivation 2022) का लाभांश बढ़ायें।
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