केन्द्रीय भंडार में अनाज का स्टाक पांच वर्ष में सबसे कम, किसानों व्यापारियों एवं नागरिको पर यह पड़ेगा असर
चालू वित्त वर्ष में गेहूं का स्टॉक (Wheat Stock in 2022) पिछले 5 वर्ष में सबसे कम है। जानिए इसका किसान एवं आम जनता पर क्या असर पड़ेगा।
Wheat Stock in 2022 | रूस यूक्रेन के मध्य छिड़ी जंग के मद्देनजर वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न संकट चालू वर्ष में रहा इसके चलते भारत से मिस्र बांग्लादेश श्रीलंका, अरब एवं विश्व के कई देशों में बंपर निर्यात हुआ। भारत से बेधड़क निर्यात हो रहा था। इसी दौरान केंद्र सरकार ने स्थिति को देखते हुए मई महीने में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, वहीं इसके बाद अब गेहूं के उत्पाद पर भी निर्यात लगा दिया है। बावजूद इसके इस वर्ष गेहूं का स्टॉक (Wheat Stock in 2022) पिछले कुछ वर्षों में सबसे कम है।
गेहूं का स्टाक (Wheat Stock in 2022) पिछले 5 वर्ष में सबसे कम
गेहूं की कम प्राप्ति के कारण फूड कार्पोरेशन आफ इंडिया (एफसीआई) के हस्तक के केन्द्रीय भंडार में गेहूं और चावल का फिलहाल स्टाक पिछले पांच वर्ष में सबसे कम है। चावल का थोक 2020 में था उसकी तुलना में इस समय अधिक है, बावजूद खरीफ फसल के सीजन में गत सप्ताह तक धान की रोपाई 12 प्रतिशत जितना घटी है। उसके कारण चावल की फसल कम आएगी तो केन्द्रीय भंडार में चावल का थोक भी घट जाएगा। भारतीय जनमानस पर चावल एवं गेहूं के कम स्टाक (Wheat Stock in 2022) का असर निश्चित तौर पर पड़ेगा।
गेहूं के स्टॉक की यह स्थिति है
पिछले आंकड़े के अनुसार एक अगस्त को चावल और गेहूं का कुल थोक 545.97 लाख टन (Wheat Stock in 2022) था जो पांच वर्ष में पहले 2017 में 499.77 लाख टन जितना कम था। चावल का थोक 279.52 लाख टन था जो 2020 में 253.40 लाख टन था। फिलहाल चावल का थोक जो है वह गत वर्ष की तुलना में 11.5 लाख टन कम है। एक अगस्त को गेहूं का स्टाक 266.45 लाख टन था जो 2008 में 243.80 लाख टन जितना कम रहा।
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धान के स्टाक की यह स्थिति
इधर, एक अगस्त को मिल में प्रोसेस किए बगैर धान का थोक 194.57 लाख टन था, जो 2020 में 145.63 लाख टन था। गेहूं की प्राप्ति कम थी इसलिए गेहूं का स्टाक (Wheat Stock in 2022) कम है, लेकिन सरकार ने कई राज्यों के केन्द्रीय भंडार से गेहूं के बदले चावल का स्टाक दिया है। इसलिए इस वर्ष चावल की मांग बढ़ी है। अब किसी भी संयोग में चावल की फसल कम आए तो सरकार को चावल की प्राप्ति का लक्ष्य हासिल करने में कठिनाई होगी।
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क्या चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगेगा
गौरतलब है कि निजी व्यापारियों ने अप्रैल-मई में ऊंचे भाव पर गेहूं का थोक एकत्र (Wheat Stock in 2022) कर लिया था, ऐसा चावल के बारे में भी हो सकता है। मंत्रियों का एक समूह चावल की वर्तमान स्थिति का बारीकी से अवलोकन कर रहा है, बासमती के अलावा निर्यात बंदी का अंतिम कदम उठाने से पहले वे थोड़ा इंतजार करना चाहते हैं।
12 अगस्त तक गत वर्ष की तुलना में 12.4 प्र.श. कम 309.79 लाख हैक्टर जमीन पर धान (Wheat Stock in 2022) की रोपाई हुई थी, जो गत वर्ष इस समय तक 353.62 लाख हैक्टर थी। सबसे अधिक चावल का उत्पादन करने वाले पश्चिम बंगाल में इसके लक्ष्य की तुलना में आधे से सहज और 42 लाख हैक्टर पर धान की बोआई हुई थी।
अब पर्याप्त बारिश के कारण झारखंड में लक्ष्य की तुलना में पांचवें हिस्से के क्षेत्र में धान की बोआई हुई थी। 2021-’22 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 11.10 करोड़ टन (Wheat Stock in 2022) खरीफ और 1.86 टन रबी फसल सहित कुल 12.97 करोड़ टन चावल का रिकार्ड उत्पादन हुआ था। सरकार ने 15 अगस्त के अंतिम आंकड़े के अनुसार अक्टूबर से सितंबर तक फसल वर्ष में 5.91 करोड़ टन चावल की प्राप्ति की थी। इसके पहले 2020-21 के वर्ष में सरकार ने 6.02 करोड़ टन चावल की रिकार्ड (Wheat Stock in 2022) प्राप्ति की थी।
इस स्थिति को देखते हुए यह संभावना भी तेज हो गई है कि यह की भांति ही चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग सकता है हालांकि इस विषय में आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है।
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गेहूं एवं चावल के कम स्टाक का यह असर पड़ेगा
Wheat Stock in 2022 | भले ही वर्तमान में सरकार ने गेहूं एवं गेहूं के उत्पाद आटा, रवा, मैदा पर भी निर्यात प्रतिबंध लगा दिया है, किंतु मार्केट में गेहूं के भाव की स्थिति अभी भी तेज बनी हुई है। व्यापारियों के अनुसार यह तेजी अगले सीजन तक बनी रहेगी। इससे जाहिर है कि आम लोगों को फिलहाल गेहूं एवं गेहूं के उत्पाद के भाव कम होने की राहत नहीं मिलने वाली है।
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